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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जुलाई, 2021

  • 29 Jul 2021
  • 7 min read

विश्‍व प्रकृति संरक्षण दिवस

प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिये लोगों में जागरुकता पैदा करने हेतु प्रतिवर्ष 20 जुलाई को ‘विश्‍व प्रकृति संरक्षण दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य दुनिया को स्वस्थ रखने के लिये पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करना है। विलुप्त होने की कगार पर मौजूद पौधों और जानवरों को बचाना विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का प्राथमिक लक्ष्य है। इस दिवस पर प्रकृति के विभिन्न घटकों को अक्षुण्ण बनाए रखने पर भी ज़ोर दिया जाता है। इनमें वनस्पति और जीव, ऊर्जा संसाधन, मृदा, जल तथा वायु आदि शामिल हैं। यह भावी पीढ़ी के लिये पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण मानव समाज आज ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं, बढ़े हुए तापमान आदि के प्रकोप का सामना कर रहा है। पर्यावरण के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक प्लास्टिक का उपयोग है। यद्यपि प्लास्टिक एक सस्ती और सुविधाजनक सामग्री है, किंतु यह प्रकृति को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। प्लास्टिक उत्पाद गैर-बायोडिग्रेडेबल होते हैं। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहला कदम प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग में कटौती करना है। भारत सरकार द्वारा प्राकृतिक संरक्षण के लिये स्वच्छ भारत अभियान और प्रोजेक्ट टाइगर जैसी कई प्रमुख पहलें शुरू की गई हैं। 

विश्व हेपेटाइटिस दिवस

प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को ‘विश्व हेपेटाइटिस दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व हेपेटाइटिस दिवस की थीम ‘हेपेटाइटिस कैन नॉट वेट’ है। यह दिवस नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉ बारूक ब्लमबर्ग के जन्मदिवस को चिह्नित करता है, जिन्होंने ‘हेपेटाइटिस बी वायरस’ (HBV) की खोज की थी। उन्होंने हेपेटाइटिस बी वायरस के इलाज के लिये एक नैदानिक ​​परीक्षण और टीका भी विकसित किया था। इस दिवस का उद्देश्य हेपेटाइटिस A, B, C, D और E नामक संक्रामक रोगों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना तथा हेपेटाइटिस की रोकथाम, निदान एवं उपचार को प्रोत्साहित करना है। दुनिया भर में वायरल हेपेटाइटिस के कारण वार्षिक तौर पर लगभग 1.3 मिलियन मौतें होती हैं, वहीं 300 मिलियन लोग इस बीमारी के साथ जीवन जी रहे हैं किंतु वे अपने संक्रमण की स्थिति से अनजान हैं। वर्ष 2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘एलिमिनेट हेपेटाइटिस बाई 2030’ नामक अभियान शुरू किया था। स्क्रीनिंग एवं शुरुआती पहचान इस बीमारी से निपटने का एकमात्र तरीका है। हालाँकि हेपेटाइटिस A एवं B वायरस के लिये टीका उपलब्ध है। 

राकेश अस्थाना

गृह मंत्रालय की आधिकारिक सूचना के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक राकेश अस्थाना को दिल्ली का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। गुजरात कैडर के वर्ष 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना, दिल्ली के पुलिस आयुक्त बालाजी श्रीवास्तव का स्थान लेंगे, जिन्हें इस वर्ष जून माह में दिल्ली पुलिस प्रमुख का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। राकेश अस्थाना का जन्म 9 जुलाई, 1961 को रांची में हुआ था और उन्होंने झारखंड के नेतरहाट आवासीय विद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। इसके पश्चात् उन्होंने दिल्ली के ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ (JNU) से उच्च शिक्षा प्राप्त की और सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद वे ‘भारतीय पुलिस सेवा’ (IPS) में शामिल हो गए। वर्ष 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद वर्ष 1861 के भारतीय पुलिस अधिनियम के माध्यम से अंग्रेज़ों द्वारा पुलिस व्यवस्था को एक संगठित रूप दिया गया। वर्ष 1912 में दिल्ली के पहले मुख्य आयुक्त की नियुक्ति की गई और उन्हें पुलिस महानिरीक्षक की शक्तियाँ और कार्य दिये गए। स्वतंत्रता के बाद दिल्ली पुलिस को पुनर्गठित किया गया और इसमें कर्मियों की संख्या लगभग दोगुनी कर दी गई। 

नंदू नाटेकर

28 जुलाई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ‘नंदू नाटेकर’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। नंदू नाटेकर वर्ष 1956 में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे। छह बार के राष्ट्रीय एकल चैंपियन नंदू नाटेकर ने 20 वर्ष की आयु में भारत की ओर से अपना पदार्पण किया और वर्ष 1951-1963 तक (लगभग एक दशक से अधिक समय) ‘थॉमस कप चैंपियनशिप’ की पुरुष टीम में भारत का नेतृत्त्व किया। वर्ष 1933 में महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे, नंदू नाटेकर ने 15 वर्ष के अपने कॅरियर में भारत के लिये 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते। इसके अलावा नंदू नाटेकर वर्ष 1961 में प्रथम अर्जुन पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता भी थे।

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