SAARC वीज़ा छूट योजना | 24 Apr 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तानी नागरिकों के लिये दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) वीज़ा छूट योजना (SVES) को रद्द कर दिया है।
- यह सीमापार आतंकवाद को पाकिस्तान द्वारा लगातार दिये जा रहे समर्थन के प्रति दृढ़ कूटनीतिक प्रतिक्रिया है।
सार्क वीज़ा छूट योजना क्या है?
- SVES: वर्ष 1988 में इस्लामाबाद में आयोजित चौथे SAARC शिखर सम्मेलन के निर्णय के आधार पर वर्ष 1992 में शुरू किया गया। इसे SAARC देशों के लोगों के बीच संपर्क और क्षेत्रीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- उद्देश्य: यह सदस्य देशों के कुछ व्यक्तियों को विशेष यात्रा दस्तावेज़ का उपयोग करके बिना वीज़ा के यात्रा करने की अनुमति देता है।
- इसमें गणमान्य व्यक्ति, न्यायाधीश, सांसद, अधिकारी, व्यवसायी, पत्रकार और खिलाड़ी सहित 24 श्रेणियाँ शामिल हैं।
- वैधता: प्रत्येक SAARC सदस्य देश द्वारा अपने देश के पात्र व्यक्तियों को वीज़ा स्टिकर जारी किये जाते हैं, जो सामान्यतः एक वर्ष के लिये वैध होते हैं और अप्रवासन अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से उनकी समीक्षा की जाती है।
- भारत के लिये विशेष प्रावधान: नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में प्रवेश के लिये वीज़ा की आवश्यकता नहीं है। पाकिस्तानी नागरिकों के लिये, केवल कुछ श्रेणियों के लिये ही मल्टी-एंट्री बिज़नेस वीज़ा की पात्रता थी, जो शुरू में एक वर्ष के लिये वैध था और 10 स्थानों तक सीमित था।
- वर्ष 2015 में भारत ने नियमों में संशोधन किया, जिसके तहत विशेष श्रेणी के पाकिस्तानी व्यापारियों को तीन वर्ष तक के लिये वैध मल्टी-एंट्री वीज़ा की अनुमति दी गई, जो 15 निर्दिष्ट स्थानों तक सीमित था।
- SAARC देशों में श्रीलंकाई नागरिक ई-पर्यटक वीज़ा सुविधा के लिये पात्र थे।
- भारतीय नागरिकों को नेपाल और भूटान जाने के लिये वीज़ा की आवश्यकता नहीं होती है जबकि अन्य SAARC देश भारतीय नागरिकों को बिज़नेस वीज़ा की सुविधा प्रदान करते हैं।
- भारत द्वारा पाकिस्तान के लिये SVES को निरस्त करना: CCS ने अधिसूचित किया कि पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किये गए सभी SAARC वीज़ा अब अमान्य हैं तथा जो लोग इस योजना के तहत वर्तमान में भारत में हैं, उन्हें देश छोड़ना होगा।
नोट: भारत ने वर्ष 2019 में पाकिस्तान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के संचालन की रूपरेखा को रेखांकित किया गया, जिससे भारतीय सिखों को पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीज़ा-मुक्त तीर्थयात्रा की अनुमति प्राप्त हुई।
सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS)
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली CCS में वित्त, रक्षा, गृह और विदेश मंत्री शामिल होते हैं। अन्य सदस्यों में रक्षा प्रमुख और वरिष्ठ नौकरशाह शामिल हो सकते हैं।
- यह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा ढाँचे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा रक्षा, विधि और व्यवस्था तथा विदेशी कार्यों से संबंधित महत्त्वपूर्ण मामलों का प्रबंधन करती है।
- CCS की पहली बैठक वर्ष 1947-48 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुई थी। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद, इसे औपचारिक संरचना दी गई और रक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भारत की सर्वोच्च निर्णायक संस्था बनाया गया।
- CCS की बैठक वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 के IC 814 हाईजैक (कंधार हाईजैक) जैसी क्रांतिक घटनाओं के दौरान हुई थी।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:प्रश्न. “भारत में बढ़ते हुए सीमापारीय आतंकी हमले और अनेक सदस्य-राज्यों के आंतरिक मामलों में पाकिस्तान द्वारा बढ़ता हुआ हस्तक्षेप SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के भविष्य के लिये सहायक नहीं है।” उपयुक्त उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये। (2016) |