Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 अप्रैल, 2021 | 24 Apr 2021
‘कोविरैप’ टेस्ट किट
हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- खड़गपुर (IIT-K) ने कोरोना संक्रमण की जाँच से संबंधित अपने प्रमुख उत्पाद ‘कोविरैप’ (COVIRAP) का सफलतापूर्वक वाणिज्यीकरण कर लिया है। व्यवसायीकरण के के माध्यम से यह पूर्णतः स्वदेशी रूप से विकसित उत्पाद भारतीय बाज़ार समेत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में किफायती मूल्य पर उपलब्ध हो सकेगा। ज्ञात हो कि बीते वर्ष अक्तूबर माह में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस टेस्ट की प्रभावकारिता को मान्यता प्रदान की थी। हालाँकि अनुसंधानकर्त्ताओं की टीम ने SARS-CoV-2 सहित विभिन्न रोगजनक संक्रमणों के तीव्र डायग्नोस्टिक के लिये ‘कोविरैप’ उत्पाद के और अधिक उन्नत संस्करण विकसित किया है। इसके तहत RNA निष्कर्षण के लिये किसी भी विशिष्ट सुविधा की आवश्यकता के बिना, समूह द्वारा विकसित पोर्टेबल डिवाइस के माध्यम से मानव स्वाब नमूनों का प्रयोग करके कोविड-19 नैदानिक परीक्षण किया जा सकता है। इस किट के माध्यम से रोगी से प्राप्त नमूनों के आधार पर मात्र 45 मिनट के भीतर परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। अनुसंधानकर्त्ताओं के मुताबिक, इस टेस्ट किट का क्षेत्र काफी अधिक व्यापक है, जिसका अर्थ है कि यह कोरोना संक्रमण के अलावा इन्फ्लूएंज़ा, मलेरिया, डेंगू, जापानी इंसेफेलाइटिस, टीबी आदि रोगों का पता लगाने में भी सक्षम है।
अमेरिका में हेट क्राइम के विरुद्ध बिल
हाल ही में अमेरिकी संसद के उच्च सदन 'सीनेट' ने एशियाई अमेरिकियों और प्रशांत द्वीप समूह के निवासियों के विरुद्ध बढ़ रहे ‘हेट क्राइम’ का मुकाबला करने के लिये एक बिल को मंज़ूरी दी है। यह बिल अमेरिकी न्याय विभाग में ‘हेट क्राइम’ की समीक्षा में तीव्रता लाएगा और पिछले वर्ष हुईं हज़ारों हिंसक घटनाओं की प्रतिक्रिया के रूप में स्थानीय कानून प्रवर्तन का समर्थन करेगा। आँकड़ों की मानें तो अमेरिका में पुलिस ने एशियाई-अमेरिकियों और प्रशांत द्वीप समूह के निवासियों के विरुद्ध ‘हेट क्राइम’ की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। हेट क्राइम ऐसे आपराधिक कृत्यों को संदर्भित करता है जो कुछ मतभेदों, प्रमुख रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं तथा रीति-रिवाजों आदि के कारण एक व्यक्ति या सामाजिक समूह के विरुद्ध पूर्वाग्रह से प्रेरित होते हैं। मौजूदा दौर में इसकी परिभाषा के तहत मॉब लिंचिंग, भेदभाव और आपत्तिजनक भाषणों के साथ-साथ अपमानजनक तथा ऐसे भाषणों को भी शामिल किया जाता है, जो एक समुदाय विशिष्ट को हिंसा के लिये उकसाते हों। ‘हेट स्पीच’ में मुख्य तौर पर जाति, नस्ल, धर्म या वर्ग आदि के आधार पर की गई टिप्पणियाँ शामिल होती हैं। भारतीय कानूनों के तहत धर्म, जातीयता, संस्कृति या नस्ल पर आधारित कोई भी अभद्र भाषा अथवा टिप्पणी पूर्णतः निषिद्ध है।
वनिता गुप्ता
हाल ही में भारतीय मूल की अमेरिकी सिविल राइट्स अधिवक्ता वनिता गुप्ता को अमेरिका में एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया है, जिसके साथ ही वे अमेरिकी न्याय विभाग के इस तीसरे सबसे महत्त्वपूर्ण पद पर कार्य करने पहली भारतीय-अमेरिकी बन गई हैं। वनिता गुप्ता ने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के ‘लॉ स्कूल’ से कानून की पढाई की है और उन्हें वर्ष 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा कार्यवाहक सहायक अटॉर्नी जनरल और अमेरिकी न्याय विभाग के नागरिक अधिकार प्रभाग के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के पद पर नियुक्त होने से पूर्व वह अमेरिका के सबसे पुराने नागरिक अधिकार गठबंधन- ‘द लीडरशिप काॅॅन्फ्रेंस ऑन सिविल एंड ह्यूमन राइट्स’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य चुकी हैं। अमेरिकी न्याय विभाग के एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के रूप में वनिता गुप्ता, विभाग के ‘सिविल राइट्स लिटिगेशन’ विभाग के साथ-साथ उसके एंटीट्रस्ट, नागरिक और पर्यावरण प्रभागों की भी प्रभारी होंगी।
माउंट अन्नपूर्णा
पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा से ताल्लुक रखने वाली पर्वतारोही प्रियंका मोहिते ने विश्व की दसवीं सबसे ऊँची पर्वत चोटी ‘माउंट अन्नपूर्णा’ पर चढ़ाई कर एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर दिया है, इसी के साथ वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला पर्वतारोही बन गई हैं। प्रियंका मोहिते ने इससे पूर्व वर्ष 2013 में दुनिया की सबसे ऊँची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ (8,849 मीटर), वर्ष 2018 में ‘माउंट ल्होत्से’ (8,516 मीटर), ‘माउंट मकालू’ (8,485 मीटर) और 2016 में ‘माउंट किलिमंजारो’ (5,894 मीटर) को भी फतह किया है। प्रियंका मोहिते को वर्ष 2017-2018 के लिये महाराष्ट्र सरकार द्वारा साहसिक खेलों हेतु ‘शिव छत्रपति राज्य पुरस्कार’ भी प्रदान किया गया है। ‘माउंट अन्नपूर्णा’ नेपाल में स्थित हिमालय का एक पर्वतीय पुंजक है, जिसमें 8,000 मीटर से अधिक ऊँची चोटियाँ शामिल हैं और इसे चढ़ाई करने के लिये सबसे कठिन पर्वतों में से एक माना जाता है। यद्यपि ‘माउंट अन्नपूर्णा’ विश्व का दसवाँ सबसे ऊँचा पर्वत है, किंतु इसे विश्व के सबसे खतरनाक पर्वतों में से एक माना जाता है। 3 जून, 1950 को फ्राँँसीसी पर्वतारोही मौरिस हर्ज़ोग और लुई लाचेनल ने ‘माउंट अन्नपूर्णा’ को पहली बार फतह किया था।