लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

सेलफिन कवचयुक्त कैटफिश

  • 18 May 2024
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में CSIR-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि आक्रामक कवच युक्त सेलफिन कैटफिश (Sailfin Armoured Catfish) पूर्वी घाट के 60% जल निकायों में पाई जाती है, जिससे मछली पकड़ने वाले जाल को नुकसान तथा पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो रहा है।

Sailfin Catlfish

सेलफिन कैटफिश के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • सेलफिन कवच युक्त कैटफिश, दक्षिण अमेरिका के लोरिकारिडे (Loricariidae) के जीनस पर्टिगोप्लिचथिस (Pterygoplichthys) से संबंधित कई रूप से समान प्रजातियों का एक समूह है, जिसे दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय मीठे जल क्षेत्रों के वातावरण में व्यापक रूप से देखा गया है और इसने गंभीर पारिस्थितिक प्रभाव पैदा किये हैं।
    • यह सबसे गंभीर आक्रामक प्रजातियों में से एक है।
      • भारत में मछली की प्रजाति को मूल रूप से इसकी विशिष्ट उपस्थिति और टैंकों तथा एक्वैरियम में शैवाल के विकास को हटाने की क्षमता के लिये जाना जाता था, लेकिन तब से इसकी आबादी में वृद्धि हुई है।
  • विशेषताएँ:
    • सेलफिन कैटफिश के सिर पर गहरे-सुनहरे रंग के कृमि जैसे काले निशान, खुरदरी सतह वाले मज़बूत पेक्टोरल पंख, और एक डिस्क जैसा उभरा हुआ मुख होता है जो शैवाल को तोड़ने और खाने के लिये अंदर की ओर खींचती (सक्शन कप) हैं
    • मादा मछलियाँ आमतौर पर छोटी होती हैं, जबकि 18 इंच से बड़ी मछलियाँ नर होती हैं। 
  • प्राकृतिक वास
    • सेलफिन कैटफिश धीमी गति से प्रवाहित होने वाले जल निकायों में रहती है और आमतौर पर तट के पास तथा उथले जल में पाई जाती है। 
    • वे तटरेखाओं के किनारे अंडे देने के लिये बिल का निर्माण करती हैं और कभी-कभी नहरों के किनारों तथा झीलों की तटरेखाओं को नष्ट कर देती हैं।
  • आयु एवं वृद्धि:
    • इनकी लंबाई 20 इंच से अधिक और वजन 3.0 पाउंड तक होता है। 

eDNA आधारित मात्रात्मक PCR परख 

  • यह आक्रामक प्रजातियों की उपस्थिति और प्रसार का अनुमान लगाने के लिये CSIR-सेलुलर और आणविक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) द्वारा विकसित एक अनूठी तकनीक है।
    • एक नए पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश करने पर आक्रामक प्रजातियाँ तेज़ी से वृद्धि कर सकती हैं और इन क्षेत्रों में शिकारियों की कमी होती है जो इस पर निर्भर नए पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका के लिये खतरा उत्पन्न करते हैं। 
  • eDNA जल के नमूनों से एकत्र किया गया पर्यावरणीय DNA है।
  • यह तकनीक आक्रामक प्रजातियों का शीघ्र पता लगाने में सहायता करती है, जो आक्रामक प्रजातियों के प्रबंधन के लिये चल रहे प्रयासों में योगदान देती है और प्रत्यक्ष देशी एवं आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण मछलियों के अस्तित्त्व के लिये लाभदायक होती है। 
    • पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने, मछली पकड़ने के नुकसान को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन का समर्थन करने के लिये आक्रामक मछली का शीघ्र पता लगाना आवश्यक है।
  • eDNA दृष्टिकोण विश्वसनीय, सटीक, लागत प्रभावी और पूर्वी घाट जल निकायों जैसे बड़े परिदृश्यों के लिये उपयुक्त है। यह एक प्रयोगशाला परीक्षण में आक्रामक प्रजातियों की उपस्थिति के लिये लगभग 20 जल निकायों का परीक्षण कर सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. हाल ही में हमारे वैज्ञानिकों ने केले के पौधे की एक नई और भिन्न प्रजाति की खोज की है जिसकी ऊँचाई लगभग11 मीटर तक होती है और उसके फल का गूदा नारंगी रंग का होता है। यह भारत के किस भाग में खोजी गई है?

(a) अंडमान द्वीप
(b) अन्नामलई वन
(c) मैकल पहाड़ियाँ
(d) पूर्वोत्तर उष्णकटिबंधीय वर्षावन

उत्तर: (a)


प्रश्न. जीवों के निम्नलिखित प्रकारों पर विचार कीजिये :

  1. कॉपिपोड
  2. साइनोबैक्टीरिया
  3. डायटम
  4. फोरैमिनिफेरा

उपर्युक्त में से कौन-से जीव महासागरों की आहार शृंखलाओं में प्राथमिक उत्पादक हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (b)


प्रश्न. सजीवों के विकास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा क्रम सही है? (2009)

(a) ऑक्टोपस - डॉल्फिन - शार्क
(b) पैंगोलिन - कछुआ - बाज़
(c) सैलामैंडर - पायथन - कंगारू
(d) मेंढक - केकड़ा - झींगा

उत्तर: (c)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2