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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 दिसंबर, 2020

  • 30 Dec 2020
  • 6 min read

सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र

हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने लेह (लद्दाख) में बने मौसम विज्ञान केंद्र का वर्चुअल माध्‍यम से उद्घाटन किया। लेह का यह नया केंद्र भारत में सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित केंद्र होगा। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 3,500 मीटर है। यद्यपि लद्दाख में केवल दो ही ज़िले (कारगिल और लेह) हैं, किंतु इसके बावजूद इस क्षेत्र में कई अलग-अलग सूक्ष्म जलवायु क्षेत्र जैसे- मैदानी इलाके, ठंडे रेगिस्तान, पहाड़ी क्षेत्र और अत्यधिक शुष्क स्थान आदि पाए जाते हैं। इन सभी सूक्ष्म जलवायु क्षेत्रों को विशिष्ट तथा स्थानीय मौसम संबंधी जानकारी की आवश्यकता होती है। अपने इस नए केंद्र के साथ भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) लद्दाख, विशेष रूप से लेह में राजमार्गों पर आवागमन, कृषि तथा रक्षा कर्मियों को मौसम संबंधी विशिष्ट सूचनाएँ उपलब्ध कराने में सक्षम होगा। स्थानीय लोगों के साथ-साथ यह नया मौसम विज्ञान केंद्र पर्यटन और आपदा प्रबंधन की दृष्टि से भी लाभदायक होगा, साथ ही यह लद्दाख के कृषि विभाग को मौसम के अनुरूप अपनी नीति तैयार करने में सहायता करेगा। भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र होने के नाते वैज्ञानिकों द्वारा इस केंद्र से भूकंपीय डेटा भी एकत्रित किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस

कोरोना वायरस महामारी ने संक्रामक रोग के प्रकोप का पता लगाने और उसकी रोकथाम संबंधी प्रणाली में निवेश के महत्त्व को रेखांकित किया है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए 27 दिसंबर, 2020 को विश्व में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सभी सदस्य राष्ट्रों तथा अन्य वैश्विक संगठनों से किसी भी महामारी के विरुद्ध वैश्विक साझेदारी के महत्त्व की वकालत करने के लिये प्रतिवर्ष 27 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस के रूप में चिह्नित करने का आह्वान किया है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य महामारी के संबंध में जागरूकता फैलाना और इसकी रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के महत्त्व को रेखांकित करना है। ज्ञात हो कि मौजूदा कोरोना वायरस महामारी ने विश्व के अधिकांश देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों में मौजूद कमियों को उजागर किया है, साथ ही इसके कारण आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में किये गए तमाम प्रयास भी कमज़ोर हो गए हैं, ऐसे में हमें ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो विभिन्न प्रकार की महामारियों से निजात दिलाने में सक्षम हो।

देश का पहला पॉलीनेटर पार्क 

हाल ही में उत्तराखंड में नैनीताल ज़िले के हल्द्वानी में स्थापित भारत के पहले ‘पॉलीनेटर पार्क’ को आम जनता के लिये खोल दिया गया है। तकरीबन चार एकड़ क्षेत्र में फैले इस पॉलीनेटर पार्क में परागणकों (पॉलीनेटर) की तकरीबन 50 अलग-अलग प्रजातियाँ हैं, जिनमें- तितली, मधुमक्खी तथा अन्य कीट शामिल हैं। भारत के इस पहले ‘पॉलीनेटर पार्क’ का उद्देश्य विभिन्न परागणक प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देना, परागणकों के महत्त्व के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता पैदा करना और इससे संबंधित विभिन्न विषयों पर वैज्ञानिक शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इस पार्क और इसके आसपास के क्षेत्रों में कीटनाशकों समेत सभी प्रकार के रसायनों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। संपूर्ण विश्व में 1,200 फसलों की किस्मों समेत 180,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ प्रजनन के लिये परागणकों (Pollinators) पर निर्भर हैं। 

आईएनएस सिंधुवीर

म्याँमार ने हाल ही में औपचारिक रूप से भारतीय पनडुब्बी- ‘आईएनएस सिंधुवीर’ को अपनी नौसेना में शामिल कर लिया है। ज्ञात हो कि भारत ने अक्तूबर माह में म्याँमार को सिंधुवीर पनडुब्बी प्रदान की थी। म्याँमार की नौसेना में इस पनडुब्बी को ‘UMS मिन्ये थेएनखातु’ के नाम से शामिल किया गया है और यह म्याँमार की नौसेना के बेड़े में पहली पनडुब्बी होगी। ज्ञात हो कि आईएनएस सिंधुवीर भारतीय नौसेना में वर्ष 1988 से अपनी सेवा दे रही है। ‘UMS मिन्ये थेएनखातु’ अथवा आईएनएस सिंधुवीर समुद्र में 300 मीटर की गहराई तक काम कर सकती है। भारत और म्याँमार बंगाल की खाड़ी में 725 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा साझा करते हैं। म्याँमार के साथ द्विपक्षीय संबंध मज़बूत बनाने के पीछे भारत की योजना एशिया में चीन की बढ़ती चुनौती से निपटना है। म्याँमार में चीन के दखल को रोकने के लिये भारत अपनी रणनीति पर काम कर रहा है।

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