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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 मार्च, 2022

  • 24 Mar 2022
  • 6 min read

रूफटॉप सोलर प्रोग्राम

हाल ही में रूफटॉप सोलर प्रोग्राम फेज- II (Rooftop Solar Programme Phase-II) को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। केद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance – CFA) के माध्यम से आवासीय क्षेत्र में इस कार्यक्रम के तहत 4000 मेगावाट रूफटॉप सोलर (RTS) क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। निवासी कल्याण संघ (Residential Welfare Associations) और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी हेतु 500 किलोवाट की अधिकतम क्षमता वाली सामान्य सुविधाओं के लिये CFA को 20% तक सीमित कर दिया गया है। रूफटॉप सोलर एक फोटोवोल्टिक प्रणाली है जिसमें बिजली पैदा करने वाले सौर पैनल आवासीय या व्यावसायिक भवन या संरचना की छत पर लगे होते हैं। रूफटॉप माउंटेड सिस्टम मेगावाट रेंज में क्षमता वाले ग्राउंड-माउंटेड फोटोवोल्टिक पावर स्टेशनों की तुलना में छोटे होते हैं। आवासीय भवनों पर रूफटॉप पीवी सिस्टम में आमतौर पर लगभग 5 से 20 किलोवाट (kW) की क्षमता होती है जबकि वाणिज्यिक भवनों पर 100 किलोवाट या उससे अधिक पहुँच जाती हैं।

ब्रिक्स टीका अनुसंधान एवं विकास केंद्र

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया द्वारा ‘ब्रिक्स टीका अनुसंधान एवं विकास केंद्र’ (BRICS Vaccine R&D Centre) लॉन्च किया गया। चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री वांग झिगांग ने लॉन्च समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने ब्रिक्स देशों से टीकों के उचित वितरण को बढ़ावा देने तथा ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

अनुसंधान एवं विकास केंद्र, टीकाकरण संसाधनों को सुव्यवस्थित करने और सुरक्षित तथा प्रभावकारी कोविड-19 टीकों के लिये समान पहुंँच की सुविधा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा पारस्परिक लाभ के लिये देशों के बीच अनुभव साझा करने और सहयोग करने में मददगार साबित होगा। भारत द्वारा WHO की 65-70% वैक्सीन आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है और साथ ही 150 से अधिक देशों को टीकों की आपूर्ति की जाती है भारत विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माण उद्योगों में से एक है। यह केंद्र टीके के विकास और अनुसंधान के क्षेत्र में ब्रिक्स देशों के लाभों को एक साथ जोड़ने में मदद करेगा जो ब्रिक्स देशों की संक्रामक बीमारियों को नियंत्रित करने और उनसे बचने की क्षमता को बढ़ावा देगा। 

विश्व क्षय रोग दिवस 

प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को दुनिया भर में विश्व क्षयरोग दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक उद्देश्य क्षयरोग/तपेदिक से स्वास्थ्य, समाज और अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता बढ़ाना तथा इस वैश्विक महामारी की रोकथाम हेतु किये जा रहे प्रयासों में तेज़ी लाना है। गौरतलब है कि वर्ष 1882 में क्षय रोग (TB) के जीवाणु की खोज करने वाले डॉ. रॉबर्ट कोच की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाया जाता है, 24 मार्च 1882 में ही डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी बैक्टीरिया की खोज की थी। क्षयरोग विश्व में सबसे घातक संचारी रोगों में से एक है। टीबी या क्षय रोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होता है जो फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों के अनुसार अकेले वर्ष 2019 में दुनिया भर में क्षयरोग (टीबी) के कारण कुल 1.4 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई थी। इस तरह क्षयरोग विश्व भर में होने वाली मौतों के प्रमुख 10 कारणों में से एक है। ‘इनवेस्ट टू एंड टीबी. सेव लाइव्स’ (Invest to End TB. Save Lives) वर्ष 2022 में विश्‍व क्षयरोग दिवस की थीम है।  

‘सुरक्षा कवच 2’

हाल ही में पुणे के लुल्लानगर में  भारतीय सेना के अग्निबाज़ डिवीजन और महाराष्ट्र पुलिस के बीच ‘सुरक्षा कवच 2’ नामक एक संयुक्त अभ्यास का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में भारतीय सेना की काउंटर टेररिज़्म टास्क फोर्स (CTTF), महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते के साथ-साथ डॉग स्क्वॉड, क्विक रिएक्शन टीम्स (QRTs) तथा सेना व  पुलिस की बम डिस्पोजल टीमों ने हिस्सा लिया। यह अभ्यास पुणे में किसी भी आतंकवादी हमले का मुकाबला करने हेतु पुलिस और सेना द्वारा की गई प्रक्रियाओं और अभ्यासों के समन्वय के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस अभ्यास का आयोजन दोनों संगठनों के बीच अंतःक्रियाशीलता में सुधार करने के लिये किया गया।

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