नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 सितंबर, 2023

  • 20 Sep 2023
  • 7 min read

भारत-मलेशिया रक्षा सहयोग समिति की बैठक

  • मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति (MIDCOM) की 12वीं बैठक 19 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में हुई।
  • इस बैठक में दो उप-समितियों की बैठकों के परिणामों की समीक्षा की गई, अर्थात् सैन्य सहयोग पर उप-समिति (27 जुलाई 2023) एवं रक्षा विज्ञान प्रौद्योगिकी और उद्योग सहयोग पर संयुक्त उप-समिति (18 सितंबर 2023)
  • भारत के रक्षा सचिव ने सरकार-से-सरकार स्तर पर जुड़ाव, Tri-सेवा सहयोग, प्रशिक्षण, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना, द्विपक्षीय सेवा जुड़ाव, रक्षा औद्योगिक सहयोग, अनुसंधान एवं विकास और क्षेत्रीय/उप-क्षेत्रीय संलग्नताएँ जैसे व्यापक क्षेत्रों में भारत तथा मलेशिया के बीच सहयोग का विस्तार करने के लिये मलेशियाई पक्ष के साथ 8 सूत्री प्रस्ताव साझा किया।
  • दोनों देशों ने आपसी विश्वास, सामान्य हितों, लोकतंत्र और विधि के शासन के साझा मूल्यों पर बल देते हुए उन्नत रणनीतिक साझेदारी को पूरी तरह से लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

और पढ़ें… मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति

बायोहैकिंग

  • हाल के वर्षों में बायोहैकिंग पर अधिक ध्यान दिये जाने के साथ-साथ इसने लोकप्रियता प्राप्त की है, यह आहार, पूरक, उपकरण, प्रत्यारोपण या आनुवंशिक इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके किसी जीव के शरीर या जीव विज्ञान को संशोधित करने या बढ़ाने का अभ्यास है।
    • बायोहैकिंग के अलग-अलग लक्ष्य हो सकते हैं, जैसे- स्वास्थ्य, प्रदर्शन, कल्याण या उपस्थिति में सुधार करना या मानव स्वभाव की सीमाओं और संभावनाओं की खोज करना।
    • बायोहैकिंग का सबसे प्रसिद्ध प्रकार जेनेटिक इंजीनियरिंग है, जहाँ व्यक्ति अपनी शारीरिक उपस्थिति या क्षमताओं को बढ़ाने के लिये नई तकनीकों का प्रयोग करते हैं।
  • हालाँकि बायोहैकिंग नैतिक और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भी जन्म देती है, विशेषकर जब व्यक्ति जोखिमपूर्ण या अप्रमाणित प्रक्रियाओं में संलग्न होते हैं।

स्ट्रिंग प्रौद्योगिकी तथा लिथियम उत्पादन पर इसका प्रभाव

"स्ट्रिंग" नामक एक नई तकनीक विकसित की गई है, जो स्मार्टफोन तथा इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली बैटरियों में एक आवश्यक घटक लिथियम के निष्कर्षण को सुव्यवस्थित करने में सहायता प्रदान करेगी।

  • लिथियम का उत्पादन एक संसाधन गहन तथा समय लेने वाली प्रक्रिया है क्योंकि दुनिया में उत्पादित अधिकांश लिथियम साल्ट फ्लैट्स में स्थित खारे जल वाले जलाशयों से निकाला जाता है।
  • स्ट्रिंग प्रौद्योगिकी में छिद्रनुमा रेशों का उपयोग किया जाता है जिन्हें तारों पर लपेटा जाता है जिसे  सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है।
  • इन तारों में वाटर लविंग (हाइड्रोफिलिक) कोर और जल-विकर्षक सतह होती है।
  • जब तार के एक सिरे को खारे पानी के घोल में डुबोया जाता है, तो केशिका क्रिया शुरू हो जाती है ठीक उसी प्रकार जिस तरह से पेड़ अपनी जड़ों से पत्तियों तक पानी पहुँचाते हैं।
  • जैसे ही पानी स्ट्रिंग की सतह से वाष्पित होता है, यह सोडियम और लिथियम सहित नमक आयनों को पीछे छोड़ देता है। समय के साथ जैसे-जैसे लवण तेज़ी से केंद्रित होते जाते हैं, वे सोडियम क्लोराइड और लिथियम क्लोराइड क्रिस्टल बनाते हैं, जिन्हें आसानी से काटा जा सकता है।
  • इस प्रकार, स्ट्रिंग टेक्नोलॉजी द्वारा लिथियम उत्पादन की प्रक्रिया को पूरा किया गया।

नागोर्नो-काराबाख में अज़रबैजान का हस्तक्षेप

हाल ही में अज़रबैजान ने अर्मेनिया समर्थित नागोर्नो-काराबाख के अलग हुए इलाके में एक आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू किया।

  • यह क्षेत्र लंबे समय से अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच तनाव का केंद्र रहा है, जिस पर नियंत्रण हासिल करने के लिये दो युद्ध भी हुए हैं। वर्ष 2020 में नागोर्नो-काराबाख में आखिरी बड़े पैमाने का संघर्ष रूसी मध्यस्थता वाले संघर्ष विराम से पहले छह सप्ताह तक चला था। युद्धविराम के बाद आर्मेनिया ने उस क्षेत्र के कुछ हिस्सों को खो दिया जिस पर 1990 के दशक के दौरान उसका नियंत्रण हुआ करता था।
  • नागोर्नो-काराबाख एक पहाड़ी और घने वनों वाला क्षेत्र है जिसे अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • अधिकांश निवासी, जो जातीय रूप से अर्मेनियाई हैं, अज़ेरी शासन (अज़रबैजानी कानून प्रणाली) का विरोध करते हैं।
  • 1990 के दशक में हुए एक युद्ध के बाद अज़रबैजान की सेना को इस क्षेत्र से बाहर खदेड़ दिये जाने के बाद आर्मेनिया के समर्थन से ये जातीय अर्मेनियाई लोग नागोर्नो-काराबाख के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आ गए थे।
  • USSR के पतन की पृष्ठभूमि में सितंबर 1991 में नागोर्नो-काराबाख द्वारा स्वतंत्रता की स्व-घोषणा के परिणामस्वरूप अज़रबैजान और नागोर्नो-काराबाख के बीच युद्ध हुआ, जिसे आर्मेनिया का समर्थन प्राप्त था।

Read More:- Nagorno-Karabakh region

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow