शंकराचार्य | 19 Jan 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों:
अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल न होने के चार शंकराचार्यों के फैसले ने काफी ध्यान आकर्षित किया है।
शंकराचार्य कौन हैं?
- परिचय: शंकराचार्य (शंकर के मार्ग के शिक्षक), एक धार्मिक उपाधि है जिसका उपयोग चार प्रमुख मठों या पीठों के प्रमुखों द्वारा किया जाता है, जिनके बारे में माना जाता है कि इन्हें आदि शंकराचार्य (लगभग 788 ई.-820 ई.) द्वारा स्थापित किया गया था।
- परंपरा के अनुसार, वे धार्मिक शिक्षक हैं जो स्वयं आदि शंकराचार्य तक जाने वाले शिक्षकों की एक पंक्ति से संबंधित हैं, हालाँकि 14 वीं शताब्दी ईस्वी से पहले इसके बारे में ऐतिहासिक साक्ष्य दुर्लभ हैं।
- मठ: ये चार मठ द्वारका (गुजरात), जोशीमठ (उत्तराखंड), पुरी (ओडिशा) एवं शृंगेरी (कर्नाटक) में हैं।
- वे धार्मिक तीर्थस्थलों, मंदिरों, पुस्तकालयों और आवासों के रूप में कार्य करते हैं। वे शंकर की परंपरा को संरक्षित एवं प्रचारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- 14वीं शताब्दी से पहले इन मठों के अस्तित्व के बहुत कम ऐतिहासिक साक्ष्य हैं, जब विजयनगर साम्राज्य ने शृंगेरी मठ को संरक्षण देना शुरू किया था।
आदि शंकराचार्य कौन थे?
- परिचय: आदि शंकराचार्य 8वीं सदी के भारतीय दार्शनिक और धर्मशास्त्री थे, जिन्हें हिंदू धर्म के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक माना जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म केरल के कलाडी गाँव में हुआ था।
- गोविंदाचार्य से अध्ययन आरंभ करने के बाद, शंकर ने बड़े पैमाने पर यात्रा की, दार्शनिक परंपराओं को चुनौती दी और मठों की स्थापना की।
- प्रमुख योगदान:
- व्यवस्थित अद्वैत वेदांत: वास्तविकता की अद्वैतवादी प्रकृति को समझने के लिये एक रूपरेखा प्रदान की।
- प्रकाशमान हिंदू धर्मग्रंथ: उपनिषदों, ब्रह्मसूत्र और भगवद गीता पर टिप्पणियों सहित 116 कृतियाँ लिखीं।
- भक्ति आंदोलन का प्रचार किया: ईश्वर के प्रति भक्ति और समर्पण के महत्त्व पर बल दिया, जिससे बाद के भक्ति आंदोलनों का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- प्रमुख रचनाएँ/टिप्पणियाँ:
- भाष्य ग्रंथ:
- ब्रह्म सूत्र
- ईसावास्य उपनिषद
- केन उपनिषद
- कठ उपनिषद
- प्रश्न उपनिषद
- मुण्डक उपनिषद
- मांडूक्य उपनिषद
- मांडूक्य कारिका
- भगवद गीता
- प्रकरण ग्रंथ:
- विवेक चूड़ामणि
- अपरोक्षानुभूति
- उपदेशसहस्री
- स्वात्मनिरूपणम्
- आत्म बोध
- सर्व वेदांत सार संग्रह
- अद्धैतानुभूति
- ब्रह्मानुचिन्तनम्
- अनुसन्धानम्
- भजन एवं ध्यान छंद:
- श्री गणेशपञ्चरत्नम्
- गणेश भुजंगम
- सुब्रह्मण्य भुजङ्गम्
- भाष्य ग्रंथ:
नोट:
हालाँकि शंकर के अनेक कार्यों के लेखकत्व के संबंध में विवाद की स्थिति है किंतु उनका योगदान तत्त्वमीमांसा तथा धर्मशास्त्र से परे अन्य विषयों में भी है जिसमें आस्था, दर्शन एवं भूगोल की राष्ट्रवादी संबंधी व्याख्या शामिल है।
- अद्वैत वेदांत के मूल सिद्धांत:
- अद्वैत वेदांत कट्टरपंथी अद्वैतवाद की एक सत्तामूलक स्थिति प्रस्तुत करता है।
- इसके अनुसार कथित वास्तविकता अंततः भ्रामक (माया) है तथा केवल ब्राह्मण ही अनुभवजन्य बहुलता से परे एकमात्र सच्ची वास्तविकता है।
- यह आत्मन् (वैयक्तिक चेतना) तथा ब्राह्मण (अंतिम वास्तविकता) की एकता पर बल देता है।
नोट:
मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में मांधाता पर्वत पर 108 फीट की ऊँचाई पर स्थित आदि शंकराचार्य को समर्पित 'स्टैच्यू ऑफ वननेस' का अनावरण किया गया।