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शिवाजी महाराज की वाघ नख की महाराष्ट्र में वापसी

  • 19 Jul 2024
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस्तेमाल किया गया युद्धकालीन हथियार 'वाघ नख' लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट (V&A) संग्रहालय से मुंबई लाया गया है।

  • विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय ने प्राचीन हथियार को तीन वर्ष की अवधि के लिये ऋणात्मक आधार पर महाराष्ट्र सरकार को सौंपा है, उक्त अवधि के दौरान इसे राज्य भर के संग्रहालयों में प्रदर्शित किया जाएगा।
  • 'वाघ नख', जिसका शाब्दिक अर्थ है 'बाघ का पंजा', एक विशिष्ट मध्यकालीन खंजर है जिसका उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है। इस घातक हथियार में एक दस्ताने और एक छड़ से जुड़े चार अथवा पाँच घुमावदार ब्लेड होते हैं, जिसे व्यक्तिगत सुरक्षा अथवा गुप्त तरीके से हमला करने के लिये डिज़ाइन किया गया था। इसके नुकीले ब्लेड काफी तेज़ थे।
    • कोंकण क्षेत्र में शिवाजी की मज़बूत पकड़ व अभियानों को कमज़ोर करने के लिये नियुक्त किये गए बीजापुर के सेनापति अफज़ल खान और छत्रपति शिवाजी के बीच लड़ाई हुई थी। अफज़ल खान ने शांतिपूर्ण सुलह का सुझाव दिया था किंतु संभावित खतरे की आशंका को देखते हुए शिवाजी पूरी तैयारी के साथ आए थे।
  • उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के शिवनेरी किले में हुआ था, वह बीजापुर सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीरदारी रखने वाले मराठा सेनापति शाहजी भोंसले तथा एक धार्मिक महिला जीजाबाई के पुत्र थे, जिनका शिवाजी के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा।
  • उन्होंने प्रतापगढ़ की लड़ाई, पवन खिंड की लड़ाई, सूरत की लूट, पुरंदर की लड़ाई, सिंहगढ़ की लड़ाई और संगमनेर की लड़ाई जैसी महत्त्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं।
    • उनके द्वारा छत्रपति, शाककार्ता, क्षत्रिय कुलवंत तथा हैंदव धर्मोधारक की उपाधियाँ धारण की गई।
    • उन्होंने आठ मंत्रियों की एक परिषद (अष्टप्रधान) के साथ एक केंद्रीकृत प्रशासन की स्थापना की, जो प्रत्यक्ष रूप से उनके प्रति ज़िम्मेदार थे और राज्य के विभिन्न मामलों पर उन्हें सलाह देते थे।
    • शिवाजी ने जागीरदारी प्रणाली को समाप्त कर दिया और इसे रैयतवारी प्रणाली में बदल दिया तथा वंशानुगत राजस्व अधिकारियों की स्थिति में परिवर्तन किया, जिन्हें देशमुख, देशपांडे, पाटिल एवं कुलकर्णी के नाम से जाना जाता था।

और पढ़ें:  छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख

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