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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 जुलाई, 2022

  • 30 Jul 2022
  • 5 min read

सौभाग्य

जम्मू-कश्मीर में सौभाग्य योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में बिजली पहुंचाई गई। इसके अलावा दूरदराज़ और दुर्गम क्षेत्रों के उन ग्रामीण घरों में जहाँ बिजली उपलब्ध नहीं है, सोलर फोटो वोल्टाइक आधारित स्टैंडअलोन सिस्टम प्रदान किया है। इसके तहत अब तक साढ़े तीन लाख से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। आज़ादी के 74 साल बाद पहली बार उधमपुर ज़िले के ग्राम सद्दाल और डोडा ज़िले के गनौरी-ताँता में ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाई गई है। बिजली कनेक्शनों को जारी करने के लिये 'ग्राम ज्योतिदूत', 'ऊर्जा विस्तार' जैसे मोबाइल एप तैयार किये गए हैं। सभी ज़िलों में विद्युत मंत्रालय की 'सौभाग्य रथ' योजना भी चलाई जा रही है। केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य एक निश्चित समयावधि में देश के सभी घरों तक बिजली पहुँचाना था। इस योजना को सितंबर 2017 में आरंभ किया गया था और इसे दिसंबर 2018 तक पूरा किया जाना था, लेकिन बाद में इसकी समयावधि को बढ़ा दिया गया है।

BSNL और BBNL का विलय

हाल ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) के भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के साथ विलय की ने मंज़ूरी दी है। BSNL की संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास होगा। BSNL के पास वर्तमान में 6.83 लाख किलोमीटर से अधिक का ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क उपलब्ध है। यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) का उपयोग करते हुए भारत की 1.85 लाख ग्राम पंचायतों में 67 लाख किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया है। हालाँकि BSNL के साथ BBNL के विलय की घोषणा पहली बार अप्रैल 2022 में की गई थी। BBNL विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) है, जिसे भारतनेट परियोजना को लागू करने हेतु स्थापित किया गया था। BSNL दूरसंचार विभाग के स्वामित्व में काम करता है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसकी स्थापना 1 अक्तूबर, 2000 को की गई थी। यह देश में सबसे बड़ी सरकारी स्वामित्व वाली वायरलेस दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी है। भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड जिसे भारतनेट के नाम से भी जाना जाता है, सरकार के स्वामित्व में है जो ब्रॉडबैंड अवसंरचना प्रदान करती है। इसे संचार मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार विभाग द्वारा स्थापित किया गया है।

डॉ. सी. नारायण रेड्डी राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार

भारत के उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में प्रख्यात उड़िया लेखिका डॉ. प्रतिभा रे को डॉ. सी. नारायण रेड्डी राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार प्रदान किया। उड़िया भाषा की चर्चित लेखिका डॉ. रे के उपन्यास और लघु कथाओं को काफी सराहा गया है तथा उनमें महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को उठाया गया है। उन्हें वर्ष 2011 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, वर्ष 2007 में पद्मश्री एवं वर्ष 2022 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने तेलुगू भाषा एवं साहित्य में डॉ. सी. नारायण रेड्डी के 'अमूल्य योगदान' को याद करते हुए कहा कि उनके लेखन ने बड़ी तादाद में तेलुगू लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। डॉ. रेड्डी के महाकाव्य 'विश्वम्भरा' का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह मनुष्य और प्रकृति के बीच के जटिल संबंधों का खूबसूरती से वर्णन करता है। इसके लिये उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। कार्यक्रम में तेलंगाना सरकार में कृषि मंत्री, पुरस्कार विजेता डॉ. रे, प्रख्यात तेलुगू लेखिका वोल्गा (ललिता कुमारी), डॉ. सी. नारायण रेड्डी के परिवार के सदस्य एवं अन्य लोगों ने भाग लिया।

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