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भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करने हेतु राष्ट्रपति भवन हॉल का नाम परिवर्तन

  • 26 Jul 2024
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के साथ तालमेल बिठाने और औपनिवेशिक प्रभाव को कम करने के लिये राष्ट्रपति भवन ने आधिकारिक तौर पर अपने दो प्रमुख हॉल का नाम परिवर्तित कर दिया है।

  • ‘दरबार हॉल’ अब गणतंत्र मंडप है, जो औपनिवेशिक शब्द ‘दरबार’ (भारतीय शासकों और अंग्रेज़ों के न्यायालय व सभाएँ) की जगह गणतंत्र की अवधारणा को दर्शाता है। 
  • सम्राट अशोक और भारतीय सांस्कृतिक महत्त्व को सम्मान देते हुए अशोक हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप कर दिया गया है। इस परिवर्तन का उद्देश्य पाश्चात्य प्रभावों को हटाना और 'अशोक' शब्द से जुड़े लोकाचार के साथ तालमेल बैठाना है। 
    • राष्ट्रपति भवन के बयान में उल्लेख किया गया है कि अशोक हॉल मूल रूप से एक बॉलरूम था। 'अशोक' शब्द दुख या पीड़ा से मुक्त होने का प्रतीक है और यह एकता एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रतीक सम्राट अशोक को भी संदर्भित करता है।
    • यह शब्द अशोक वृक्ष को भी संदर्भित करता है, जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं, कलाओं और संस्कृति में गहरा महत्त्व है।
  • नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन विश्व में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष का सबसे बड़ा निवास स्थान है। इसे मूल रूप से भारत के ब्रिटिश वायसराय के लिये 'वायसराय हाउस' के रूप में बनाया गया था और बाद में वर्ष 1950 में भारत के गणतंत्र बनने पर इसका नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया।
    • इसका डिज़ाइन ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लैंडसीर लुटियंस ने तैयार किया था, जिन्होंने भारतीय, मुगल और यूरोपीय स्थापत्य शैली का संयोजन किया था।
  • वर्ष 2023 में राष्ट्रपति भवन स्थित विश्व प्रसिद्ध ‘मुगल गार्डन’ का नाम भी बदलकर ‘अमृत उद्यान’ कर दिया गया।
    • इससे पहले वर्ष 2022 में प्रधानमंत्री ने 'कर्त्तव्य पथ' का उद्घाटन किया था, जो कि सत्ता के प्रतीक तत्कालीन राजपथ से सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तीकरण के उदाहरण के रूप में कर्त्तव्य पथ में बदलाव का प्रतीक है।

और पढ़ें: कर्त्तव्य पथ

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