Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 फरवरी, 2022 | 23 Feb 2022
उर्दू भाषा में साहित्य अकादमी पुरस्कार
साहित्य अकादमी ने उर्दू भाषा के कवि चन्द्रभान खयाल को उनके कविता संग्रह ''ताज़ा हवा की ताबिशें'' के लिये उर्दू भाषा में साहित्य अकादमी पुरस्कार 2021 देने की घोषणा की है। श्री चन्द्रभान को इस वर्ष 11 मार्च को दिल्ली में आयोजित होने वाले साहित्योत्सव समारोह में पुरस्कार के रूप में एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक लाख रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही अकादमी ने सोमवार को मैथिली भाषा में जगदीश प्रसाद मंडल को उनके उपन्यास ‘पंगु’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की है। साहित्य अकादमी पुरस्कार वर्ष 1954 में स्थापित एक साहित्यिक सम्मान है। यह पुरस्कार साहित्य अकादमी (नेशनल एकेडमी ऑफ लेटर्स) द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। अकादमी द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त 24 भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के साथ ही इन्हीं भाषाओं में परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिये भी पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। भारत के संविधान में शामिल 22 भाषाओं के अलावा साहित्य अकादमी ने अंग्रेज़ी तथा राजस्थानी को भी उन भाषाओं के रूप में मान्यता दी है जिसमें अकादमी के कार्यक्रम को लागू किया जा सकता है। साहित्य अकादमी पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान है।
‘जनभागीदारी एम्पावरमेंट’ (Janbhagidari Empowerment) पोर्टल
सरकार ने अपने डिजिटल मिशन के तहत केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में ‘जनभागीदारी एम्पावरमेंट’ (Janbhagidari Empowerment) पोर्टल की शुरुआत की। यह एक वन स्टॉप इंटरएक्टिव और उपयोगकर्त्ता के अनुकूल डिजिटल प्लेटफॉर्म है। यह लोगों को प्रकृति, स्थिति के साथ-साथ उनके क्षेत्रों में किये जा रहे विकास कार्यों की संख्या के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस पोर्टल से संबंधित धीमी गति या बैंडविड्थ मुद्दों संबंधी चिंताओं के बीच यह कदम उठाया गया है। जनभागीदारी एम्पावरमेंट पोर्टल को आम जनता को आसान पहुँच प्रदान करने हेतु उच्च बैंडविड्थ वाले एक अलग सर्वर पर चलने के बाद इसकी गति काफी तेज़ हो गई है जिससे पोर्टल इस्तेमाल करने के अनुभव में सुधार हुआ है। अब तक करीब 70 हज़ार लोग पोर्टल को एक्सेस कर चुके हैं।
रमेशबाबू प्रज्ञानानंद
भारत के शतरंज खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंद ने एक ऑनलाइन चैंपियनशिप में दुनिया के नंबर वन शतरंज खिलाड़ी ‘मैग्नस कार्लसन’ पर शानदार जीत हासिल की है, जिसके साथ ही वे ऐसा करने वाले दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए हैं। ज्ञात हो कि इससे पूर्व 16 वर्षीय प्रज्ञानानंद वर्ष 2016 में 10 वर्ष की आयु में सबसे कम उम्र के अंतर्राष्ट्रीय शतरंज मास्टर बने थे। अब तक केवल 2 भारतीय शतरंज खिलाड़ियों ने ही विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराया है, जिसमें पाँच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथ आनंद और भारत के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर पेंद्याला हरिकृष्ण शामिल हैं।