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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 जुलाई, 2021
- 31 Jul 2021
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मुंशी प्रेमचंद
हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक और उपन्यास सम्राट का जन्म 31 जुलाई, 1880 में लमही गाँव (वाराणसी के पास) में हुआ था। उन्हें 20वीं सदी की शुरुआत के सुप्रसिद्ध लेखकों में से एक माना जाता हैं। उनका बचपन लमही गाँव में एक संयुक्त परिवार में बीता। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1900 में उन्हें सरकारी ज़िला स्कूल, बहराइच में सहायक शिक्षक के रूप में नौकरी मिली। इसी बीच उन्होंने अपना पहला लघु उपन्यास ‘असरार-ए मुआबिद’ शीर्षक से लिखा, जिसका अर्थ है ‘देवस्थान रहस्य’ यानी ‘भगवान के निवास का रहस्य’। वर्ष 1907 में उन्होंने ‘ज़माना’ पत्रिका में ‘दुनिया का सबसे अनमोल रतन’ नाम से अपनी पहली कहानी प्रकाशित की। वर्ष 1914 में उन्होंने हिंदी में लिखना शुरू किया और अपना नाम ‘नवाब राय’ से बदलकर ‘प्रेमचंद’ कर लिया। उनका पहला लेख ‘सौत’ सरस्वती पत्रिका में दिसंबर 1915 में प्रकाशित हुआ। मुंशी प्रेमचंद का पहला हिंदी उपन्यास ‘सेवा सदन’ वर्ष 1919 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। इसके पश्चात् वर्ष 1923 में उन्होंने वाराणसी में ‘सरस्वती प्रेस’ नाम से एक प्रकाशन हाउस स्थापित किया, जहाँ उन्होंने रंगभूमि, निर्मला, प्रतिज्ञा, गबन, हंस, जागरण आदि का प्रकाशन किया। सेवासदन, प्रेमाश्रम, निर्मला, रंगभूमि, गबन, गोदान आदि उपन्यासों से लेकर नमक का दरोगा, प्रेम पचीसी, सोज़े वतन, प्रेम तीर्थ, पाँच फूल, सप्त सुमन, बाल साहित्य जैसे कहानी संग्रहों की रचना कर उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
राजा मिर्च
पूर्वोत्तर क्षेत्र के भौगोलिक संकेत (GI) उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नगालैंड की 'राजा मिर्च', जिसे किंग चिली भी कहा जाता है, की एक खेप को हाल ही में लंदन निर्यात किया गया है। नगालैंड की इस मिर्च को ‘भूत जोलोकिया’ और ‘घोस्ट पेपर’ भी कहा जाता है। इसे वर्ष 2008 में जीआई सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ था। यह ‘स्कोविल हीट यूनिट्स’ (SHUs) के आधार पर दुनिया की सबसे तीखी मिर्च की सूची में शीर्ष पाँच में रही है और इसे अपनी विशिष्ट सुगंध तथा स्वाद के लिये जाना जाता है। नगालैंड की ‘किंग चिली’ या ‘राजा मिर्च’ सोलानेसी परिवार के शिमला मिर्च की प्रजाति से संबंधित है। ‘राजा मिर्च’ भारत में मूलतः असम, नगालैंड और मणिपुर में पाई जाती है। इन क्षेत्रों का तापमान एवं यहाँ की उच्च आर्द्रता ‘राजा मिर्च’ में मौजूद विशिष्ट गुणों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। राजा मिर्च, विटामिन-A और विटामिन-C का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो एंटीऑक्सिडेंट हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने तथा त्वचा के भीतर क्षति की मरम्मत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इस प्रकार की मिर्च में ‘कैप्साइसिन’ की भी उच्च मात्रा पाई जाती है, जो कि एक रासायनिक यौगिक है और मस्तिष्क को गर्मी या मसाले की अनुभूति महसूस करने के लिये प्रेरित करता है।
विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस
मानव तस्करी के विरुद्ध जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 30 जुलाई को ‘विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का लक्ष्य आम जनमानस को मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराध के विषय में शिक्षित करना है, ताकि महिलाओं और बच्चों को जबरन श्रम एवं वेश्यावृत्ति से बचाया जा सके। यह दिवस मानव तस्करी के कारण होने वाले नुकसान तथा आम लोगों के जीवन पर इसके गंभीर प्रभाव को समझने का अवसर प्रदान करता है। ‘विश्व मानव तस्करी रोधी दिवस’ को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानव तस्करी के मुद्दों से निपटने के साधन के रूप में वर्ष 2013 में नामित किया गया था। साथ ही इस दिवस के माध्यम से मानव तस्करी से पीड़ित लोगों को वित्तीय सहायता प्राप्त करने में भी मदद मिलती है। वर्ष 2003 से ‘यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम’ (UNODC) लोगों को बंदी बनाने वाले रैकेट से बचाने और उनकी पहचान करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम ‘विक्टिम्स वॉइस लीड द वे’ है। यह थीम मानव तस्करी से पीड़ित लोगों के अनुभवों को साझा करने व उनसे सीखने के महत्त्व पर प्रकाश डालती है।
14 कलाकृतियाँ भारत को लौटाने की घोषणा
‘नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ ने हाल ही में अपने एशियाई कला संग्रह से 14 कलाकृतियाँ भारत को वापस लौटाने की घोषणा की है। इनमें कांस्य या पत्थर की मूर्तियाँ, चित्रित स्क्रॉल और कुछ तस्वीरें शामिल हैं। इससे तमिलनाडु को 12वीं सदी के दो चोल-युग के दो कांस्य प्रतिमाएँ प्राप्त होंगी, जिन्हें तमिलनाडु के मंदिरों से चुराया गया था। इसके पश्चात् इन कलाकृतियों के मूल स्थान की पहचान करने के लिये भारत में और अधिक शोध किया जाएगा। ‘नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ ने एक नया ‘उद्गम मूल्यांकन फ्रेमवर्क’ निर्धारित किया है, जो ऐतिहासिक कलाकृतियों के कानूनी और नैतिक दोनों पहलुओं के बारे में उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करता है। इस फ्रेमवर्क के आधार पर यह माना जाता है कि यदि वह वस्तु चोरी की है, अवैध रूप से प्राप्त की गई थी, किसी अन्य देश के कानून के उल्लंघन कर निर्यात की गई थी या अनैतिक रूप से अर्जित की गई थी तो ‘नेशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया’ द्वारा उसे उद्गम देश को वापस लौटा दिया जाएगा।