विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 सितंबर, 2022
- 23 Sep 2022
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हाइफा दिवस
प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को भारतीय सेना द्वारा हाइफा दिवस के रूप में मनाया जाता है। हाइफा दिवस का मुख्य उद्देश्य हाइफा के युद्ध में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करना है। हाइफा का युद्ध 23 सितंबर, 1918 को हुआ था, जिसमें जोधपुर, मैसूर तथा हैदराबाद के सैनिकों, जो कि 15 इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे, ने मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेकर जर्मनी व तुर्की के आधिपत्य वाले इज़रायल के ‘हाइफा शहर’ को मुक्त करवाया था। इस युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने दिल्ली स्थित विख्यात तीन मूर्ति मेमोरियल को तीन मूर्ति हाइफा मेमोरियल के रूप में पुनः नामित किया था।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस
बधिर लोगों के मानवाधिकारों की पूर्ण प्राप्ति में सांकेतिक भाषा के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष 23 सितंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस’ का प्रस्ताव बधिर लोगों के 135 राष्ट्रीय संघों के संघ- ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ’ (WFD) ने रखा। इस प्रस्ताव को 19 दिसंबर, 2017 को सर्वसम्मति से अपनाया गया। इस प्रकार वैश्विक स्तर पर पहला ‘अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस’ का आयोजन वर्ष 2018 में किया गया था। वर्ष 1951 की 23 सितंबर की तारीख ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ’ की स्थापना का प्रतीक है। अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस, 2022 की थीम “सांकेतिक भाषाएँ हमें एकजुट करती हैं”(‘Sign Languages Unite Us’) है। ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ’ के आँकड़ों की मानें तो दुनिया भर में 70 मिलियन से अधिक बधिर व्यक्ति हैं। ज्ञात हो कि सांकेतिक भाषा संप्रेषण का एक माध्यम है, जहाँ हाथ के इशारों और शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार सांकेतिक भाषाएँ बोली जाने वाली भाषाओं से संरचनात्मक रूप से अलग होती हैं और इनका प्रयोग अधिकांशतः श्रवण बाधित लोगों द्वारा किया जाता है।
राज्य पर्यावरण मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर, 2022 को गुजरात के एकता नगर में पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया। सहकारी संघवाद की अवधारणा मज़बूत करते हुए इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से पर्यावरण अनुकूल जीवन-शैली पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। साथ ही जलवायु परिवर्तन से प्रभावशाली तरीके से निपटने और प्लासटिक कचरे के उन्मूलन के लिये नीतियों को उचित तरीके से लागू करने में केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करने पर विचार किया जाएगा। वन्यजीव संरक्षण, भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने और वन क्षेत्र बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दो दिन के इस सम्मेलन में पर्यावरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर छह सत्र आयोजित होंगे। इनमें पर्यावरण अनुकूल जीवन-शैली, जलवायु परिवर्तन नियंत्रण, विकास परियोजनाओं की एक ही स्थान पर मंज़ूरी, वानिकी प्रबंधन, प्रदूषण की रोकथाम, वन्यजीव प्रबंधन तथा प्लास्टिक कचरा प्रबंधन आदि विषय शामिल हैं।