रैपिड फायर
नागोर्नो-काराबाख संघर्ष का समाधान
- 18 Mar 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
आर्मेनिया और अज़रबैजान ने शांति समझौते को अंतिम रूप दिया, जो नागोर्नो-काराबाख संघर्ष पर शत्रुता समाप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- संघर्ष: सोवियत काल के दौरान, नागोर्नो-काराबाख मुस्लिम बहुल अज़रबैजान में स्वायत्त क्षेत्र था, लेकिन इसकी अर्मेनियाई आबादी (ईसाई) ने आर्मेनिया के साथ एकीकरण की मांग की।
- सोवियत संघ के पतन के साथ यह संघर्ष युद्ध में परिणत हुआ (1988-1994)।
- वर्ष 1994 के युद्ध विराम के बाद नागोर्नो-काराबाख पर अर्मेनियाई समर्थित नियंत्रण स्थापित हुआ (लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह अज़रबैजान का भाग रहा)।
- प्रमुख संघर्ष:
- प्रथम नागोर्नो-काराबाख युद्ध (1988-1994): अर्मेनिया ने नागोर्नो-काराबाख और निकटवर्ती अज़रबैजानी क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- दूसरा नागोर्नो-काराबाख युद्ध (2020): अज़रबैजान ने संबद्ध क्षेत्र के व्यापक हिस्से पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।
- अज़रबैजानी आक्रमण (2023): अज़रबैजान ने एक दिवसीय ऑपरेशन में पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया और एन्क्लेव (विदेशी अंतः क्षेत्र) को आधिकारिक रूप से भंग कर दिया गया।
- नागोर्नो-काराबाख की लगभग पूरी आबादी यानी एक लाख से अधिक व्यक्तियों ने अर्मेनिया में पलायन किया।
- भारत किसी का पक्षधर नहीं है, बल्कि OSCE मिंस्क समूह के माध्यम से राजनयिक समाधान का समर्थन करता है।
- आर्मेनिया और अज़रबैजान अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का हिस्सा हैं, जो भारत के व्यापार मार्गों के लिये एक प्रमुख परियोजना है।
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