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समुद्री शैवाल आधारित जैव उत्तेजक

  • 31 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में भारत सरकार ने किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले जैव उत्तेजक पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 के अंतर्गत समुद्री शैवाल आधारित जैव उत्तेजक पदार्थों को शामिल किया है।

  • जैव उत्तेजक: जैव उत्तेजक/बायोस्टिमुलेंट्स पौधों या उनकी जड़ों में प्राकृतिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देते हैं, पोषक तत्त्व अवशोषण, दक्षता, तनाव सहनशीलता और समग्र फसल की गुणवत्ता तथा उपज में सुधार करते हैं।
    • ये जैविक खेती के साथ अच्छी तरह से सुमेलित हैं क्योंकि वे पारिस्थितिक संतुलन, मृदा स्वास्थ्य और सिंथेटिक रसायनों पर निर्भरता को कम करने पर भी ज़ोर देते हैं।
  • सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY) के माध्यम से देश में समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा दे रही है।
  • सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana- PKVY) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन (Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region- MOVCDNER) जैसी योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रही है।
    • PKVY को देश भर में पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा अन्य सभी राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है, जबकि MOVCDNER योजना विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में क्रियान्वित की जा रही है।
    • दोनों योजनाएँ जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रामाणीकरण और विपणन तथा फसलोपरांत प्रबंधन तक संपूर्ण सहायता प्रदान करने पर ज़ोर देती हैं। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण इस योजना का अभिन्न अंग हैं।

और पढ़ें: भारत में जैविक कृषि

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