RBI ने AIF में ऋणदाताओं के लिये मानदंड मज़बूत किये | 21 Dec 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों ?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) जैसी विनियमित संस्थाओं (REs) को तनावग्रस्त ऋणों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक कदम उठाया है और अन्य ऋणदाताओं को वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs) की किसी भी योजना में निवेश नहीं करना चाहिये, जिसमें देनदार कंपनी में अनुप्रवाह (downstream) निवेश हो।
- विनियमित संस्थाएँ (REs) अपने नियमित निवेश परिचालन के हिस्से के रूप में AIF की इकाइयों में निवेश करती हैं। हालाँकि, RBI ने कहा कि AIF से जुड़ीं विनियमित संस्थाओं के कुछ लेन-देन, नियामक चिंताओं को बढ़ाते हैं।
AIF से संबंधित विनियमित संस्थाओं के लिये आरबीआई के हालिया निर्देश क्या हैं?
- आरबीआई ने उधारकर्त्ताओं को दिये गए प्रत्यक्ष ऋण को विनियमित संस्थाओं द्वारा AIF इकाइयों में निवेश के साथ बदलने पर ज़ोर दिया, जो अप्रत्यक्ष रूप से उधारकर्त्ताओं से जुड़ा हुआ है। इससे ऋण को दिवालिया के रूप में
- करने से बचने के लिये एवरग्रीनिंग लोन की प्रथा के बारे में चिंताएँ बढ़ गईं।
- “एवरग्रीनिंग लोन” एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक ऋणदाता उसी उधारकर्त्ता को अधिक ऋण देकर उस ऋण को पुनर्जीवित करने का प्रयास करता है जो दिवालियापन के कगार पर है या डिफ़ॉल्ट की स्थिति में है।
- आरबीआई का निर्देश स्पष्ट रूप से विनियमित संस्थाओं को विनियमित संस्थाओं से संबंधित देनदार कंपनियों में अनुप्रवाह निवेश के साथ AIF योजनाओं में निवेश करने से रोकता है।
- निर्देश के अनुसार, ऐसे मामलों में जहाँ एक AIF जिसमें RE पहले से ही एक निवेशक है तथा ऋणी कंपनियों में डाउनस्ट्रीम निवेश करता है तो RE को 30 दिनों के भीतर अपना निवेश समाप्त करना होगा।
- यदि RE निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने निवेश को समाप्त करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें ऐसे निवेश पर 100% प्रावधान प्रदान करना होगा।
- प्रावधान किसी कंपनी अथवा वित्तीय संस्थान द्वारा भविष्य के प्रत्याशित व्यय अथवा हानियों को पाटने के लिये निर्धारित अथवा आरक्षित राशि है।
नोट:
डाउनस्ट्रीम निवेश, AIF द्वारा निवेशकों से जुटाए गए धन का उपयोग करके कंपनियों में किये गए वास्तविक निवेश को संदर्भित करता है।
वैकल्पिक निवेश निधि क्या है?
- परिचय: वैकल्पिक निवेश निधि (Alternative Investment Funds- AIF) का तात्पर्य भारत में स्थापित अथवा गठित एक निधि से है, जो निजी तौर पर एकत्रित निवेश तंत्र के रूप में कार्य करता है।
- यह एक विशेष निवेश नीति के अनुसार निवेश (घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय) करने के उद्देश्य से, परिष्कृत निवेशकों से धन एकत्रित करता है, जिससे अंततः अपने निवेशकों को लाभ होता है।
- ये निवेश तंत्र SEBI (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 का अनुपालन करते हैं।
- दिसंबर, 2023 तक, 1,220 AIF भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ पंजीकृत थे।
- भारत में AIF के प्रकार: SEBI ने AIF को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया है–
- श्रेणी–I: AIF के माध्यम से स्टार्टअप, शुरुआती चरण के उद्यमों, सामाजिक पहल, SME, आधारभूत अवसंरचना अथवा अधिकारियों द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभकारी समझे जाने वाले क्षेत्रों में निवेश किया जाता है।
- इसमें उद्यम पूंजी (Venture Capital), सामाजिक उद्यम निधि (Social Venture Funds), अवसंरचना निधि और कोई अन्य निर्दिष्ट वैकल्पिक निवेश निधि शामिल हैं।
- श्रेणी–II: ऐसे AIFs जो श्रेणी–I और III के अंतर्गत नहीं आते और जो दिन-प्रतिदिन की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा अन्य लेन-देन नहीं करते अथवा उधार नहीं लेते।
- इनमें रियल एस्टेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड (PE फंड), डिस्ट्रेस्ड ऐसेट फंड और इसी तरह के अन्य फंड शामिल हैं।
- श्रेणी–III: AIFs जो विविध या जटिल व्यापारिक रणनीतियों को नियोजित करते हैं तथा सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव में निवेश सहित लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
- विभिन्न प्रकार के फंड जैसे हेज फंड, PIPE (सार्वजनिक इक्विटी में निजी निवेश) फंड आदि श्रेणी–III AIF के रूप में पंजीकृत हैं।
- श्रेणी–I: AIF के माध्यम से स्टार्टअप, शुरुआती चरण के उद्यमों, सामाजिक पहल, SME, आधारभूत अवसंरचना अथवा अधिकारियों द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभकारी समझे जाने वाले क्षेत्रों में निवेश किया जाता है।
- विधिक प्रारूप: AIF को एक न्यास/ट्रस्ट या कंपनी अथवा सीमित देयता भागीदारी या कॉर्पोरेट निकाय के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
- सेबी के साथ पंजीकृत अधिकांश AIF ट्रस्ट/न्यास के रूप में हैं।