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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 मार्च, 2022

  • 25 Mar 2022
  • 6 min read

बिप्लोबी भारत गैलरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में शहीद दिवस के अवसर पर कोलकाता के ‘विक्टोरिया मेमोरियल हॉल’ में ‘बिप्लोबी भारत गैलरी’ का वर्चुअल उद्घाटन किया। ज्ञात हो कि यह गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के विशिष्ट योगदान पर प्रकाश डालती है और स्वतंत्रता की ओर ले जाने वाली घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है। गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के लिये उनके सशस्त्र प्रतिरोध को प्रदर्शित करती है। ज्ञात हो कि इस पहलू को स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्य धारा के आख्यान में उचित स्थान नहीं दिया गया है। यह नई गैलरी देश में स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने वाले बौद्धिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि का भी चित्रण करेगी। क्रांतिकारी आंदोलन, क्रांतिकारी नेताओं द्वारा महत्त्वपूर्ण संघों का गठन, आंदोलन का प्रसार, भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन, नौसेना विद्रोह के योगदान को भी गैलरी में प्रदर्शित किया जाएगा।

असम राइफल

24 मार्च, 2022 को असम राइफल के 187वें स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। असम राइफल्स भारत के सबसे पुराने अर्द्ध-सैनिक बलों में से एक है, जिसे वर्ष 1835 में ब्रिटिश भारत में सिर्फ 750 सैनिकों के साथ ‘कछार लेवी’ के रूप में स्थापित किया गया था। इस सैन्य बल को वर्ष 1870 में कुछ अतिरिक्त बटालियनों के साथ असम सैन्य पुलिस बटालियन में परिवर्तित कर दिया गया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद इन बटालियनों का नाम बदलकर असम राइफल्स कर दिया गया। वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के बाद असम राइफल्स बटालियन को सेना के संचालन नियंत्रण में रखा गया था। अब तक इस बल ने दो विश्व युद्धों और वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में हिस्सा लिया है, साथ ही इसने पूर्वोत्तर में आतंकवादी समूहों के विरुद्ध चलाए गए अभियानों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के बाद से असम राइफल्स ने 188 सेना पदकों के अलावा 120 शौर्य चक्र, 31 कीर्ति चक्र, पाँच वीर चक्र और चार अशोक चक्र जीते हैं।

दासता पीड़ितों के स्मरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस

क्रूर दासता प्रणाली से पीड़ित और मारे गए लोगों की याद में प्रतिवर्ष 25 मार्च को ‘दासता पीड़ितों के स्मरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य गुलामी एवं नस्लवाद की भयावहता के विषय में जागरूकता बढ़ाना है। ज्ञात हो कि 16वीं और 19वीं शताब्दी के बीच लगभग 2 करोड़ लोगों को ज़बरन अफ्रीका से उत्तर और दक्षिण अमेरिका एवं यूरोप भेजा गया था। इस अमानवीय प्रथा का ही परिणाम है कि वर्तमान में अमेरिका में अफ्रीकी मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी निवास करती है। दासता पीड़ितों के स्मरण हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस-2022 की थीम है- "साहस की कहानियाँ: दासता का प्रतिरोध और जातिवाद के खिलाफ एकता"। दासता एवं गुलामी के उन्मूलन के बावजूद यह आज भी आधुनिक रूपों में जारी है।

एबेल पुरस्कार

‘नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ साइंस एंड लेटर’ ने हाल ही में वर्ष 2022 के ‘एबेल पुरस्कार’ (Abel Prize) की घोषणा की है। इस वर्ष यह पुरस्कार अमेरिकी गणितज्ञ ‘डेनिस पार्नेल सुलिवन’ को दिया जाएगा। डेनिस सुलिवन को यह पुरस्कार ‘टोपोलॉजी’ के बीजगणितीय, ज्यामितीय और गतिशील पहलुओं में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये दिया जा रहा है। टोपोलॉजी गणित का एक ऐसा विशिष्ट क्षेत्र है, जिसका जन्म प्रायः उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ था और इसका संबंध किसी भी प्रकार की सतह के ऐसे गुणों से है, जो विकृत होने पर भी नहीं बदलते हैं। विदित हो कि एबेल पुरस्कार 1 जनवरी, 2002 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्यों को सम्मानित करना है। इस पुरस्कार के तहत 7.5 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोनर (625000 अमेरिकी डॉलर) की राशि प्रदान की जाती है। ज्ञात हो कि गणित के क्षेत्र में कोई नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाता है। गणित का सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘फील्ड मेडल’ (Fields Medal) है जो कि 40 वर्ष की आयु तक के गणितज्ञों को प्रत्येक 4 वर्ष के अंतराल पर प्रदान किया जाता है।

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