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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अक्तूबर, 2022

  • 27 Oct 2022
  • 5 min read

नेरल-माथेरान टॉय ट्रेन 

मावल लोकसभा क्षेत्र में ठंड के मौसम में पर्यटन स्थल नेरल-माथेरान (Neral-Matheran) के बीच चलने वाली नेरल-माथेरान टॉय ट्रेन (छोटी ट्रेन), जो कि दुर्घटना के कारण बंद कर दी गई थी, फिर से शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में नेरल-माथेरान टॉय ट्रेन सेवा फिर से शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इस ट्रेन के शुरू होने से स्थानीय लोगों को भी रोज़गार मिलेगामाथेरान जो कि एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, यूनेस्को की सूची में शामिल है। पर्यटक ‘टॉय ट्रेन’ के ज़रिये यहाँ यात्रा करते हैं। सह्याद्री पर्वत शृंखला के बीच नेरल से माथेरान तक 21 किमी की दूरी यह ट्रेन लगभग 2 घंटे 20 मिनट में तय करती है। ‘टॉय ट्रेन’ सेवा पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों के लिये भी एक प्रमुख साधन है।

श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी की 150वीं जयंती

आचार्य विजय वल्‍लभ श्‍वेतांबर धारा के संत थे।.उनका जन्‍म गुजरात के बड़ोदा में संवत 1870 में हुआ मगर वे  अधिकांश समय पंजाब में रहे। वे खादी वस्त्र पहनते थे और आज़ादी के समय हुए खादी स्‍वदेशी आंदोलन से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। देश के विभाजन के समय पाकिस्‍तान के गुजरावाला में उनका चर्तुमास था, लेकिन वे सितंबर 1947 में पैदल ही भारत लौट आए, साथ ही उन्होंने अपने अनुयायियों का भी पुर्नवास सुनिश्चित किया। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा की अपनी शिक्षा के साथ दृढ बने रहे। स्वतंत्रता पश्चात वर्ष 1954 में बंबई में उनका देहांत हो गया। उनके अंतिम दर्शन के लिये 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हुई थी।  उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, सौराष्ट्र और महाराष्ट्र आदि प्रांतों में उन्होंने 67 वर्षो के दौरान अनेकों पैदल यात्राएँ कीं। इस दौरान उन्‍होंने आचार्य महावीर जैन विश्‍वविद्यालय समेत अनेक शैक्षणिक संस्‍थानों की स्‍थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्‍होंने अनेक ग्रंथों के साथ-साथ छंद कविताओं की भी रचना की। जैन संप्रदाय के उत्‍थान और उसकी शिक्षाओं को फैलाने के अपने कार्यों के लिये उन्‍हें 'युग प्रधान' भी कहा जाने लगा।

संयुक्त राष्ट्र का 27वाँ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अगले माह

संयुक्त राष्ट्र का 27वाँ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 6-18 नवंबर तक मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन अफ्रीका में पाँचवी बार आयोजित होगा। इस सम्मेलन में 200 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन का केंद्रीय बिंदु “जलवायु परिवर्तन से महाद्वीप में उत्पन्न हो रहे गंभीर परिणाम” होगा। जलवायु परिवर्तन संबंधी विभिन्न देशों की अंतर्राष्ट्रीय समिति का मानना है कि अफ्रीका जलवायु परिवर्तन से विश्व के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में है। इस सम्मेलन में और तीन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमे उत्सर्जन कम करना, जलवायु परिवर्तन से निपटना, तकनीकी सहायता और विकासशील देशों को जलवायु गतिविधियों के लिये आर्थिक मदद करना शामिल है। साथ ही इस दौरान पिछले सम्मेलन के लंबित एवं महत्त्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाया जाएगा तथा कोयले के उपयोग को कम करने की प्रतिबद्धता पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

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