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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अक्तूबर, 2020

  • 27 Oct 2020
  • 7 min read

इन्फेंट्री दिवस

27 अक्तूबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें इन्फेंट्री दिवस (Infantry Day) पर सैनिकों को बधाई देते हुए कहा कि उनकी बहादुरी ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है। भारतीय सेना प्रत्येक वर्ष 27 अक्तूबर को इन्फेंट्री दिवस के रूप में आयोजित करती है, क्योंकि इसी दिन सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन की दो इन्फेंट्री कंपनियों को पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित आक्रमणकारियों से कश्मीर को मुक्त कराने के लिये दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया था। इस कार्रवाई का आदेश तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा तब दिया गया था, जब जम्मू-कश्मीर रियासत के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल करने के लिये ‘इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन’ (Instrument of Accession) यानी विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर किये थे। महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्तूबर, 1947 को इंस्‍ट्रूमेंट ऑफ एक्‍सेशन पर हस्ताक्षर किये और 27 अक्तूबर, 1947 को भारतीय सेना की दो इन्फेंट्री कंपनियाँ जम्मू-कश्मीर पहुँच गईं। दरअसल विभाजन के दौरान जम्मू-कश्मीर रियासत को भारत अथवा पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प दिया गया था, लेकिन उस समय के शासक महाराजा हरि सिंह ने इसे एक स्वतंत्र राज्य के रूप में रखने का फैसला किया। वर्ष 1947 में पाकिस्तान के पख्तून आदिवासियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया, और पाकिस्तान की सेना ने इस हमले का पूरा समर्थन किया था और आक्रमणकारियों को रसद, हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराए थे। इस आक्रमण में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करने के लिये भारत सरकार ने नई दिल्ली में एक संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया है।

सतर्कता जागरूकता सप्ताह

केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) 27 अक्तूबर से 2 नवंबर, 2020 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह (Vigilance Awareness Week) का आयोजन कर रहा है। सतर्कता जागरूकता सप्ताह प्रत्येक वर्ष उस सप्ताह के दौरान मनाया जाता है जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल (31 अक्टूबर) का जन्मदिवस आता है। वर्ष 2020 के लिये सतर्कता जागरूकता सप्ताह ‘सतर्क भारत, समृद्ध भारत’ (Satark Bharat, Samriddh Bharat) विषय के साथ मनाया जा रहा है। सतर्कता के क्षेत्र में केंद्रीय सरकारी एजेंसियों को सलाह तथा मार्गदर्शन देने हेतु गठित के. संथानम की अध्‍यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर सरकार ने फरवरी,1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की स्‍थापना की थी। CVC किसी भी मंत्रालय/विभाग के अधीन नहीं है। यह एक स्वतंत्र निकाय है जो केवल संसद के प्रति उत्तरदायी है। केंद्रीय सतर्कता आयोग कोई अन्वेषण एजेंसी नहीं है। यह या तो CBI के माध्यम से या सरकारी कार्यालयों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (Chief Vigilance Officers- CVO) के माध्यम से मामले की जाँच/अन्वेषण कराती है। 

मानव तस्करी-रोधी इकाइयाँ

मानव तस्करी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 40 ज़िलों में मानव तस्करी-रोधी इकाइयों (Anti-Human Trafficking Units-AHTUs) की स्थापना करने का आदेश दिया है। ध्यातव्य है कि इन इकाइयों को पुलिस स्टेशन जैसी मान्यता प्रदान की जाएगी, जिससे इन इकाइयों को प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने, जाँच करने और मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने की शक्ति प्राप्त होगी। उत्तर प्रदेश में कुल 75 ज़िले हैं और वर्ष 2011 तथा वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकारों ने 35 ज़िलों में मानव तस्करी-रोधी इकाइयाँ (AHTUs) स्थापित करने का आदेश दिया था। इस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया निर्णय से अब राज्य के सभी 75 ज़िलों में मानव तस्करी-रोधी इकाइयाँ (AHTUs) स्थापित हो जाएंगी। राज्य सरकार का यह निर्णय, केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी के दौरान मानव तस्करी के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करने और राज्यों को प्रत्येक ज़िले में मानव तस्करी-रोधी इकाइयाँ (AHTUs) स्थापित करने के आदेश के बाद लिया गया है। 

डायरेक्ट पोर्ट एंट्री (DPE) सुविधा

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने वी.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह में ‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ (DPE) सुविधा का उद्घाटन किया है। ‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ (DPE) की यह सुविधा लॉजिस्टिक लागत को कम करने और बंदरगाहों से निर्यात खेप को भेजने की प्रक्रिया को गति देने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है। ‘डायरेक्ट पोर्ट एंट्री’ (DPE) की सुविधा निर्यातकों के लिये कारोबारी सुगमता को बढ़ाने में मदद करेगी, साथ ही इससे निर्यातकों के काम में दक्षता आएगी और सामान भेजने पर खर्च कम होगा। डायरेक्ट पोर्ट एंट्री (DPE) से निर्यातकों को चौबीसों घंटे अपने कारखानों से कंटेनरों को सीधे बंदरगाहों पर कंटेनर टर्मिनल में भेजने की सुविधा उपलब्‍ध हो जाएगी। यह सुविधा ट्रक पार्किंग टर्मिनल के अंदर 18,357 वर्गमीटर के क्षेत्र में बनाई गई है। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व कारखानों से सील बंद कंटेनरों को पहले तूतीकोरिन में संचालित होने वाले कंटेनर फ्रेट स्टेशनों (CFS)/इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) में से एक में ले जाया जाता था और यह सुविधा एक कार्य दिवस में सुबह 10 से रात 8 बजे तक ही उपलब्ध थी। इसकी वजह से कंटेनरों को कंटेनर टर्मिनलों में अंदर ले जाने में काफी देरी होती थी।

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