संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था पुनःस्थापित | 19 Dec 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से विदेशी घुसपैठ के कारण बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के कारण मणिपुर, मिज़ोरम और नगालैंड में संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था (PAR) को पुनः लागू कर दिया है।
- यह निर्णय विदेशी गतिविधियों पर नज़र रखने तथा इन संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समाधान पर सरकार के नए दृष्टिकोण को दर्शाता है।
संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था क्या है?
- PAR: यह विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958 के तहत स्थापित विनियमों का एक समूह है, जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में विदेशी आगंतुकों को विनियमित करना है जिन्हें रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण या बाहरी खतरों के प्रति संवेदनशील माना जाता है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और भारत के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में।
- PAR की मुख्य विशेषताएँ:
- प्रतिबंधित प्रवेश: विदेशियों को पूर्व सरकारी अनुमति के बगैर PAR के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं है।
- इन क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिये उन्हें संरक्षित क्षेत्र परमिट (PAP) के लिये आवेदन करना होगा और उसे प्राप्त करना होगा, जो अधिकारियों को संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी नागरिकों की आवागमन पर नज़र रखने की अनुमति देता है।
- PAR द्वारा कवर किये गए क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकट होने, या जातीय उन्माद, उग्रवाद या राजनीतिक अस्थिरता के कारण संवेदनशील माना जाता है।
- शिथिलता और पुनःस्थापन: अतीत में कुछ क्षेत्रों में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये अस्थायी शिथिलता प्रदान की गई है, जैसे मणिपुर, मिज़ोरम और नगालैंड, जहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2010 में PAR में शिथिलता दी गई थी।
- हालाँकि, जब सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उत्पन्न हुईं तो ऐसी छूट वापस ले ली गई, जैसा कि हाल ही में इन राज्यों में PAR को पुनः लागू करने के मामले में देखा गया।
- प्रतिबंधित प्रवेश: विदेशियों को पूर्व सरकारी अनुमति के बगैर PAR के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं है।
विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958
- विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 के अंतर्गत निर्गत विदेशी (संरक्षित क्षेत्र) आदेश, 1958, भारत के संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशियों के आवागमन के विनियमन के उद्देश्य से निर्मित एक प्रमुख नियामक ढाँचा है ।
- इसमें 'इनर लाइन' को यथापरिभाषित किया गया है, जो जम्मू-कश्मीर से मिज़ोरम तक की सीमा है, जिसके आगे जाने के लिये विदेशी यात्रियों को विशेष परमिट लेना आवश्यक होता है।
- किसी राज्य की इनर लाइन और राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बीच आने वाले सभी क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- विदेशी नागरिक इन क्षेत्रों में केवल PAP के साथ ही प्रवेश कर सकते हैं। संरक्षित क्षेत्रों में संपूर्ण अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड और सिक्किम (आंशिक रूप से संरक्षित क्षेत्र और आंशिक रूप से प्रतिबंधित क्षेत्र में सम्मिलित) शामिल हैं।
- इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को संरक्षित क्षेत्र के रूप में अभिहित किया गया है।
- इनर लाइन और मूल जनजातियों के कब्जे वाले इलाकों के बीच आने वाले सभी क्षेत्रों को प्रतिबंधित क्षेत्र कहा जाता है। इन क्षेत्रों में बिना पूर्व अनुमति (प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट) के प्रवेश वर्जित है।
- प्रतिबंधित क्षेत्रों में संपूर्ण अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, केंद्रशासित प्रदेश और सिक्किम राज्य का एक भाग शामिल है।
- किसी राज्य की इनर लाइन और राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के बीच आने वाले सभी क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है।