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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 जनवरी, 2022

  • 25 Jan 2022
  • 6 min read

राष्ट्रीय मतदाता दिवस

देश के मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु हर वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस का 12वाँ संस्करण मनाया जा रहा है। इस वर्ष के राष्ट्रीय मतदाता दिवस की थीम, 'चुनावों को समावेशी, सुगम और सहभागी बनाना', चुनाव के दौरान मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी को सुविधाजनक बनाने तथा सभी श्रेणियों के मतदाताओं के लिये पूरी प्रक्रिया को सरल व एक यादगार अनुभव बनाने के लिये भारत निर्वाचन आयोग की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करती है। भारत निर्वाचन आयोग का गठन 25 जनवरी, 1950 को हुआ था। भारत सरकार ने राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस पर '25 जनवरी' को वर्ष 2011 से 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत की थी। 'राष्‍ट्रीय मतदाता दि‍वस' मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्‍य अधि‍क मतदाता, वि‍शेष रूप से नए मतदाता बनाना है। इस दि‍वस पर मतदान प्रक्रि‍या में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता का प्रसार कि‍या जाता है। मतदान का उच्च प्रतिशत जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। जबकि मतदान का निम्न प्रतिशत राजनीतिक उदासीन समाज की ओर इशारा करता है। वस्तुतः देश में मौजूद विघटनकारी तत्त्व अक्सर ऐसी स्थिति का फायदा उठाने का प्रयास करते हैं जिससे न केवल लोकतंत्र के अस्तित्व के लिये खतरा पैदा होता है बल्कि इससे देश की समस्त राजनैतिक व्यवस्था भी उथल-पुथल होने की आशंका उत्पन्न हो जाती है।   

स्पष्ट है कि राष्ट्रीय मतदाता दिवस का आयोजन करना, नए मतदाताओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उठाए गए विभिन्न प्रयासों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।

आर. नागास्वामी

पुरातत्व विभाग के पहले निदेशक आर. नागास्वामी का 23 जनवरी, 2022 को उम्र संबंधी जटिलताओं के कारण निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। पुरातत्व, वास्तुकला, पुरालेख, मुद्राशास्त्र, प्रतिमा विज्ञान, दक्षिण भारतीय कांस्य और मंदिर अनुष्ठानों से संबंधित नागास्वामी ने COVID-19 महामारी के दौरान तमिलनाडु में मंदिरों को बंद करने के विचार का समर्थन किया था। नागास्वामी का जन्म इरोड ज़िले के कोडुमुडी में हुआ था। उन्हें तमिल और संस्कृत का गहरा ज्ञान था। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से संस्कृत में एमए की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से भारतीय कला विषय पर पी.एच.डी. की। विभिन्न क्षमताओं के साथ पुरातत्व विभाग की सेवा करने के बाद वह वर्ष 1966 में इसके निदेशक बने और वर्ष 1988 में अपनी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर रहे। उन्होंने वर्ष 1983 में एक किताब ‘मास्टरपीस ऑफ अर्ली साउथ इंडियन ब्रोंजेस’ लिखी और विश्व शास्त्रीय तमिल सम्मेलन को चिह्नित करने के लिये तमिलनाडु सरकार हेतु एक पुस्तक का संकलन किया। उनकी अन्य महत्त्वपूर्ण पुस्तकें माम्मलपुरम से संबंधित हैं, जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, उत्तरमेरुर और गंगईकोंडचोलपुरम द्वारा प्रकाशित हैं। उन्होंने तमिल में भी किताबें प्रकाशित की थीं।

 20वाँ ढाका अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह

ढाका में 20वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में पी.एस विनोदराज निर्देशित फिल्म ‘कूझंगल फ्रॉम इंडिया’ ने एशियाई फिल्म प्रतियोगिता खंड में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता। इसके अलावा फिल्मों के लिये दिये गए 17 पुरस्कारों में चार और भारतीय प्रविष्टियाँ भी शामिल थीं। जयसूर्या को रंजीत शंकर निर्देशित फिल्म सनी के लिये सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक इंद्रनील रॉयचौधरी और सुगाता सिन्‍हा को भारत-बांग्लादेश फिल्म मायर जोंजाल हेतु तथा विशेष दर्शक पुरस्कार एमी बरुआ निर्देशित फिल्म सेमखोर को दिया गया। नेपाल से सुजीत बिदारी निर्देशित फिल्म ‘आईना झ्याल’ को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला। बांग्लादेश के सूचना और प्रसारण मंत्री हसन महमूद ने ढाका में राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में आयोजित एक समारोह में पुरस्कार प्रदान किये। ढाका अंतर्राष्ट्रीय फिल्‍म समारोह में 70 देशों की 225 फिल्में प्रदर्शित की गईं।

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