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वित्त वर्ष 2022-23 के लिये भारत में निवेश के रुझान पर RBI का अध्ययन

  • 22 Aug 2023
  • 4 min read

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का हालिया अध्ययन वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में पूंजी निवेश के राज्य-वार वितरण पर प्रकाश डालता है।

  • अध्ययन उन भौगोलिक और क्षेत्रीय रुझानों की जाँच करता है जो देश भर में परियोजना वित्तपोषण के परिदृश्य को आकार देते हैं।

अध्ययन की मुख्य बातें: 

  • निवेश में वृद्धि और पूंजी परिव्यय:
    • अप्रैल 2022 से RBI द्वारा रेपो दर में 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बीच जुलाई 2023 में ऋण में 19.7% की वृद्धि हुई, जो निवेश के क्षेत्र में मज़बूती का संकेत देती है।
    • कुल पूंजी परिव्यय 3.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक के प्रभावशाली स्तर तक पहुँच गया, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है।
  • कुल परियोजना लागत में राज्य-वार हिस्सेदारी:
    • शीर्ष प्रदर्शक:
      • बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत में 16.2% की सबसे अधिक हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश अग्रणी बनकर सामने आया है।
      • इसके बाद गुजरात (14%), ओडिशा (11.8%), महाराष्ट्र (7.9%) और कर्नाटक (7.3%) हैं, जो निवेश का गतिशील वितरण प्रदर्शित कर रहे हैं।
    • निम्न स्तर के प्रदर्शक:
      • केरल, गोवा और असम ने सबसे कम शेयर प्राप्त किये, केरल को कुल निवेश योजनाओं का केवल 0.9% प्राप्त हुआ।
      • हरियाणा और पश्चिम बंगाल भी कुल निवेश परियोजनाओं के 1% दायरे में आते हैं।
  • निवेश को बढ़ावा देने वाले क्षेत्र:
    • वर्ष 2022-23 में कुल परियोजना लागत का 60% हिस्सा प्राप्त कर, आधारभूत संरचना क्षेत्र (Infrastructure Sector) ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • विशेष रूप से आधारभूत संरचना क्षेत्र के भीतर सड़क और पुल परियोजनाओं ने महत्त्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया, जिसका लाभ "भारतमाला" पहल से प्राप्त हुआ।
  • निवेश की गति को प्रभावित करने वाले कारक:
    • सरकारी पूंजीगत व्यय, बढ़ती व्यावसायिक आशावादिता और चुनिंदा क्षेत्रों में निजी पूंजीगत व्यय के पुनरुद्धार ने निवेश गतिविधि को प्रोत्साहित किया है।
    • रेपो दर में बढ़ोतरी के बावजूद व्यवसायों और व्यक्तियों द्वारा ऋण की मांग में काफी वृद्धि देखी गई, यह निवेश के अवसरों में उनके विश्वास को दर्शाता है।
  • निवेश क्षेत्र का भविष्य:
    • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया गया अध्ययन निजी निवेश के लिये एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जिसमें सरकारी खर्च में वृद्धि, बेहतर व्यवसाय तथा नीति समर्थन का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
      • ग्रीनफील्ड परियोजनाएँ, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा वित्तपोषित कुल परियोजना लागत का 93.1% हैं, नई पहलों पर केंद्रित हैं।
      • किसी विनिर्माण, कार्यालय अथवा अन्य भौतिक कंपनी-संबंधित सुविधा या मौजूदा सुविधाओं वाले किसी स्थान पर संरचनाओं के समूह में निवेश को "ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट" कहा जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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