तेलंगाना में विशेषाधिकार प्राप्त समूहों के भूमि आवंटन को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रद्द किया जाना | 26 Nov 2024

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने तेलंगाना सरकार द्वारा संसद सदस्यों (MP), विधान सभा सदस्यों (MLA), सिविल सेवकों और पत्रकारों वाली सहकारी समितियों को भूमि आवंटन को संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने रियायती दरों पर विशेषाधिकार प्राप्त समूहों को भूमि आवंटन की आलोचना की, जिसमें हाशिये पर पड़े समुदायों की अपेक्षा पहले से ही विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को तरज़ीह दी गई।
    • न्यायालय ने चेतावनी दी कि दुर्लभ भूमि संसाधनों के इस तरह के आवंटन से असमानता पैदा होती है और घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में इसके व्यापक आर्थिक निहितार्थ होते हैं।
  • निर्णय में इस नीति को सत्ता का दुरुपयोग बताया गया, जिससे नीति निर्माताओं और उनके साथियों को लाभ मिल रहा है, जबकि "योग्य वर्गों" की सहायता के नाम पर सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
    • सत्ता का दुरुपयोग किसी विधायी निकाय द्वारा की गई ऐसी कार्यवाहियों को संदर्भित करता है जो उनके अधिकार क्षेत्र में प्रतीत होती हैं लेकिन वास्तव में संवैधानिक सीमाओं या सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को याद दिलाया कि राज्य नागरिकों के लिये ट्रस्ट के रूप में संसाधन रखता है तथा उसके कार्यों का उद्देश्य चुनिंदा समूहों को लाभ पहुँचाने के बजाय जनहित में होना चाहिये।

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