विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 जून, 2021
- 28 Jun 2021
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अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौता
हाल ही में यूरोपीय देश डेनमार्क ने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौते (ISA FA) पर हस्ताक्षर किये हैं। इस प्रकार 08 जनवरी, 2021 को ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन फ्रेमवर्क समझौते’ में संशोधन लागू होने के बाद डेनमार्क इस समझौते की पुष्टि करने वाला पहला देश बन गया है। ज्ञात हो कि संशोधन का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को संगठन की सदस्यता प्राप्त करने में सक्षम बनाना था। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मुख्यतः सौर ऊर्जा संपन्न देशों का एक संधि आधारित अंतर-सरकारी संगठन है, हालाँकि संगठन के फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन के पश्चात् संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसमें शामिल हो सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत भारत और फ्राँस ने 30 नवंबर, 2015 को पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान की थी। इसका मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित है। ISA के प्रमुख उद्देश्यों में 1000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की वैश्विक तैनाती और 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश के लिये लगभग $1000 बिलियन की राशि जुटाना शामिल है। इसकी पहली बैठक का आयोजन नई दिल्ली में किया गया था। यह संगठन ISA सौर परियोजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रारंभ करने में सहयोग प्रदान करता है और सौर ऊर्जा की वैश्विक मांग को समेकित करने के लिये सौर क्षमता समृद्ध देशों को एक साथ लाता है।
केरल में मछुआरों की सुरक्षा के लिये समिति
समुद्र में मछली पकड़ने के दौरान दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या विशेष रूप से मानसून के दौरान और तटीय सुरक्षा एवं अवैध तथा अनियमित मत्स्य पालन से संबंधित समस्याओं को देखते हुए केरल के मत्स्य विभाग ने मछुआरों की सुरक्षा के लिये समिति का गठन किया है। मत्स्य पालन विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक पी. सहदेवन की अध्यक्षता में गठित यह सात सदस्यीय समिति समुद्री सुरक्षा, तटीय सुरक्षा और पोत निगरानी प्रणाली एवं अवैध, असूचित व अनियमित मत्स्य पालन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के तरीकों का अध्ययन करेगी और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। प्रादेशिक जल में मछली पकड़ने के संदर्भ में मछुआरों की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय बन गई है, जिसने मछुआरों को गहरे समुद्र में जाने के लिये प्रेरित किया है। ऐसी कई घटनाएँ देखी गई हैं, जिसमें मछुआरे गहरे समुद्र में जाने और तेज़ धाराओं के कारण प्रायः भटक जाते हैं और श्रीलंका, बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे पड़ोसी तटीय देशों तक पहुँच जाते हैं, जिसके कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नेशर रामला होमो टाइप
इज़राइल में कार्यरत शोधकर्त्ताओं ने एक अज्ञात प्राचीन मानव की पहचान की है, जो तकरीबन 100,000 वर्ष पूर्व मौजूद मानवीय प्रजाति के साथ रहता था। शोधकर्त्ताओं का मानना है कि रामला शहर से प्राप्त यह अवशेष बहुत प्राचीन मानव समूह के ‘अंतिम बचे’ हुए अवशेषों में से एक का प्रतिनिधित्त्व करता है। खोजकर्त्ताओं ने एक व्यक्ति की आंशिक खोपड़ी और जबड़ा खोजा है, जो कि 140,000 और 120,000 वर्ष पहले मौजूद था। विश्लेषण से ज्ञात होता है कि जिस व्यक्ति के अवशेषों की खोज की गई है वह पूरी तरह से होमो सेपियन्स यानी आधुनिक मानव से मेल नहीं खाता नहीं है। हालाँकि उनकी विशेषताएँ पूरी तरह निएंडरथल से भी नहीं मिलती हैं, जो कि उस समय इस क्षेत्र में रहने वाली एकमात्र अन्य मानव प्रजाति थी। बल्कि यह प्रजाति दोनों अन्य मानव प्रजातियों के बीच मौजूद थी, जिसकी पहचान अब तक आधुनिक विज्ञान द्वारा नहीं की गई है। इसके विश्लेषण से यह कहा जा सकता है कि प्राचीन काल में विभिन्न होमो प्रजातियों के बीच इंटरब्रीडिंग अपेक्षाकृत एक सामान्य प्रक्रिया थी।
बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट
हाल ही में कर्नाटक सरकार ने जल्द ही ‘बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट’ के शुरू होने की घोषणा की है। बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट (BSRP) का प्रस्ताव पहली बार वर्ष 1983 में पेश किया गया था और तब से यह कर्नाटक की कई विभिन्न सरकारों के लिये सबसे महत्त्वपूर्ण परियोजना रही है। इस 58 किलोमीटर लंबी परियोजना को प्रारंभ में तत्कालीन दक्षिणी रेलवे (अब बंगलूरू दक्षिण पश्चिम रेलवे के दायरे में आती है) की एक विशेषज्ञ टीम द्वारा प्रस्तावित किया गया था। यह प्रस्ताव कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री आर. गुंडू राव द्वारा शुरू किये गए कर्नाटक के पहले परिवहन सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था। परियोजना का उद्देश्य रेल-आधारित रैपिड-ट्रांज़िट सिस्टम द्वारा बंगलूरू को अपने आसपास के टाउनशिप, उपनगरों और ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ना है। ‘बंगलूरू सब-अर्बन रेल प्रोजेक्ट’ हज़ारों ग्रामीण और शहरी यात्रियों को यात्रा का एक तीव्र, सुरक्षित एवं अधिक आरामदायक माध्यम प्रदान करेगा। रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी, कर्नाटक (K-RIDE), जो कि कर्नाटक सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय का एक संयुक्त उद्यम है- इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिये उत्तरदायी है।