स्वामित्व योजना रिपोर्ट | 11 Nov 2022
हाल ही में मध्य प्रदेश में स्वामित्व (SVAMITVA) योजना और ग्रामीण नियोजन पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान स्वामित्व योजना पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की गई।
- रिपोर्ट में उन मार्गदर्शक सिद्धांतों का प्रावधान किया गया है जिन्हें राज्य समग्र रूप से स्वामित्व योजना के उद्देश्यों को साकार करने के लिये अपना सकते हैं।
प्रमुख बिंदु
- विशेषज्ञ समिति के संदर्भ में:
- विशेषज्ञ समिति का गठन वर्ष 2022 में किया गया जिसमें भूमि शासन, बैंकिंग, भारतीय सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), राज्य राजस्व और पंचायती राज विभागों, उद्योग एवं प्रमुख योजनाओं तथा वास्तुकला संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल थे।
- रिपोर्ट की सिफारिशें:
- योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाली प्रणालियों का निर्माण करना।
- बैंक से ऋण प्राप्त करने के ‘अधिकारों के रिकॉर्ड' को अपनाने को बढ़ावा देना।
- संपत्ति कर निर्धारण और संग्रह से संबंधित सूचित निर्णय लेने के लिये विभिन्न विभागों के बीच संबंधों को मज़बूत करना।
- नए भू-स्थानिक दिशा-निर्देशों के अनुसार सरकारी और निजी एजेंसियों द्वारा स्वामित्व डेटा-सेट को व्यापक रूप से अपनाना।
- RADPFI (ग्रामीण क्षेत्र विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन) दिशा-निर्देशों एवं सटीक ग्राम स्तर-योजना के लिये स्वामित्व डेटा को अपनाना।
- राज्य, ज़िला और ब्लॉक स्तर पर GIS कौशल क्षमता बढ़ाना।
स्वामित्व योजना:
- परिचय:
- स्वामित्व का मतलब गाँवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में तात्कालिक प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण है।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे 24 अप्रैल, 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया था।
- नोडल मंत्रालय:
- पंचायती राज मंत्रालय (MoPR)।
- भारतीय सर्वेक्षण विभाग एक प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन एजेंसी है।
- उद्देश्य:
- ग्रामीण भारत के लिये एक एकीकृत संपत्ति सत्यापन समाधान प्रदान करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में घर के मालिकोंं को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करना और संपत्ति कार्ड जारी करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों का सीमांकन ड्रोन सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किया जाएगा।
- विशेषता:
- ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों का सीमांकन CORS (सतत् संचालन संदर्भ स्टेशन) नेटवर्क का उपयोग करके किया जाएगा जो 5 सेमी. तक की मानचित्रण सटीकता प्रदान करता है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले और घर का स्वामित्त्व रखने वाले घर के मालिकों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान करेगा।
- यह वर्ष 2021-2025 के दौरान पूरे देश के लगभग 6.62 लाख गाँवों को कवर करेगा।
- ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों का सीमांकन CORS (सतत् संचालन संदर्भ स्टेशन) नेटवर्क का उपयोग करके किया जाएगा जो 5 सेमी. तक की मानचित्रण सटीकता प्रदान करता है।
- संपत्ति कार्ड का नामकरण:
- संपत्ति कार्ड को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे; हरियाणा में ‘टाइटल डीड’ (Title Deed), ‘कर्नाटक में रूरल प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड्स’ (Rural Property Ownership Records- RPOR), मध्य प्रदेश में ‘अधिकार अभिलेख’ (Adhikar Abhilekh), महाराष्ट्र में ‘सनद’ (Sannad), उत्तराखंड में ‘स्वामित्व अभिलेख’ (Svamitva Abhilekh) तथा उत्तर प्रदेश में ‘घरौनी’ (Gharauni)।