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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 सितंबर, 2020

  • 29 Sep 2020
  • 7 min read

राष्ट्रीय जाँच अभिकरण

हाल ही में गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA) की तीन अतिरिक्त शाखाओं को इम्फाल, चेन्नई और राँची में स्थापित करने की मंज़ूरी दी है। ध्यातव्य है कि भारत सरकार के इस निर्णय से देश की प्रमुख आतंकवाद-रोधी जाँच एजेंसी द्वारा इन राज्यों में किसी भी उभरती हुई स्थिति पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। यह निर्णय आतंकवाद से संबंधित मामलों और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों की जाँच में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की क्षमता को मज़बूत करेगा। इसके अतिरिक्त यह निर्णय गंभीर अपराधों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी और साक्ष्य को समय रहते संग्रहित करने की सुविधा भी प्रदान करेगा। वर्तमान में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) की कुल नौ शाखाएँ हैं, जो कि गुवाहाटी, मुंबई, जम्मू, कोलकाता, हैदराबाद, कोच्चि, लखनऊ, रायपुर और चंडीगढ़ में स्थित हैं, इसके अलावा इस विशेष सुरक्षा इकाई का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसका वास्तविक नाम राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण है, जिसे आमतौर पर राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के नाम से जाना जाता है। इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था। इस एजेंसी का मुख्य उद्देश्य भारत में आतंकवाद का मुकाबला करना भी है। इस प्रकार यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है। 

ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन प्लेयर ऑफ द ईयर

भारतीय राष्ट्रीय पुरुष फुटबॉल टीम के गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू और महिला फुटबॉल टीम की मिडफील्डर संजू यादव को पुरुषों तथा महिलाओं की श्रेणी में वर्ष 2019-20 सत्र के लिये ‘ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन प्लेयर ऑफ द ईयर’ के रूप में चुना गया है। यह पहली बार है जब पंजाब में जन्मे गुरप्रीत सिंह संधू को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन प्लेयर (AIFF) का वार्षिक पुरस्कार मिला है, जिसके साथ वे यह सम्मान पाने वाले देश के दूसरे गोलकीपर बन गए हैं, उससे पहले वर्ष 2009 में सुब्रत पाल (Subrata Pal) को यह पुरस्कार मिला था। इस पुरस्कार का गठन वर्ष 1992 में किया गया था। ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) भारत में फुटबॉल का शासी निकाय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1937 में शिमला स्थित सेना मुख्यालय में हुई थी। ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन प्लेयर (AIFF), एशियाई फुटबॉल परिसंघ (AFC) के संस्थापक सदस्यों में से एक है।

डॉ. पी. डी. वाघेला 

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्‍ठ अधिकारी डॉ. पी. डी. वाघेला को भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, उनकी नियुक्ति कुल तीन वर्ष के कार्यकाल अथवा 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक की गई है। वर्ष 1986 के गुजरात-कैडर के IAS अधिकारी डॉ. पी. डी. वाघेला भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के वर्तमान अध्यक्ष आर.एस. शर्मा का स्थान लेंगे, जो कि जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। डॉ. पी. डी. वाघेला वर्तमान में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग (DoP) के तहत सचिव के पद पर कार्यरत हैं। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) भारत में दूरसंचार व्यवसाय का स्वतंत्र नियामक है और इसकी स्थापना दूरसंचार सेवाओं तथा टैरिफ को विनियमित करने के लिये संसद के एक अधिनियम द्वारा 20 फरवरी, 1997 को की गई थी। यह संस्था भारत में दूरसंचार के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के लिये नियामक अर्थात् उनके नियमन और देख-रेख का काम करती है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल

एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, संगठन की मानवाधिकार संबंधी कार्यवाहियों के कारण उसे भारत के कार्यों को रोकने के लिये मज़बूर होना पड़ा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि सरकार ने भारत में उसके बैंक खाते फ्रीज़ कर दिये हैं और इसके सभी अभियान तथा शोध कार्यों को निलंबित कर दिया गया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, संगठन ने सभी अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय कानूनों का अनुपालन किया है, इसके बावजूद भी यह कार्यवाही की गई है। संगठन के मुताबिक सरकार की यह कार्यवाही मुख्य तौर पर पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों को लेकर संगठन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के संबंध में की गई है। ध्यातव्य है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बीते दिनों अपनी एक रिपोर्ट में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों के दौरान पुलिस द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन के सभी आरोपों की स्वतंत्र जाँच करने की मांग की थी। एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में पीटर बेन्सन नामक एक ब्रिटिश वकील द्वारा की गई थी। इसे वर्ष 1977 में ‘अत्याचारों के विरुद्ध मानवीय गरिमा की रक्षा करने’ के लिये नोबेल शांति पुरस्कार और वर्ष 1978 में मानव अधिकारों के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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