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अपशिष्ट जल से विषाक्त क्रोमियम का निष्कासन

  • 06 Sep 2024
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Institute of Nano Science and Technology-INST), मोहाली के शोधकर्त्ताओं ने माइक्रोफ्लुइडिक प्रौद्योगिकी (बहुत छोटे पैमाने पर तरल पदार्थों का रूपांतरण व नियंत्रण) के संयोजन में "सूर्य के प्रकाश" का उत्प्रेरक के रूप में उपयोग करते हुए उद्योगों के अपशिष्ट जल से विषाक्त क्रोमियम को निष्कासित करने के लिये एक अभिनव विधि विकसित की है।

  • हेक्सावेलेंट क्रोमियम (Cr(VI)) अत्यधिक विषाक्त होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) की रिपोर्टों के अनुसार, पेयजल में हेक्सावेलेंट और ट्राइवेलेंट क्रोमियम की सहनीय सांद्रता 0.05 मिग्रा./ली. और 5 मिग्रा./ली. है। इस प्रकार क्रोमियम के इस हेक्सावलेंट रूप को ट्राइवेलेंट रूप में लाना अनिवार्य हो जाता है।
    • ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर द्वारा ट्राइवेलेंट क्रोमियम का अवशोषण हेक्सावेलेंट क्रोमियम की तुलना में कम सरलता से होता है, इसलिये हेक्सावेलेंट क्रोमियम को ट्राइवेलेंट क्रोमियम के रूप में लाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • Cr(VI) के निष्कासन हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली पारंपरिक विधियाँ, जैसे आयन विनिमय (ion exchange), अधिशोषण (adsorption) और जीवाणु न्यूनीकरण (bacterial reduction) महँगी तथा प्रायः प्रभावहीन होती हैं।
    • INST के शोधकर्त्ताओं ने Cr(VI) को कम हानिकारक ट्राइवेलेंट रूप में परिवर्तित करने के लिये माइक्रोफ्लुइडिक तकनीक और TiO2 नैनोकणों के संयोजन में उत्प्रेरक के रूप में सूर्य के प्रकाश का उपयोग किया है। इस विधि ने अपघटन में 95% दक्षता प्रदर्शित की है।
  • नैनोटेक्नोलॉजी, परमाणु या आणविक पैमाने, जो आमतौर पर 1 से 100 नैनोमीटर के बीच होता है, पर पदार्थ में परिवर्तन लाने का विज्ञान है।
    • इसके विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोग हैं, जिनमें शामिल हैं: बायोमेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक्स, जल और मृदा से प्रदूषकों एवं विषाक्त पदार्थों को हटाना, सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य विज्ञान आदि।

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