POCSO अधिनियम की धारा 19 | 26 Apr 2025

स्रोत: द हिंदू

सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 की धारा 19 के बारे में उठाई गई चिंताओं की जाँच करने पर सहमति व्यक्त की है 

POCSO अधिनियम की धारा 19: 

  • इसमें बच्चों सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा ज्ञात या संदिग्ध यौन अपराधों की अनिवार्य रिपोर्टिंग का प्रावधान किया गया है। 
  • इसके तहत पुलिस को रिपोर्ट बच्चों के अनुकूल तरीके से की जानी चाहिये। रिपोर्ट न करना और झूठी शिकायतें दंडनीय हैं। इसका उद्देश्य तत्काल देखभाल, सुरक्षा और समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित करना है।

शामिल चिंताएँ:

  • धारा 19 के अनिवार्य रिपोर्टिंग खंड के तहत सहमति से बनाए गए किशोर संबंधों को अपराध माना गया है इससे युवा चिकित्सा सहायता लेने से हतोत्साहित होते हैं। इससे चिकित्सा पेशेवरों के लिये भी संघर्ष पैदा होता है, जिससे स्वायत्तता और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच से समझौता होता है।

POCSO अधिनियम

  • परिचय: बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार से निपटने के लिये POCSO अधिनियम लाया गया था जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को बच्चा माना गया है।
  • इसे भारत द्वारा बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1992) के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप अधिनियमित किया गया था।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • यह अधिनियम लैंगिक भेदभाव रहित है जिसके तहत लड़के और लड़कियों को यौन शोषण से बचाना शामिल है। इसमें विशेष न्यायालयों द्वारा अंतरिम मुआवज़ा और तत्काल ज़रूरतों के लिये बाल कल्याण समिति (CWC) के माध्यम से तत्काल राहत का प्रावधान है।
    • इसके तहत विधिक कार्यवाही के दौरान बच्चे की सहायता के लिये एक सहायक व्यक्ति नियुक्त किया जाना शामिल है। धारा 23 के तहत मीडिया में पीड़ित की पहचान के प्रकटीकरण पर रोक लगाकर गोपनीयता सुनिश्चित की गई है।

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