प्रारंभिक परीक्षा
श्री रामलिंगा स्वामी
- 10 Oct 2023
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स्रोत: पी.आई.बी.
5 अक्तूबर, 2023 को भारत में श्री रामलिंगा स्वामी, जिन्हें वल्लालर के नाम से भी जाना जाता है, की 200वीं जयंती मनाई गई।
श्री रामलिंगा स्वामी के प्रमुख योगदान:
- परिचय:
- श्री रामलिंगा स्वामी 19वीं सदी के एक प्रमुख तमिल कवि और "ज्ञान सिद्धार" वंश के सदस्य थे।
- उनका जन्म तमिलनाडु के मरुधुर गाँव में हुआ था।
- श्री रामलिंगा स्वामी 19वीं सदी के एक प्रमुख तमिल कवि और "ज्ञान सिद्धार" वंश के सदस्य थे।
- सामाजिक सुधार का दृष्टिकोण:
- वल्लालर का दृष्टिकोण धार्मिक, जाति और पंथ की बाधाओं से परे है, उनका मानना है कि ब्रह्मांड के प्रत्येक अंश में दिव्यता है।
- वल्लालर जाति व्यवस्था के सख्त खिलाफ थे और उन्होंने वर्ष 1865 में 'समरसा वेद सन्मार्ग संगम' की शुरुआत की, जिसे बाद में 'समरसा शुद्ध सन्मार्ग सत्य संगम' नाम दिया गया।
- उन्होंने वर्ष 1867 में तमिलनाडु के वडालुर में मुफ्त भोजन सुविधा 'द सत्य धर्म सलाई' की स्थापना की, जो बिना जाति भेद के सभी लोगों को सेवा प्रदान करती थी।
- जनवरी 1872 में वल्लालर ने वडालुर में 'सत्य ज्ञान सभा' (हॉल ऑफ ट्रू नॉलेज) की स्थापना की।
- वल्लालर का दृष्टिकोण धार्मिक, जाति और पंथ की बाधाओं से परे है, उनका मानना है कि ब्रह्मांड के प्रत्येक अंश में दिव्यता है।
- दार्शनिक मान्यताएँ और शिक्षाएँ:
- "जीवित प्राणियों की सेवा ही मुक्ति/मोक्ष का मार्ग है" वल्लालर की प्राथमिक शिक्षाओं में से एक थी।
- शुद्ध सन्मार्ग के अनुसार, मानव जीवन का प्रमुख पहलू धर्मदान और दैवीय अभ्यास पर आधारित प्रेम होना चाहिये, जिससे विशुद्ध ज्ञान की प्राप्ति होगी।
- वल्लालर का मानना था कि मनुष्य के पास जो बुद्धि है, वह भ्रामक (माया) बुद्धि है तथा सटीक अथवा अंतिम नहीं है।
- उन्होंने अंतिम बुद्धिमत्ता के मार्ग के रूप में ‘जीव करुण्यम’ (जीवित प्राणियों के प्रति करुणा) पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने भोजन के लिये जानवरों को न मारने का आह्वान किया और गरीबों को खाना खिलाना सर्वोच्च धर्म बताया।
- उनका यह भी मानना था कि अनुग्रह के रूप में ईश्वर दया और ज्ञान का अवतार है तथा दया ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग है।