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SEBI द्वारा नवीन पूंजी वर्ग का प्रस्ताव

  • 19 Jul 2024
  • 8 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने एक नवीन पूंजी वर्ग या उत्पाद श्रेणी शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।

  • इस कदम का उद्देश्य निवेशकों को एक विनियमित निवेश उत्पाद उपलब्ध कराना है, जिसमें उच्च जोखिम लेने की क्षमता हो, साथ ही अपंजीकृत और अनधिकृत निवेश उत्पादों के प्रसार पर भी अंकुश लगाया जा सके।

नोट: 

  • PMS निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो के प्रबंधन के लिये पेशेवरों पर भरोसा करने और विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों से प्रतिस्पर्द्धी रिटर्न अर्जित करने की अनुमति देता है।
  • यह सेवा प्रत्येक निवेशक की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तैयार की गई है तथा यह सुनिश्चित करती है कि यह उनकी अपेक्षाओं और आवश्यकताओं को पूरा करना

प्रस्तावित नवीन पूंजी वर्ग क्या है?

  • न्यूनतम निवेश सीमा: नवीन पूंजी वर्ग के अंतर्गत न्यूनतम निवेश सीमा प्रति निवेशक 10 लाख रुपए प्रस्तावित की गई है।
  • विशिष्ट नामकरण: सेबी ने इस नवीन पूंजी वर्ग के लिये विशिष्ट नामकरण का प्रस्ताव किया है ताकि इसे पारंपरिक MF, PMS, वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Funds- AIF), रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (Real Estate Investment Trusts- REIT) और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट (Infrastructure Investment Trusts- INVIT) से अलग किया जा सके।
  • निवेश रणनीतियाँ: कुछ निवेश रणनीतियाँ जिनकी अनुमति दी जा सकती है, उनमें दीर्घ-अल्प अवधि इक्विटी फंड और इनवर्स एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (Exchange-Traded Fund- ETF) (ऐसे फंड जो स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार किये जाते हैं, काफी हद तक व्यक्तिगत स्टॉक की तरह) शामिल हैं।
    • निवेशकों के पास नए परिसंपत्ति वर्ग के अंतर्गत निवेश रणनीतियों के लिये व्यवस्थित निवेश योजना (Systematic Investment Plan- SIP), व्यवस्थित निकासी योजना (Systematic Withdrawal Plan- SWP) और व्यवस्थित हस्तांतरण योजना (Systematic Transfer Plan- STP) जैसी व्यवस्थित योजनाओं का विकल्प भी हो सकता है।
  • एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के लिये पात्रता मानदंड:
    • पात्रता के दो मार्ग:
      • पहला मार्ग: कम-से-कम तीन वर्षों से परिचालनरत विद्यमान एमएफ, जिनकी औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (AUM) 10,000 करोड़ रुपए है तथा जिनके प्रायोजक/AMC के विरुद्ध पिछले तीन वर्षों में सेबी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है, वे सीधे इस नए वर्ग में उत्पाद पेश कर सकते हैं।
      • दूसरा मार्ग: मौजूदा और नए MF जो पहले पात्रता मार्ग को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें कम-से-कम 10 वर्ष के फंड प्रबंधन अनुभव वाले और कम-से-कम 5,000 करोड़ रुपए के AUM का प्रबंधन करने वाले मुख्य निवेश अधिकारी (Chief Investment Officer- CIO) की नियुक्ति करनी चाहिये।
        • न्यूनतम 7 वर्ष के निवेश प्रबंधन अनुभव वाले और 3,000 करोड़ रुपए के AUM का प्रबंधन करने वाले अतिरिक्त फंड मैनेजर की नियुक्ति।
  • संभावित लाभ और निहितार्थ:
    • विनियमित निवेश उत्पाद: नवीन पूंजी वर्ग से निवेशकों को एक विनियमित निवेश उत्पाद प्रदान करने की उम्मीद है, जो उच्च जोखिम लेने की क्षमता और उच्च टिकट आकार (ticket size) प्रदान करता है।
    • MF और PMS के बीच की खाई को पाटना: नवीन पूंजी वर्ग का उद्देश्य MF और PMS के बीच की खाई को भरना है, जो निवेशकों के उभरते वर्ग की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले उत्पाद प्रस्तुत करता है।
    • MF की भूमिका को सुदृढ़ करना: नवीन पूँजी वर्ग, उत्पादों के पेशकश के लिये पात्रता मानदंड निवेश परिदृश्य में स्थापित MF और AMC की स्थिति को मज़बूत कर सकते हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI)

SEBI एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1992 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार निवेशकों के हितों की रक्षा करने तथा प्रतिभूति बाज़ार को विनियमित करने के लिये की गई थी।

  • इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है तथा इसके क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में हैं।
  • सेबी की स्थापना से पूर्व पूंजी निर्गम नियंत्रक, पूंजी निर्गम (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के अंतर्गत पूंजी बाज़ारों को विनियमित करता था।
    • वर्ष 1988 में सेबी का गठन एक सरकारी प्रस्ताव के माध्यम से भारत में पूंजी बाज़ारों के लिये नियामक प्राधिकरण के रूप में किया गया था।
    • प्रारंभ में सेबी एक गैर-सांविधिक निकाय था, लेकिन सेबी अधिनियम 1992 के माध्यम से इसे स्वायत्तता और सांविधिक शक्तियाँ प्राप्त हुईं।
  • सेबी बोर्ड में एक अध्यक्ष तथा अन्य पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य शामिल हैं। सेबी वर्तमान मुद्दों को संबोधित करने के लिये आवश्यकतानुसार समितियों का गठन करता है।
    • सेबी के निर्णयों से प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा के लिये प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) की स्थापना की गई है, जिसमें एक पीठासीन अधिकारी और दो सदस्य हैं।
    • SAT को सिविल न्यायालय के समान अधिकार प्राप्त हैं तथा इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किया जाता है जो खुद को सीधे पंजीकृत किये बिना भारतीय शेयर बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं? (2019)

(a) जमा प्रमाण-पत्र
(b) वाणिज्यिक-पत्र
(c) वचन-पत्र
(d) पार्टिसिपेटरी नोट

उत्तर: (d)

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