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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जून, 2021

  • 29 Jun 2021
  • 8 min read

भारत का पहला रैबीज़ मुक्त राज्य: गोवा

हाल ही में गोवा के मुख्यमंत्री ने राज्य को देश का पहला रैबीज़ मुक्त राज्य घोषित किया है। ज्ञात हो कि गोवा में पिछले तीन वर्ष में रैबीज़ का एक भी मामला सामने नहीं आया है। रैबीज़ नियंत्रण का कार्य मिशन रैबीज़ परियोजना द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसे केंद्र सरकार के अनुदान के माध्यम से चलाया जा रहा है। विदित हो कि राज्य में अब तक रैबीज़ के विरुद्ध पाँच लाख से अधिक कुत्तों का टीकाकरण किया गया है और संपूर्ण गोवा में रैबीज़ की रोकथाम हेतु लगभग एक लाख लोगों को शिक्षित किया गया है, साथ ही 24 घंटे रैबीज़ निगरानी केंद्र भी स्थापित किये गए हैं, जिसमें एक आपातकालीन हॉटलाइन और ऐसे लोगों की सहायता के लिये त्वरित प्रतिक्रिया टीम शामिल है, जिन्हें कुत्तों ने काटा है। रैबीज़ एक रिबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस के कारण होता है, जो किसी पागल जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर, आदि की लार में मौजूद होता है। जानवर के काटने और रैबीज़ के लक्षण दिखाई देने की समयावधि चार दिनों से लेकर दो साल तक या कभी-कभी उससे भी अधिक हो सकती है। ऐसे में घाव से वायरस को जल्द-से-जल्द हटाना आवश्यक होता है। आँकड़ों की मानें तो दुनिया में रैबीज़ से होने वाली मौतों में एक-तिहाई से अधिक भारत में होती हैं। भारत में रैबीज़ एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे प्रतिवर्ष अनुमानित 20,000 लोगों की मौत हो जाती है। 

खाद्य सुरक्षा हेतु ओडिशा और विश्व खाद्य कार्यक्रम की साझेदारी

हाल ही में ओडिशा सरकार और संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आजीविका पहल को ओडिशा करने और राज्य समर्थित महिला स्वयं सहायता समूहों (WSHGs) का समर्थन करने, घरेलू खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार करने हेतु साझेदारी की है। महिलाओं के सशक्तीकरण, आजीविका और आय पर केंद्रित इस साझेदारी का प्राथमिक उद्देश्य ओडिशा में पोषण सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करना है। यह साझेदारी इस विचार पर केंद्रित है कि सतत् आजीविका से घरेलू खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में सुधार होगा, जिससे अंततः महिलाओं का समग्र सशक्तीकरण सुनिश्चित किया जा सकेगा। इस साझेदारी के माध्यम से तकनीकी सहायता और क्षमता विकास प्रदान कर महिला स्वयं सहायता समूहों (WSHGs) का समर्थन किया जाएगा, जिससे राज्य में दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा में प्रत्यक्ष योगदान दिया जा सकेगा। दिसंबर 2023 तक प्रभावी इस साझेदारी में सरकारी खरीद प्रणालियों के साथ महिला समूहों के जुड़ाव, अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, महिला समूहों के क्षमता निर्माण, निगरानी उपकरण विकसित करने और समूहों के कामकाज में सुधार हेतु मूल्यांकन मापदंड विकसित करने आदि पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ज्ञात हो कि इस साझेदारी को ओडिशा सरकार की ओर से ‘मिशन शक्ति विभाग’ द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा, जिसका गठन इसी वर्ष 01 जून को किया गया है। 

निजी क्षेत्र को रॉकेट लॉन्च साइट निर्माण की अनुमति

भारत ने निजी कंपनियों को सरकार से पूर्व मंज़ूरी के अधीन देश के भीतर और बाहर रॉकेट लॉन्च साइट स्थापित करने एवं संचालित करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इसी प्रकार भारतीय या विदेशी क्षेत्र से किसी भी रॉकेट को लॉन्च (कक्षीय या उप-कक्षीय) केवल ‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन तथा प्रमाणीकरण केंद्र' (IN-SPACe) से पूर्व मंज़ूरी के साथ ही किया जा सकता है, जो कि अंतरिक्ष विभाग के तहत भारत सरकार द्वारा गठित एक स्वतंत्र निकाय है। अंतरिक्ष विभाग द्वारा लाए गए राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिवहन नीति-2020 के मसौदे के अनुसार, रॉकेट लॉन्च स्वयं की लॉन्च साइट या लीज़ पर ली गई लॉन्च साइट और मोबाइल प्लेटफॉर्म (भूमि, समुद्र या वायु) से भी हो सकता है। मसौदा नीति के अनुसार, IN-SPACe की मंज़ूरी प्राप्त करने के लिये प्रस्तावक को वित्तीय गारंटी या बीमा कवर संबंधी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी। भारत के क्षेत्र के बाहर से लॉन्च करने के मामले में आवश्यक है कि लॉन्च के लिये अनुमोदन, संबंधित राष्ट्र/क्षेत्र के लागू कानूनों के तहत हो। 

तिब्बत में पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन

हाल ही में चीन ने तिब्बत के सुदूर हिमालयी क्षेत्र में अपनी पहली पूर्ण विद्युतीकृत बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू किया है, जो प्रांतीय राजधानी ल्हासा और न्यिंगची को जोड़ती है, यह रणनीतिक रूप से अरुणाचल प्रदेश के निकट तिब्बती सीमावर्ती शहर है। सिचुआन-तिब्बत रेलवे का ‘ल्हासा-न्यिंगची खंड’ तकरीबन 435.5 किलोमीटर लंबा है। इस परियोजना के महत्त्व को इस बात से समझा जा सकता है कि यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में पहली विद्युतीकृत रेल परियोजना है। इस खंड की अधिकतम गति 160 किमी प्रति घंटा है और यह सिंगल लाइन विद्युतीकृत रेलवे पर संचालित है। यह ल्हासा, शन्नान और न्यिंगची सहित नौ स्टेशनों पर रुकती है। सड़कों की तुलना में ल्हासा-न्यिंगची रेलवे ल्हासा से न्यिंगची तक यात्रा के समय को 5 घंटे से घटाकर लगभग 3.5 घंटे कर देता है, और शन्नान से न्यिंगची तक यात्रा के समय को 6 घंटे से घटाकर लगभग 2 घंटे कर देता है। भारत के लिये यह इस लिहाज़ से भी महत्त्वपूर्ण है कि चीन दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश का दावा करता है, जिसे भारत ने दृढ़ता से खारिज किया है। भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शामिल है।

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