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SARAS 3 टेलीस्कोप और पहले तारे का संकेत

  • 29 Nov 2022
  • 4 min read

हाल ही में SARAS 3 रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करके, वैज्ञानिकों ने एक रेडियो ल्युमिनस गैलेक्सी के विशेषताओं का निर्धारण किया है जो कि बिग बैंग के ठीक 200 मिलियन वर्ष बाद बनी थी, जिसे कॉस्मिक डॉन के रूप में जाना जाता है।

  • शोधकर्त्ताओं ने SARAS 3 के डेटा का उपयोग ऊर्जा उत्पादन, चमक और पहली पीढ़ी की आकाशगंगाओं के द्रव्यमान पर प्रकाश डालने के लिये किया है जो रेडियो तरंग दैर्ध्य में प्रकाशमान है।

प्रमुख बिंदु:

  • खगोलीय आरंभ काल के बारे में नई जानकारी ने शुरुआती रेडियो लाउड आकाशगंगाओं की विशेषताओं की जानकारी दी जो आमतौर पर सुपरमैसिव ब्लैक होल द्वारा संचालित होती हैं।
  • SARAS 3 द्वारा खगोलविदों को यह जानकारी मिली थी कि खगोलीय निर्माण की प्रारंभिक अवस्था में आकाशगंगाओं के भीतर 3% से भी कम गैसीय पदार्थ सितारों में परिवर्तित हो गए थे, और यह कि सबसे शुरुआती आकाशगंगाएँ जो रेडियो उत्सर्जन में चमकीली थीं, उनमे एक्स-रे में भी प्रधानता थीं। इससे प्रारंभिक आकाशगंगा और उसके आसपास के ब्रह्मांडीय गैस में ऊष्मा पैदा हुई।

SARAS 3 रेडियो टेलीस्कोप:

  • SARAS ‘रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (RRI) का एक उच्च-जोखिम वाला उच्च-लाभ प्रायोगिक प्रयास है।
    • SARAS 3 को वर्ष 2020 की शुरुआत में कर्नाटक के दंडिगनहल्ली झील और शरवती बैकवाटर पर तैनात किया गया था।
  • SARAS का लक्ष्य भारत में एक ऐसे सटीक रेडियो टेलीस्कोप का डिज़ाइन, निर्माण और स्थापना है जिससे प्रारंभिक ब्रह्मांड में विकसित तारों और आकाशगंगाओं  से संबंधित रेडियो तरंग संकेतों का पता लगाया जा सके।

रेडियो तरंगें और रेडियो टेलीस्कोप:

  • रेडियो तरंगें:
    • विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम में रेडियो तरंगों की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है। ये एक फुटबॉल के आकार से लेकर पृथ्वी (ग्रह) के समान विशाल आकार तक हो सकती हैं। रेडियो तरंगों की खोज वर्ष 1880 के दशक के अंत में हेनरिक हर्ट्ज़ (Heinrich Hertz) ने की थी। 
    • रेडियो स्पेक्ट्रम की रेंज 3 किलोहर्ट्ज़ से 300 गीगाहर्ट्ज़ तक मानी जाती है।
  • रेडियो टेलीस्कोप:
    • रेडियो टेलीस्कोप की मदद से दुर्बल रेडियो प्रकाश तरंगों को एकत्र किया जाता है और उनकी केंद्रीयता बढ़ाकर इनका उपयोग विश्लेषण हेतु किया जाता है।
    • ये तारों, आकाशगंगाओं, ब्लैक होल और अन्य खगोलीय पिंडों से प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले रेडियो प्रकाश का अध्ययन करने में मददगार साबित होती हैं।
    • ये विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए टेलीस्कोप प्रकाश की सबसे दीर्घ तरंगदैर्ध्य का निरीक्षण करते हैं जो 1 मिलीमीटर से लेकर 10 मीटर से अधिक लंबी होती हैं। तुलना के लिये दृश्यमान प्रकाश तरंगें केवल कुछ सौ नैनोमीटर लंबी होती हैं। एक नैनोमीटर कागज़ के एक टुकड़े की मोटाई का केवल 1/10,000वाँ हिस्सा होता है। वास्तव में हम आमतौर पर रेडियो प्रकाश को उसकी तरंगदैर्ध्य से नहीं बल्कि उसकी आवृत्ति से संदर्भित करते हैं।

स्रोत:द हिंदू

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