प्रस्तावना में संशोधन पर सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न | 13 Feb 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग करने हेतु दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रश्न किया कि क्या संविधान की प्रस्तावना को 26 नवंबर, 1949 को अपनाने की तारीख को बदले बिना संशोधित किया जा सकता था।
- 42वें सांविधानिक संशोधन अधिनियम के माध्यम से 'समाजवादी' और 'पंथनिरपेक्ष' शब्दों को शामिल करने के लिये प्रस्तावना में केवल एक बार वर्ष 1976 में संशोधन किया गया था।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना क्या है?
- परिचय:
- प्रस्तावना किसी प्रलेख का परिचयात्मक कथन होता है जिसमें प्रलेख के दर्शन और उद्देश्य उल्लिखित होते हैं।
- भारतीय संविधान की प्रेरणा संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना से ली गई है।
- संविधान के संदर्भ में प्रतावना में इसके निर्माताओं के उद्देश्य, इसके निर्माण की पृष्ठभूमि और राष्ट्र के मूल मूल्यों तथा सिद्धांतों का प्रस्तुतीकरण होता है।
- भारत के संविधान की प्रस्तावना के आदर्श जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य संकल्प द्वारा निर्धारित किये गए थे जिसका अंगीकरण संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को किया गया था।
- प्रख्यात न्यायविद् और संवैधानिक विशेषज्ञ एन.ए. पालखीवाला के अनुसार प्रस्तावना 'संविधान का पहचान पत्र' है।
- प्रस्तावना किसी प्रलेख का परिचयात्मक कथन होता है जिसमें प्रलेख के दर्शन और उद्देश्य उल्लिखित होते हैं।
- संरचना:
- प्रस्तावना के अनुसार संविधान की शक्ति का स्रोत भारत की जनता में निहित है।
- प्रस्तावना के अनुसार भारत संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।
- प्रस्तावना का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिये न्याय, स्वतंत्रता, समानता सुनिश्चित करना और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता बनाए रखने के लिये भाईचारे को बढ़ावा देना है।
- प्रस्तावना में इसके अंगीकरण की तिधि का उल्लेख, जो कि 26 नवंबर, 1949 है, किया गया है।
- स्थिति और संशोधनशीलता:
- बेरुबारी यूनियन केस, 1960: बेरुबारी मामले के माध्यम से, न्यायालय ने कहा कि 'प्रस्तावना निर्माताओं के मस्तिष्क के लिये कुंजी है' लेकिन इसे संविधान का हिस्सा नहीं माना जा सकता है। इसलिये यह कानून की अदालत में लागू करने योग्य नहीं है।
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला, 1973: इस मामले में पहली बार किसी रिट याचिका पर सुनवाई के लिये 13 जजों की बेंच बुलाई गई थी। न्यायालय ने माना कि:
- संविधान की प्रस्तावना को अब संविधान का हिस्सा माना जाएगा।
- यह माना गया कि प्रस्तावना को अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है, बशर्ते कि संविधान की 'मूल संरचना' में कोई संशोधन न किया जाए।
- परिणामस्वरूप प्रस्तावना को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संशोधित किया गया और प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' तथा 'अखंडता' शब्द जोड़े गए।
- 'संप्रभु' और 'लोकतांत्रिक' के बीच 'समाजवादी' तथा 'धर्मनिरपेक्ष' जोड़ा गया।
- 'राष्ट्र की एकता' को 'राष्ट्र की एकता और अखंडता' में बदल दिया गया।
- परिणामस्वरूप प्रस्तावना को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संशोधित किया गया और प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' तथा 'अखंडता' शब्द जोड़े गए।
- इसके अलावा अदालत ने माना कि प्रस्तावना सर्वोच्च शक्ति या किसी प्रतिबंध या निषेध का स्रोत नहीं है, लेकिन यह संविधान के कानून और प्रावधानों की व्याख्या में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ मामला, 1994: सर्वोच्च न्यायालय ने फिर कहा कि प्रस्तावना संविधान का अभिन्न अंग है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 26 जनवरी, 1950 को भारत की वास्तविक सांविधानिक स्थिति क्या थी? (2021) (a) लोकतंत्रात्मक गणराज्य उत्तर: (b) प्रश्न 2. भारत के संविधान की उद्देशिका है? (2020) (a) संविधान का भाग है किंतु कोई विधिक प्रभाव नहीं रखती। उत्तर: (d) प्रश्न 3. भारत के संविधान के निर्माताओं का मत निम्नलिखित में से किसमें प्रतिबिंबित होता है? (2017) (a) उद्देशिका उत्तर: (a) प्रश्न 4. निम्नलिखित उद्देश्यों में से कौन-सा एक भारत के संविधान की उद्देशिका में सन्निविष्ट नहीं है? (2017) (a) विचार की स्वतंत्रता उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. ‘उद्देशिका’ (प्रस्तावना) में शब्द 'गणराज्य' के साथ जुड़े प्रत्येक विशेषण की चर्चा कीजिये। क्या वर्तमान परिस्थितियों में वे प्रतिरक्षणीय हैं? (2016) |