पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, RHUMI-1 | 05 Sep 2024

स्रोत : द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत ने हाल ही में अपना पहला पुन: प्रयोज्य (Reusable) हाइब्रिड रॉकेट, RHUMI-1 लॉन्च किया, जिसे तमिलनाडु स्थित स्टार्ट-अप स्पेस ज़ोन इंडिया द्वारा विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर अनुसंधान के लिए डेटा एकत्र करना है।

  • 3 क्यूब सैटेलाइट और 50 PICO सैटेलाइट ले जाने वाले इस रॉकेट को मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करके उपकक्षीय प्रक्षेप-पथ (suborbital trajectory) में लॉन्च किया गया।

नोट:

  • क्यूब सैटेलाइट नैनो सैटेलाइट होते हैं, जिनका वज़न 1 से 10 किलोग्राम के बीच होता है।
  • पिको सैटेलाइट छोटे सैटेलाइट होते हैं, जिनका वज़न 0.1 से 1 किलोग्राम तक होता है।

RHUMI-1 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • हाइब्रिड प्रणोदन प्रणाली: RHUMI-1 ठोस और तरल प्रणोदक दोनों को एकीकृत करता है, जिससे दक्षता बढ़ती है एवं परिचालन लागत कम होती है।
  • एडजस्टेबल लॉन्च एंगल: इंजन 0 से 120 डिग्री तक के एडजस्टेबल एंगल के साथ सटीक प्रक्षेप पथ नियंत्रण की अनुमति देता है।
  • इलेक्ट्रिकली ट्रिगर पैराशूट सिस्टम: इसमें उन्नत और पर्यावरण के अनुकूल अवरोही तंत्र (descaling mechanism) है, जो रॉकेट घटकों की सुरक्षित रिकवरी सुनिश्चित करता है, जिससे लागत-प्रभावशीलता तथा पर्यावरणीय लाभ दोनों मिलते हैं।
  • पर्यावरण के अनुकूल: यह पूरी तरह से पायरोटेक्निक्स (आतिशबाज़ी) और TNT (ट्रिनिट्रोटोल्यूइन) से मुक्त है, जो विस्फोटकों में प्रयोग होने वाला एक गंधहीन पीला ठोस पदार्थ है, जो स्थिरता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

नोट: 

  • डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम छात्र उपग्रह प्रक्षेपण मिशन: वर्ष 2023 में इस मिशन में भारत के सरकारी, आदिवासी और पब्लिक स्कूलों के 2,500 से अधिक छात्र शामिल थे, जिन्होंने एक ऐसे रॉकेट के डिज़ाइन और निर्माण में भाग लिया, जो अनुसंधान प्रयोगों के लिये 150 PICO उपग्रहों को ले जा सके।

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV) क्या हैं?

  • परिचय:
    • पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV) ऐसे अंतरिक्ष यान हैं, जिन्हें कई बार प्रक्षेपित, पुनर्प्राप्त और पुनः प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया है।
  • लाभ:
    • लागत बचत: प्रत्येक लॉन्च के लिये एक नया रॉकेट बनाने की तुलना में 65% तक सस्ता है ।
    • अंतरिक्ष मलबे को कम करता है: अनुपयोगी रॉकेट घटकों को कम करके।
    • लॉन्च की आवृत्ति में वृद्धि: कम समयावधि के कारण रॉकेट का उपयोग अधिक बार किया जा सकता है।
  • मल्टी-स्टेज रॉकेट से अलग:
    • एक सामान्य मल्टी-स्टेज रॉकेट में वज़न कम करने के लिये ईंधन समाप्त होने के बाद पहले चरण को त्याग दिया जाता है, जिससे शेष चरण पेलोड को कक्षा में आगे बढ़ाना जारी रख सकते हैं।
    • हालांकि RLV पहले चरण को पुनर्प्राप्त और पुन: उपयोग करते हैं। ऊपरी चरणों से अलग होने के बाद पहला चरण नियंत्रित लैंडिंग के लिये इंजन या पैराशूट का उपयोग करके वापस पृथ्वी पर लैंड करता है।

और पढ़ें: पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLV से वे उपग्रह प्रमोचित किये जाते हैं जो पृथ्वी संसाधनों के मानिटरन उपयोगी हैं जबकि GSLV को मुख्यतः संचार उपग्रहों को प्रमोचित करने के लिये अभिकल्पित किया गया है।
  2. PSLV द्वारा प्रमोचित उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर रहते प्रतीत होते हैं जैसा कि पृथ्वी के एक विशिष्ट स्थान से देखा जाता है।
  3. GSLV Mk III, एक चार स्टेज वाला प्रमोचन वाहन है, जिसमें प्रथम और तृतीय चरणों में ठोस रॉकेट मोटरों का तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरणों में द्रव रॉकेट इंजनों का प्रयोग होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) 2 और 3
(c) 1 और 2
(d) केवल 3

उत्तर: (a)