पंजाब में रविदासिया | 18 Jan 2022
हाल ही में भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India- ECI) ने पंजाब में रविदासिया समुदाय (Ravidassia community) के महत्त्व के कारण विधानसभा चुनाव के मतदान स्थगित कर दिया है।
राज्य सरकार और राजनीतिक दलों ने चिंता जताई कि है 16 फरवरी को गुरु रविदास की जयंती मनाने के कारण कई भक्त वाराणसी (एक स्मारक मंदिर में) में होंगे जिस कारण वे मतदान में शामिल होने से वंचित हो सकते हैं।
- हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, माघ महीने में पूर्णिमा के दिन गुरु रविदास की जयंती मनाई जाती है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- रविदासिया दलित समुदाय के लोग हैं, जिनमें से अधिकांश लगभग 12 लाख की आबादी दोआब क्षेत्र में रहती है।
- डेरा सचखंड बल्लन जो कि दुनिया भर में 20 लाख अनुयायियों के साथ उनका सबसे बड़ा डेरा है, बाबा संत पीपल दास द्वारा 20वीं शताब्दी की शुरुआत में स्थापित किया गया था।
- पूर्व में सिख धर्म से निकटता से जुड़े होने के बावजूद इस डेरा ने वर्ष 2010 में दशकों पुराने संबंधों को तोड़ दिया और घोषणा की कि वे रविदासिया धर्म का पालन करेंगे।
- यह घोषणा वाराणसी में रविदास जयंती के अवसर पर की गई।
- वर्ष 2010 से डेरा सचखंड बल्लन ने रविदासिया मंदिरों और गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब को अपने स्वयं के ग्रंथ, अमृतबनी के साथ प्रतिस्थापित कर दिया, जिसमें गुरु रविदास के 200 भजन शामिल थे।
- गुरु रविदास:
- गुरु रविदास 15वीं और 16वीं शताब्दी के भक्ति आंदोलन के एक रहस्यवादी कवि संत थे और उन्होंने रविदासिया धर्म की स्थापना की।
- ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म वाराणसी में एक मोची के परिवार में हुआ था।
- एक ईश्वर में विश्वास और निष्पक्ष धार्मिक कविताओं की रचना के कारण उन्हें ख्याति प्राप्त हुई।
- उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिये समर्पित कर दिया और ब्राह्मणवादी समाज की धारणा की खुले तौर पर निंदा की।
- उनके भक्ति गीतों ने भक्ति आंदोलन पर त्वरित प्रभाव डाला। उनकी लगभग 41 कविताओं को सिखों के धार्मिक पाठ 'गुरु ग्रंथ साहिब' में भी शामिल किया गया।