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मतदाता सीमा वृद्धि पर सर्वोच्च न्यायालय का दृष्टिकोण

  • 04 Dec 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस बात पर बल दिया कि "किसी भी मतदाता को मतदान से वंचित नहीं किया जाना चाहिये", जिससे सभी नागरिकों के लिये सुलभ मतदान सुनिश्चित करने के क्रम में न्यायालय की प्रतिबद्धता पर प्रकाश पड़ता है।

  • इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 (ग्रामीण क्षेत्र) एवं 1,400 (शहरी क्षेत्र) से बढ़ाकर एकसमान रूप से 1,500 करने का प्रस्ताव रखा था, जिससे संभावित मताधिकार से वंचित होने के संदर्भ में चिंताएँ उत्पन्न हुईं।
    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निर्वाचन आयोग को 'प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिये पर्याप्त संख्या में मतदान केंद्र’ उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
  • एक कार्यकर्त्ता ने निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि इससे मतदान केंद्रों पर भीड़ बढ़ जाने के साथ प्रतीक्षा समय अधिक हो जाने से विशेष रूप से हाशिये पर स्थित समूह प्रभावित होंगे।
    • एक मतदाता को मतदान में लगभग 90 सेकंड का समय (अर्थात एक घंटे में 45 मतदाता मतदान कर सकते हैं) लगता है। 11 घंटे में एक मतदान केंद्र पर केवल 495 मतदाता ही मतदान कर सकते हैं (अधिकतम क्षमता के साथ 660 मतदाता)।
    • इस याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इसकी सीमा बढ़ाने हेतु निर्वाचन आयोग के तर्क में नवीन आँकड़ों (जैसे अद्यतन जनगणना) का अभाव है।
  • मतदान केंद्र स्थापित करने के नियम:
    • लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निर्वाचन आयोग को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र हेतु पर्याप्त संख्या में मतदान केंद्र उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
    • मतदान केंद्र ऐसी जगह पर होना चाहिये कि मतदाताओं को मतदान करने हेतु सामान्यतः 2 किलोमीटर से अधिक दूरी (विरल आबादी वाले पहाड़ी या वन क्षेत्रों को छोड़कर) तय न करनी पड़े।
  • मतदान प्रतिशत बढ़ाने हेतु निर्वाचन आयोग की पहल:

और पढ़ें: मतदान प्रतिशत में वृद्धि

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