Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 सितंबर, 2020 | 26 Sep 2020
एस.पी. बालासुब्रमण्यम
गायक-अभिनेता एस.पी. बालासुब्रह्मण्यम (S.P. Balasubrahmanyam) का 74 वर्ष की उम्र में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण निधन हो गया है। एस.पी. बालासुब्रह्मण्यम को भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिये पहचाना जाता था। उल्लेखनीय है कि उन्होंने उन्होंने 40,000 से अधिक गानों का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था। तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषाओं में गाने के अलावा एस.पी. बालासुब्रमण्यम ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया था। एस.पी. बालासुब्रमण्यम का जन्म 04 जून, 1946 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के पास एक रूढ़िवादी तेलुगु परिवार में हुआ था। एस.पी. बालासुब्रमण्यम ने फिल्मों में अपने संगीत कैरियर की शुरुआत 15 दिसंबर, 1966 में की थी। अपने संपूर्ण फिल्मी कैरियर में उन्होंने तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषाओं में कुल 40,000 से अधिक गाने गाए। अपने पाँच दशक से भी लंबे करियर में एस.पी. बालासुब्रमण्यम ने सर्वश्रेष्ठ पुरुष प्लेबेक सिंगर के लिये छह बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और कुल 25 बार नंदी पुरस्कार प्रदान किया गया था। नंदी पुरस्कार तेलुगु सिनेमा, थिएटर और टीवी के लिये आंध्र प्रदेश सरकार का सर्वोच्च सम्मान है। भारत सरकार ने भी एस.पी. बालासुब्रमण्यम को वर्ष 2001 में पद्म श्री और वर्ष 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) के 79वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ‘CSIR कोरोना वायरस के विरुद्ध जंग में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है। CSIR एक अखिल भारतीय संस्थान है जिसमें 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों का एक सक्रिय नेटवर्क शामिल है। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की स्थापना सितंबर 1942 में की गई थी और वर्तमान में यह संगठन रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी (Space Physics), समुद्र विज्ञान (Oceanography), भू-भौतिकी (Geophysics), रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स (Genomics), जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन, वैमानिकी (Aeronautics), उपकरण विज्ञान (Instrumentation), पर्यावरण अभियांत्रिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तक के व्यापक विषयों व क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। परिषद का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय महत्त्व से संबंधित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान करना है। इस संगठन की अध्यक्षता देश के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, जबकि संगठन का महानिदेशक (Director General) शासी निकाय के प्रमुख के तौर पर कार्य करता है।
संपर्क-विहीन आयकर अपील
हाल ही में आयकर विभाग ने संपर्क-विहीन आयकर अपील की शुरूआत की है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, अब से आयकर की सभी अपीलें संपर्क-विहीन माध्यम से निपटाई जाएंगी। हालाँकि बड़े टैक्स घोटाले, कर चोरी, अंतर्राष्ट्रीय कर और कालेधन से संबंधित मामलों को पुराने तरीके से ही निपटाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 13 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपर्क-विहीन आयकर मूल्यांकन और करदाता अधिकार पत्र की घोषणा करते हुए कहा था कि यह सुविधा पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जन्म दिवस से शुरू की जाएगी। इस सुविधा से करदाता अथवा उनके वकील और आयकर विभाग के बीच किसी तरह का प्रत्यक्ष संपर्क नहीं होगा। करदाता अपनी सुविधा के अनुसार आवश्यक सूचना को आयकर विभाग को डिजिटल माध्यम से भेज सकते हैं। इसके अंतर्गत प्रस्तावित आदेश एक शहर में तैयार किया जाएगा, जबकि इस पर विचार दूसरे शहर में किया जाएगा जिससे आदेश की निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सकेगी। इस सुविधा से आयकर विभाग को पारदर्शी, उत्तरदायी और कार्यकुशल बनाने में मदद मिलेगी। अभी तक लगभग चार लाख 60 हज़ार आयकर अपील लंबित हैं जिनमें से 88 प्रतिशत अपील संपर्क-विहीन माध्यम से निपटाई जा सकती हैं।
डॉ. इशर जज अहलूवालिया
देश की जानी-मानी अर्थशास्त्री डॉ. इशर जज अहलूवालिया (Isher Judge Ahluwalia) का 74 वर्ष की उम्र में ब्रेन कैंसर के साथ 10 माह की लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया है। उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक और फिर दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर डिग्री हासिल की थी। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ अपने कैरियर की शुरुआत की और कुछ समय बाद वे भारत वापस लौट आईं। भारत में उन्होंने तकरीबन 15 वर्षों तक भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) में निदेशक और अध्यक्ष के तौर पर कार्य किया। वर्ष 2009 में उन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिये राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।