विनियमन समीक्षा प्राधिकरण | 14 Jun 2022
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के विनियमन समीक्षा प्राधिकरण (RRA) ने उन 714 नियामक निर्देशों को वापस लेने की सिफारिश की है जो या तो अप्रचलित या अप्रासंगिक हो गए हैं।
- यह विभिन्न मुद्दों पर RRA 2.0 की सिफारिशों का हिस्सा है, जैसे कि-
- अनुपालन में आसानी
- नियामक बोझ में कमी
- रिपोर्टिंग तंत्र का युक्तिकरण
- निर्देश और संचार को सुव्यवस्थित करना
RRA 2.0 की सिफारशें:
- प्रपत्र-आधारित रिटर्न को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है और 65 नियामक रिटर्न की पहचान की गई है जिन्हें या तो बंद कर दिया जाना चाहिये या अन्य रिटर्न के साथ विलय कर दिया जाना चाहिये या ऑनलाइन रिटर्न में परिवर्तित किया जाना चाहिये।
- हाल के परिपत्रों के साथ संरेखण हेतु वर्जित-समय और पुराने नियमों की समीक्षा तथा निरसन को लिया जा सकता है तथा इस अभ्यास को इस तरह से संस्थागत किया जा सकता है कि केवल वर्तमान एवं अद्यतन निर्देश सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हो सकें।
- RRA द्वारा तीन वर्षों में कम-से-कम एक बार नियामक या पर्यवेक्षी रिटर्न की आवधिक समीक्षा का प्रस्ताव दिया गया है।
- नियामक, पर्यवेक्षी और सांविधिक विवरणियों से संबंधित सभी जानकारी को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर एक ही स्रोत पर समेकित करने हेतु RBI की वेबसाइट पर एक अलग 'नियामक रिपोर्टिंग' पेज हो।
विनियम समीक्षा प्राधिकरण:
- पृष्ठभूमि:
- RBI ने 1 अप्रैल, 1999 से एक वर्ष की अवधि के लिये पहला RRA स्थापित किया था।
- यह जनता, बैंकों और वित्तीय संस्थानों की प्रतिक्रिया के आधार पर विनियमों, परिपत्रों, रिपोर्टिंग प्रणालियों की समीक्षा करेगा।
- RRA 2.O:
- RRA 2.0 विनियमों के तहत संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करते हुए नियामक निर्देशों को सुव्यवस्थित करने का प्रयास करता है। RRA 2.0 प्रक्रियाओं को सरल बनाकर और जहांँ भी संभव हो रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कम करके इसे प्राप्त करेगा।
- RBI ने विनियमित संस्थाओं पर अनुपालन बोझ को कम करने और नियामक निर्देशों को कारगर बनाने के लिये वर्ष 2021 में RRA 2.0 की स्थापना की थी।
- RRA 2.0 की संदर्भ शर्तें:
- यह नियामक निर्देशों को सुव्यवस्थित करने, जहाँ भी संभव हो रिपोर्टिंग की प्रक्रियाओं तथा आवश्यकताओं को कम करके और विनियमित संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करने आदि विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- इसके अलावा यह विनियमित संस्थाओं से भी प्रतिपुष्टि प्राप्त करेगा।
- RRA रिपोर्टिंग तंत्र को सुव्यवस्थित करके विनियमित संस्थाओं पर अनुपालन बोझ को कम करेगा; यदि आवश्यक हो तो अप्रचलित निर्देशों को रद्द करेगा।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के परिपत्रों/अनुदेशों के प्रसार की प्रक्रिया में अपेक्षित परिवर्तनों की जांँच करना और उन पर सुझाव देना।
- प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिये सभी विनियमित संस्थाओं और अन्य हितधारकों के साथ आंतरिक एवं बाह्य रूप से संलग्न होना।