रेड कोलोबस | 17 May 2024

स्रोत: डाउन टू अर्थ

हाल ही में हुए अध्ययन से पता चला है कि अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाले बंदरों की एक दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजाति रेड कोलोबस को अपने अस्तित्व को बचाने के लिये जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है तथा यह प्रजाति वर्तमान में विलुप्त होने की कगार पर है।

  • ये बंदर "संकेतक प्रजाति" के रूप में कार्य करते हैं, जिसका अर्थ है कि उनकी उपस्थिति और कल्याण वन पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र स्वास्थ्य को दर्शाते हैं।
  • कोलोबाइन मुख्यतः पत्ती खाने वाले होते हैं। वे बीज वितरण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा विविध पौधों के जीवन के पुनर्जनन में योगदान करते हैं।
    • उनका अद्वितीय पाचन तंत्र उन्हें विभिन्न पौधों की प्रजातियों की निरंतरता सुनिश्चित करते हुए, बीजों का उपभोग और वितरण करने की अनुमति देता है।
  • अफ्रीका महाद्वीप में सेनेगल से ज़ंज़ीबार द्वीपसमूह तक फैली हुई, यहाँ रेड कोलोबस की 17 प्रजातियाँ हैं (यदि उप-प्रजातियाँ गिना जाए तो इनकी संख्या 18 है)।

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