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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अगस्त, 2023

  • 26 Aug 2023
  • 6 min read

मेटा का नया AI मॉडल 100 भाषाओं के अनुवाद और प्रतिलेखन में सक्षम

मेटा ने एक AI मॉडल विकसित किया है जिसे SeamlessM4T के नाम से जाना जाता है, यह टेक्स्ट और स्पीच दोनों में 100 से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने तथा प्रतिलेखन में सक्षम है। यह अनुवाद और प्रतिलेखन के लिये एक अग्रणी ऑल-इन-वन बहुभाषी एवं मल्टीमॉडल AI टूल है।

  • मेटा का लक्ष्य उपयोगकर्ताओं को विविध बहुभाषी सामग्री तक व्यापक पहुँच प्रदान करके अंतर्संबंधता को बढ़ाना है।
  • यह अंग्रेज़ी सहित लगभग 100 इनपुट भाषाओं और लगभग 35 आउटपुट भाषाओं में स्पीच-टू-स्पीच अनुवाद करने में सक्षम है।
  • SeamlessM4T का यह एकीकृत दृष्टिकोण त्रुटियों और देरी को कम करता है, अनुवाद प्रक्रियाओं की दक्षता एवं गुणवत्ता को बढ़ाता है।
  • मेटा का टेक्स्ट-टू-टेक्स्ट मशीन ट्रांसलेशन मॉडल जिसे नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड (NLLB) के नाम से जाना जाता है, लगभग 200 भाषाओं का समर्थन करता है। विशेष रूप से NLLB को इसके अनुवाद प्रदाताओं में से एक के रूप में विकिपीडिया में एकीकृत किया गया है।

और पढ़ें…मेटावर्स और एआई का भविष्य

चैल वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ ब्लैक बाज देखा गया

हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित चैल वन्यजीव अभयारण्य में पहली बार एक दुर्लभ काला बाज देखा गया है। इस विशिष्ट प्रकार के काले बाज को पहले भी चंबा क्षेत्र में देखा गया है।

  • यह बाज एक्सीपिट्रिडे परिवार का है और इक्टिनेटस जीनस का एकमात्र सदस्य है।
  • ये अपने पर्याप्त आकार और अनूठी विशेषताओं के लिये प्रसिद्ध हैं, जो अक्सर जंगली पहाड़ी और पहाड़ी क्षेत्रों में देखे जाते हैं।
    • ये भारतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ प्रायद्वीपीय भारत में पूर्वी एवं पश्चिमी घाट के जंगलों में पाए जाते हैं।
  • IUCN के अनुसार, इसकी संरक्षण की स्थिति को "न्यूनतम चिंता" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • चैल वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के जानवर पाए जाते हैं, जिनमें रीसस मकाक, तेंदुए, भारतीय मंटजैक, गोराल, साही, जंगली सूअर, लंगूर और हिमालयी काले भालू शामिल हैं। इसने सरीसृपों और पक्षियों की कई लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में योगदान दिया है।

दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना:

भारत की प्रमुख जलविद्युत कंपनी NHPC लिमिटेड ने NHPC की 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना के लिये पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश में रेलवे साइडिंग के निर्माण हेतु RITES के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। RITES, रेल मंत्रालय के अधीन एक मिनीरत्न अनुसूची 'A' केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।

  • अपनी मूल शक्ति का प्रयोग कर RITES NHPC दिबांग और अरुणाचल प्रदेश में अन्य आगामी परियोजनाओं के लिये एवं  रेल अवसंरचना सुविधाओं के विकास हेतु व्यापक और कुशल समाधान प्रदान करेगा।
  • दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना एक बाढ़ नियंत्रण एवं जलविद्युत परियोजना है जिसे अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक दिबांग नदी पर विकसित करने की योजना है।
  • इसे भारत के राज्य संचालित नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) द्वारा विकसित किया जा रहा है।

Read More: Dibang Hydel Project

हबल स्पेस टेलीस्कोप ने अनियमित आकाशगंगा की छवि खींची 

हबल स्पेस टेलीस्कोप ने एरिडानस (Eridanus) के दक्षिणी तारामंडल में 28.7 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित अनियमित आकाशगंगा ESO 300-16 की एक छवि खींची है।

  • अनियमित आकाशगंगाओं का स्पष्ट रूप से परिभाषित आकार नहीं होता है और वे डिफ्यूज़ बादल के रूप में दिखाई देती हैं। आकाशगंगा कोर की ओर चमकीली, नीली गैस का एक बुलबुला दिखाई देता है।
  • ESO 300-16 को एक इमेजिंग अभियान के हिस्से के रूप में कैप्चर किया गया था जिसे एवरी नोन नियरबाय गैलेक्सी के नाम से जाना जाता है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी के 10 मेगापार्सेक या 32.6 मिलियन प्रकाश वर्ष के भीतर सभी आकाशगंगाओं की हबल छवियों की एक पूरी सूची बनाना है। 
    • यहाँ तक कि प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तय करता है वह भी खगोलीय दूरियों को मापने के लिये सुविधाजनक नहीं है, यही कारण है कि खगोलशास्त्री पारसेक का उपयोग करते हैं।
    • एक पारसेक 3.26 प्रकाश वर्ष या 30.9 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है। एक मेगापारसेक दस लाख पारसेक के समान होता है।
  • एवरी नोन नियरबाई गैलेक्सी अभियान का लक्ष्य शेष 25% आकाशगंगाओं पर कब्ज़ा करना है। हबल ने पहले अभियान के हिस्से के रूप में लेंटिकुलर आकाशगंगा NGC 6684 और अनियमित बौनी आकाशगंगा NGC 1156 पर कब्ज़ा कर लिया है।

और पढ़ें… हबल स्पेस टेलीस्कोप

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