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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 सितंबर, 2020

  • 23 Sep 2020
  • 6 min read

रामधारी सिंह दिनकर

23 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ‘दिनकर की कालजयी कविताएँ साहित्य प्रेमियों को ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी। हिंदी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को बेगूसराय (हालाँकि अधिकांश लोग मुंगेर को उनके जन्मस्थान के रूप में जानते हैं क्योंकि बेगूसराय उनके जन्म के समय और उनके अधिकांश जीवनकाल में मुंगेर का हिस्सा था) के सिमरिया गाँव में एक छोटे से किसान परिवार में हुआ था। वर्ष 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद वर्ष 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ तो रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और वे बिहार से दिल्ली आ गए। दिनकर ओज के कवि माने जाते हैं, और उनकी भाषा अत्यंत प्रवाहपूर्ण, ओजस्वी और सरल थी। दिनकर के साहित्य में विचार और संवेदना का सुंदर समन्वय दिखाई देता है। दिनकर जी को उनकी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था। दिनकर की प्रमुख कृतियों में हुँकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा, उर्वशी और संस्कृति के चार अध्याय आदि शामिल हैं।

अंग रीता शेरपा

नेपाल के प्रसिद्ध पर्वतारोही और संरक्षक अंग रीता शेरपा (Ang Rita Sherpa) का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। ‘स्नो लेपर्ड’ (Snow Leopard) के नाम से प्रसिद्ध अंग रीता शेरपा को वर्ष 2017 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने वर्ष 1983 से वर्ष 1996 के बीच 10 बार बिना ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले दुनिया के एकमात्र व्यक्ति के रूप में मान्यता दी थी। विदित हो कि यह रिकॉर्ड अभी भी बरकरार है। अंग रीता शेरपा का जन्म वर्ष 1948 में पूर्वी नेपाल के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने काफी छोटी सी उम्र में ही शेरपा के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया था। शेरपा हिमालयी लोगों का एक वंश है, जो पर्वतारोहण में अपने कौशल के लिये काफी प्रसिद्ध होते हैं। अंग रीता शेरपा नेपाल के  द माउंटेन इंस्टीट्यूट का हिस्सा थे और उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण हेतु द माउंटेन इंस्टीट्यूट से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में कार्य किया था। हिमालयी पारिस्थितिकी के संरक्षण के प्रयासों के लिये उन्हें वर्ष 2011 में सर एडमंड हिलेरी माउंटेन लिगेसी मेडल से भी सम्मानित किया गया था।

हाइफा दिवस

प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को भारतीय सेना द्वारा हाइफा दिवस के रूप में मनाया जाता है। हाइफा दिवस का मुख्य उद्देश्य हाइफा के युद्ध में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करना है हाइफा का युद्ध 23 सितंबर, 1918 को हुआ था जिसमें जोधपुर, मैसूर तथा हैदराबाद के सैनिकों, जो कि 15 इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे, ने मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेकर जर्मनी व तुर्की के आधिपत्य वाले इज़राइल के हाइफा शहर को मुक्त करवाया था। इस युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने दिल्ली स्थित विख्यात तीन मूर्ति मेमोरियल को तीन मूर्ति हाइफा मेमोरियल के रूप में पुनः नामित किया है। 

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक, 2020

हाल ही में राज्यसभा ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित कर दिया है। इस विधेयक के तहत सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला तथा रायचूर स्थित 5 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIITs) को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) अधिनियम, 2017 के तहत पहले से मौजूद 15 IIITs के साथ वैधानिक दर्जा देते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में घोषित किया जाएगा। यह विधेयक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIITs) को नवीन एवं गुणवत्तापूर्ण तरीके से देश में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के अध्ययन को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित करेगा। विधेयक के माध्यम से उद्योग और अर्थव्यवस्था की उभरती ज़रूरतों के अनुरूप, कुशल तकनीकी श्रमशक्ति की आपूर्ति होने की उम्मीद है।

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