Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 जनवरी, 2021 | 29 Jan 2021
आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने ‘आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ’ नाम से एक नई पुरस्कार श्रेणी की घोषणा की है। इस वर्ष से इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल द्वारा महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ‘आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ’ की घोषणा की जाएगी। इस पुरस्कार के चयनकर्त्ताओं के समूह में पूर्व खिलाड़ी, प्रसारणकर्त्ता और दुनिया भर के खेल पत्रकार शामिल होंगे। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) द्वारा प्रतिमाह दोनों वर्गों (महिला और पुरुष) से तीन-तीन खिलाड़ियों को नामित किया जाएगा, जिसमें से प्रत्येक वर्ष एक-एक खिलाड़ी का इस पुरस्कार के लिये चयन होगा। इस पुरस्कार का चयन पूर्ण रूप से एक माह के दौरान खिलाड़ी के प्रदर्शन पर आधारित होगा और इसमें ऑन-फील्ड प्रदर्शन तथा अन्य उपलब्धियाँ भी शामिल होंगी। इस पुरस्कार की घोषणा प्रत्येक माह के दूसरे सोमवार को की जाएगी। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) द्वारा वर्ष 2004 से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट पुरस्कारों की घोषणा की जा रही है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की पहचान करना और उन्हें मान्यता प्रदान करना है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) द्वारा ये पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों में प्रदान किये जाते हैं, जिनमें ‘क्रिकेटर ऑफ द इयर’, ‘टेस्ट प्लेयर ऑफ द इयर’ और ‘इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द इयर’ आदि प्रमुख हैं।
माउंट मेरापी
इंडोनेशिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी ‘माउंट मेरापी’ में हाल ही विस्फोट हो गया। 2,968 मीटर (9,737 फुट) ऊँचा यह ज्वालामुखी इंडोनेशिया के घनी आबादी वाले द्वीप जावा और वहाँ के प्राचीन शहर याग्याकार्टा के पास है। माउंट मेरापी इंडोनेशिया में स्थित दर्जनों ज्वालामुखियों में से सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी है और बीते कुछ वर्षों में इसमें लगातार विस्फोट हो रहा है। वर्ष 2010 में माउंट मेरापी में हुए बड़े विस्फोट में 347 लोगों की मौत हुई थी। इंडोनेशिया 270 मिलियन लोगों की आबादी वाला एक द्वीपसमूह है, जिसके ‘रिंग ऑफ फायर’ (Ring of Fire) या परिप्रशांत महासागरीय मेखला (Circum-Pacific Belt) में अवस्थित होने के कारण यहाँ कई सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं और यह क्षेत्र भूकंप प्रवण क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ‘रिंग ऑफ फायर’ प्रशांत महासागर के चारों ओर का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ विवर्तनिक प्लेटें आपस में मिलती हैं। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर ही अवस्थित ‘माउंट सेमरू’ में भी विस्फोट हुआ था।
केरल का ‘जेंडर पार्क’
केरल सरकार द्वारा 300 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित ‘जेंडर पार्क’ का संचालन जल्द ही (फरवरी माह से) शुरू हो जाएगा। यह ‘जेंडर पार्क’ देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है, जो राज्य में लैंगिक असमानता का मुकाबला करने में मदद करेगा। इस ‘जेंडर पार्क’ के पहले चरण में एक जेंडर म्यूज़ियम, जेंडर लाइब्रेरी, कन्वेंशन सेंटर और एक एम्फीथिएटर का उद्घाटन किया जाएगा। जेंडर म्यूज़ियम में उन विभिन्न सामाजिक संघर्षों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिनके कारण महिलाओं की स्थिति में बदलाव आया, इसमें पुनर्जागरण आंदोलन भी शामिल है। जेंडर लाइब्रेरी के माध्यम से जेंडर के संबंध में जागरूकता पैदा करने के साथ ही विकास में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना का प्रयास किया जाएगा। अत्याधुनिक कन्वेंशन सेंटर में 500 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। केरल के इस ‘जेंडर पार्क’ में सभी परियोजनाओं को ‘यूएन वीमेन’ का सहयोग मिलेगा।
पथराघाट विद्रोह
जलियाँवाला बाग हत्याकांड से लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व 28 जनवरी, 1894 को असम के पथराघाट (वर्तमान पाथरीघाट) में ब्रिटिश सैनिकों ने सौ से अधिक किसानों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वर्ष 1826 में असम में ब्रिटिश शासन की शुरुआत के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा राज्य की विशाल भूमि का सर्वेक्षण शुरू किया गया। इस सर्वेक्षण के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने भूमि कर लगाना शुरू कर दिया, इस कर के कारण किसानों में असंतोष पैदा हो गया। वर्ष 1893 में ब्रिटिश सरकार ने कृषि भूमि कर में 70-80 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय लिया, जिससे किसानों के बीच असंतोष में और अधिक बढ़ गया और संपूर्ण असम में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। यद्यपि ये प्रदर्शन शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक थे, किंतु ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें देशद्रोह के रूप में देखा गया और 28 जनवरी, 1894 को किसानों तथा ब्रिटिश सरकार के बीच संघर्ष के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर फायरिंग शुरू कर दी जिसमें सौ से अधिक किसानों की मौत हो गई।