प्रारंभिक परीक्षा
अमर जवान ज्योति राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थानांतरित
- 22 Jan 2022
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एक ऐतिहासिक कदम के तहत अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ज्वाला/नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्वाला (National War Memorial Flame) में विलय हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- अमर जवान ज्योति:
- इसे वर्ष 1972 में स्थापित किया गया था यह वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत को चिह्नित करने से संबंधित थी, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
- दिसंबर 1971 में भारत द्वारा पाकिस्तान को हराने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस पर वर्ष 1972 में इसका उद्घाटन किया था।
- मध्य दिल्ली में इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति पर शाश्वत लौ स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न युद्धों और संघर्षों में देश के लिय शहीद हुए सैनिकों को देश की श्रद्धांजलि का एक प्रतिष्ठित प्रतीक था।
- इंडिया गेट स्मारक ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1914-1921 के बीच अपनी जान गँवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था।
- स्थानांतरण के कारण:
- इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल कुछ शहीदों के हैं जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेज़ो के लिये लड़ाई लड़ी थी तथा इस प्रकार यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।
- वर्ष 1971 इसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लिखे गए हैं।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक:
- इसका उद्घाटन वर्ष 2019 में किया गया, यह इंडिया गेट से लगभग 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।
- इसमें मुख्य तौर पर चार संकेंद्रित वृत्त शामिल हैं, जिनका नाम है:
- ‘अमर चक्र’ या अमरता का चक्र,
- ‘वीरता चक्र’ या वीरता का चक्र,
- ‘त्याग चक्र’ या बलिदान का चक्र और
- ‘रक्षक चक्र’ या सुरक्षा का चक्र।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का प्रस्ताव पहली बार 1960 के दशक में बनाया गया था।
- यह स्मारक उन सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1947, वर्ष 1965 तथा वर्ष 1971 में भारत-पाक युद्धों, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना अभियानों और वर्ष 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान देश की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दी थी।
- राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सैनिकों को भी याद करता है, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, मानवीय सहायता आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन, आतंकवाद विरोधी अभियान और कम तीव्रता वाले संघर्ष संचालन (एलआईसीओ) में भाग लिया और सर्वोच्च बलिदान दिया।