समुद्रयान मिशन | 30 Oct 2021
हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन “समुद्रयान” लॉन्च किया है।
- भारत इस प्रमुख महासागर मिशन में अमेरिका, रूस, फ्राँस, जापान और चीन जैसे देशों के साथ ‘इलीट क्लब’ में शामिल हो गया, जिनके पास ऐसी गतिविधियों के लिये विशिष्ट तकनीक और वाहन उपलब्ध हैं।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह भारत का पहला अद्वितीय मानवयुक्त महासागर मिशन है जिसका उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिजों के खनन के लिये पनडुब्बी के माध्यम से व्यक्तियों को भेजना है।
- यह गहरे पानी के नीचे अध्ययन के लिये तीन व्यक्तियों को मत्स्य 6000 नामक मानवयुक्त पनडुब्बी में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजेगा।
- पनडुब्बियाँ केवल 200 मीटर तक की गहराई तक जाती हैं।
- यह 6000 करोड़ रुपए के ‘डीप ओशन मिशन’ का हिस्सा है।
डीप ओशन मिशन
- इसे जून 2021 में MoES द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसका उद्देश्य समुद्रीय संसाधनों का पता लगाना तथा समुद्रीय संसाधनों के सतत् उपयोग के लिये गहरे समुद्र में प्रौद्योगिकियों का विकास करना और भारत सरकार की ब्लू इकॉनमी पहल का समर्थन करना है।
- पाँच वर्ष की अवधि में मिशन की कुल अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है और इसे विभिन्न चरणों में लागू किया जाएगा।
- मत्स्य 6000:
- यह स्वदेशी रूप से विकसित मानवयुक्त सैन्य पनडुब्बी है।
- यह MoES को गैस हाइड्रेट्स, पॉलीमेटेलिक मैंगनीज़ नोड्यूल, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की प्राप्ति हेतु गहरे समुद्र में अन्वेषण करने में सुविधा प्रदान करेगा जो कि 1000 और 5500 मीटर के बीच की गहराई पर पाए जाते हैं।
- पॉलीमेटेलिक नोड्यूल जिसे मैंगनीज़ नोड्यूल भी कहा जाता है, एक कोर के चारों ओर लोहे व मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड की संकेंद्रित परतों से निर्मित समुद्र तल पर स्थित खनिज होते हैं।
- महत्त्व:
- इससे स्वच्छ ऊर्जा, पेयजल और नीली अर्थव्यवस्था हेतु समुद्री संसाधनों का पता लगाने के लिये और अधिक विकास के रास्ते खुलेंगे।
- विकसित देश पहले भी इसी तरह के समुद्री मिशन पूर्ण कर चुके हैं। भारत विकासशील देशों में पहला देश है जिसने गहरे समुद्र में मिशन को अंजाम दिया है।
- अन्य संबंधित पहलें