Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 जून, 2021 | 21 Jun 2021
विश्व संगीत दिवस
प्रत्येक वर्ष 21 जून को ‘विश्व संगीत दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य संगीत के माध्यम से शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है। इस दिवस के आयोजन की कल्पना सर्वप्रथम वर्ष 1981 में फ्रांँस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री द्वारा की गई थी। ‘विश्व संगीत दिवस’ की शुरुआत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले फ्रांँस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री मौरिस फ्लेरेट स्वयं एक प्रसिद्ध संगीतकार, पत्रकार और रेडियो प्रोडूसर थे। इस दिवस के अवसर पर भारत समेत विश्व के तमाम देशों में जगह-जगह संगीत प्रतियोगिताओं और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया है, जिसका प्रयोग वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्ति को मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करने के लिये भी किया जा रहा है। कई अध्ययनों और विशेषज्ञों के मुताबिक, संगीत तनाव को कम करने और बेहतर नींद प्रदान करने में भी मददगार साबित हो सकता है। ध्यातव्य है कि एक कॅॅरियर के रूप में भी संगीत का क्षेत्र असीम संभावनाओं से भरा हुआ है और मौजूदा समय में युवा वर्ग संगीत को अपना रहे हैं।
बोत्सवाना में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डायमंड
हाल ही में अफ्रीकी देश बोत्सवाना में 1,098 कैरेट के दुनिया के तीसरे सबसे बड़े डायमंड की खोज की गई है। बोत्सवाना की ‘देबस्वाना डायमंड कंपनी’ द्वारा खोजा गया यह डायमंड वर्ष 1905 में दक्षिण अफ्रीका में खोजे गए 3,106 कैरेट कलिनन डायमंड और वर्ष 2015 में बोत्सवाना में ही खोजे गए 1,109 कैरेट ‘लेसेडी ला रोना’ डायमंड के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डायमंड है। बाद में कलिनन डायमंड को छोटे हिस्सों में काट दिया गया, जिनमें से कुछ ब्रिटिश शाही परिवार के मुकुट रत्नों का हिस्सा है। वहीं ‘लेसेडी ला रोना’ डायमंड को वर्ष 2017 में डायमंड के आभूषण बनाने वाली कंपनी ‘ग्रेफ’ को 53 मिलियन डॉलर में बेचा गया था। ज्ञात हो कि अफ्रीकी देश बोत्सवाना वर्तमान में दुनिया में डायमंड्स का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया के कुछ सबसे बड़े डायमंड यहीं पाए गए हैं। अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण में स्थित बोत्सवाना एक भू-आबद्ध यानी लैंडलॉक्ड देश है और वर्ष 1966 में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय बोत्सवाना में साक्षरता दर न्यूनतम और व्यापक गरीबी थी, किंतु बोत्सवाना की डायमंड इंडस्ट्री ने यहाँ के विकास में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
इब्राहिम रईसी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इब्राहिम रईसी को ईरान का नया राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी है। 60 वर्षीय ईरानी नेता सर्वप्रथम राष्ट्रीय पटल पर तब उभरे जब वे मात्र 20 वर्ष की आयु में वर्ष 1980 में करज के प्रासीक्यूटर जनरल बने। इसके पश्चात् वह वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच तेहरान के प्रासीक्यूटर बने। वर्ष 2014 से वर्ष 2016 के बीच उन्होंने ईरान के प्रासीक्यूटर जनरल के रूप में कार्य किया। वर्ष 2019 में इब्राहिम रईसी को ईरान की न्यायपालिका का प्रमुख नियुक्त किया गया था, हालाँकि ईरान-इराक युद्ध के बाद वर्ष 1988 में हज़ारों राजनीतिक कैदियों की सामूहिक फाँसी में उनकी भूमिका के कारण इस नियुक्ति का काफी विरोध किया गया। अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने इब्राहिम रईसी के विरुद्ध मानवता से संबंधित अपराधों के आरोपों पर मुकदमा चलाने का आह्वान किया है। राजनीतिक कट्टरपंथी माने जाने वाले इब्राहिम रईसी ने वर्ष 2017 में वर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी के विरुद्ध चुनाव भी लड़ा था। इब्राहिम रईसी का जन्म पूर्वोत्तर ईरान के मशहद में हुआ था, जो एक प्रमुख शहर और शिया मुसलमानों का एक धार्मिक केंद्र है।
विश्व शरणार्थी दिवस
विश्व भर के शरणार्थियों की शक्ति और दृढ़ निश्चय एवं उनके प्रति सम्मान को स्वीकृति देने के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस के रूप में आयोजित किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य विश्व भर में आम जनमानस के बीच शरणार्थियों की स्थिति के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस मुख्यतः उन लोगों के प्रति समर्पित है, जिन्हें प्रताड़ना, संघर्ष और हिंसा की चुनौतियों के कारण अपना देश छोड़कर बाहर भागने को मजबूर होना पड़ता है। इस दिवस का आयोजन वस्तुतः शरणार्थियों की दुर्दशा और समस्याओं का समाधान करने हेतु किया जाता है। अफ्रीकी देशों की एकता को अभिव्यक्त करने के लिये वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव में वर्ष 2001 को शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित वर्ष 1951 की संधि की 50वीं वर्षगाँठ के रूप में चिह्नित किया गया। ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ अफ्रीकन यूनिटी अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी दिवस को अफ्रीकी शरणार्थी दिवस के साथ 20 जून को मनाने के लिये सहमत हो गया। शरणार्थी का अभिप्राय एक ऐसे व्यक्ति से है जिसे उत्पीड़न, युद्ध या हिंसा के कारण उसके देश से भागने के लिये मज़बूर किया गया हो।