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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 जनवरी, 2022

  • 24 Jan 2022
  • 7 min read

राष्ट्रीय बालिका दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य लिंगभेद के कारण भारतीय समाज में लड़कियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करना है। यह दिवस लड़कियों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता पर ज़ोर देता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 2008 में बालिका के अधिकारों और बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण के महत्त्व को रेखांकित करने के लक्ष्य के साथ की गई थी। ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस प्रतिवर्ष 11 अक्तूबर को मनाया जाता है। भारतीय समाज और संस्कृति में सदियों से लैंगिक असमानता एक बड़ी चुनौती रही है। इस भेदभाव और असमानता की शुरुआत लड़की के जन्म लेने से पूर्व ही शुरू हो जाती है। भारत सरकार ने महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव की इस स्थिति को बदलने और सामाजिक स्तर पर लड़कियों की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, बालिकाओं के लिये मुफ्त या अनुदानित शिक्षा और कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में सीटों का आरक्षण आदि शामिल है। माता-पिता में बेटियों के प्रति अपने प्यार और गर्व की भावना को प्रोत्साहित करने हेतु एक सोशल मीडिया अभियान 'सेल्फी विद बेटी' भी आयोजित किया जा रहा है।

आदि बद्री बाँध

21 जनवरी, 2022 को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने यमुनानगर ज़िले के आदि बद्री में बाँध बनाने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह बाँध पौराणिक सरस्वती नदी का कायाकल्प करेगा। यह हरियाणा में हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास स्थित है। इस स्थान को सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार से धार्मिक मान्यताओं को भी पुनर्जीवित किया जाएगा। इस क्षेत्र को तीर्थस्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा। यह बाँध हिमाचल प्रदेश में 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा। इसकी चौड़ाई 101.06 मीटर और ऊँचाई 20.5 मीटर होगी। परियोजना की कुल लागत 215.33 करोड़ रुपए है। आदि बद्री बाँध को सोम नदी से भी पानी मिलेगा जो यमुनानगर में आदि बद्री के पास यमुना नदी में मिलती है। बाँध की क्षमता हर साल 224.58 हेक्टेयर मीटर जल की होगी। इसमें से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा को 61.88 हेक्टेयर पानी मिलेगा जबकि शेष सरस्वती नदी में प्रवाहित होगा। 

लिविंग रूट ब्रिज

हाल ही में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) ने यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल का टैग प्राप्त करने हेतु मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज़ के लिये कुछ हरित नियमों को रेखांकित किया है। इन ब्रिजेज़ को जिंग कीेंग ज़्रि (Jing Kieng Jri) भी कहा जाता है। इनका निर्माण पारंपरिक जनजातीय ज्ञान का प्रयोग करके रबर के वृक्षों की जड़ों को जोड़-तोड़ कर किया जाता है। सामान्यतः इन्हें धाराओं या नदियों को पार करने के लिये बनाया जाता है। मुख्यतः मेघालय की खासी और जयंतिया पहाड़ियों में सदियों से फैले 15 से 250 फुट के ये ब्रिज़ विश्व प्रसिद्ध पर्यटन का आकर्षण भी बन गए हैं। ये लोचदार होते हैं। इन्हें आसानी से जोड़ा जा सकता है। ये पौधे उबड़-खाबड़ और पथरीली मिट्टी में उगते हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री ने यूनेस्को को इस राज्य को पहाड़ी राज्य के रूप में मान्यता देने की वकालत की, जिसने इसके निर्माण के 50वें वर्ष को चिह्नित किया। मेघालय वर्ष 1972 से 21 जनवरी को अपना राज्य स्थापना दिवस मनाता है। वन्यजीव विविधता और स्वास्थ्य कार्ड तैयार करना मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज के लिये यूनेस्को टैग अर्जित करने हेतु आवश्यक शर्तें होंगी।

सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार

गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान (GIDM) और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विनोद शर्मा को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य के लिये वर्ष 2022 के सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार हेतु चुना गया है। GIDM को संस्थागत श्रेणी में चुना गया है, वहीं विनोद शर्मा को व्यक्तिगत श्रेणी में नामित किया गया है। केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा प्रदान किये गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को पहचानने तथा सम्मानित करने के लिये वार्षिक पुरस्कार सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की स्थापना की है। इस वर्ष पुरस्कार के लिये 1 जुलाई, 2021 से नामांकन मांगा गया था और संस्थानों एवं व्यक्तियों से 243 वैध नामांकन प्राप्त हुए थे। इस पुरस्कार की घोषणा हर वर्ष 23 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है। इसमें पुरस्कृत संस्था को 51 लाख रुपए का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र एवं पुरस्कृत व्यक्ति को 5 लाख रुपए व प्रमाण पत्र दिया जाता है।

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