विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 फरवरी, 2021
- 20 Feb 2021
- 7 min read
छत्रपति शिवाजी महाराज
19 फरवरी, 2021 को छत्रपति शिवाजी महाराज की 391वीं जयंती मनाई गई। पुणे की जुन्नार तहसील के शिवनेरी किले में जन्मे शिवाजी, भोंसले-मराठा कबीले से थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। उन्होंने सैन्य संगठन, किला वास्तुकला, समाज और राजनीति में क्रांतिकारी परिवर्तन किये। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध तकनीकों का उपयोग करते हुए दुश्मनों के आक्रमण का सामना किया और अपनी सेना का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। महाराष्ट्र के समुद्री तटों की रक्षा के लिये छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही आधुनिक युग में भारत की पहली नौसेना का निर्माण किया था। मराठा नौसेना ने जयगढ़, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग और महाराष्ट्र के तट के साथ-साथ अन्य किलों की रक्षा की। वे एक धर्मनिरपेक्ष राजा था और विभिन्न धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करते थे। राजा के तौर पर छत्रपति शिवाजी ने प्राचीन हिंदू राजनीतिक विचारों और न्यायिक प्रथाओं को पुनर्जीवित किया, साथ ही उन्होंने मराठी भाषा के उपयोग को भी सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया। शिवाजी के पिता शाहजी भोसले ने उन्हें 2,000 सैनिकों की एक सेना सौंपी थी, शिवाजी ने अपनी प्रशासनिक कुशलता द्वारा अपनी सैन्य क्षमता को 10,000 सैनिकों तक विस्तारित किया। औरंगज़ेब और उनके सेनापति ने शिवाजी की सैन्य कुशलता और रणनीति के कारण उन्हें ‘माउंटेन रैट’ के नाम से संबोधित किया था, क्योंकि वे मुगल सैनिकों पर हमला करते थे और वापस पहाड़ों पर लौट जाते थे।
विश्व सामाजिक न्याय दिवस
प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिवस गरीबी उन्मूलन, रोज़गार सृजन, उचित कार्य स्थिति और लैंगिक समानता आदि के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को और अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है। वर्ष 2021 के लिये ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था में सामाजिक न्याय के लिये आह्वान’ को विश्व सामाजिक न्याय दिवस का थीम चुना गया है। सामाजिक न्याय का तात्पर्य देशों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और विकास के लिये आवश्यक सिद्धांत से है, जो न केवल अंत:देशीय समानता अपितु अंतर्देशीय समानता की परिस्थितियों से भी संबंधित है। सामाजिक न्याय की संकल्पना को आगे बढ़ाने हेतु समाज में लिंग, उम्र, नस्ल, जातीयता, धर्म, संस्कृति या विकलांगता आदि असमानताओं को समाप्त करना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन’ (ILO) के ‘निष्पक्ष वैश्वीकरण के लिये सामाजिक न्याय पर घोषणा’ जैसे उपायों के माध्यम से सामाजिक न्याय के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्य कर रहा है। सामाजिक न्याय के 5 प्रमुख सिद्धांतों में शामिल हैं- संसाधनों तक पहुँच, न्याय संगतता, सहभागिता, विविधता और मानवाधिकार।
स्कॉच चीफ मिनिस्टर ऑफ द इयर अवार्ड
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी को ‘स्कॉच चीफ मिनिस्टर ऑफ द इयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। स्कॉच समूह द्वारा घोषित इस पुरस्कार के लिये चयन विभिन्न राज्यों में परियोजना-स्तरीय परिणामों के अध्ययन पर आधारित है। इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए स्कॉच समूह ने कहा कि ‘वाईएसआर रैतु भरोसा केंद्र’ जैसी योजनाओं ने ग्रामीण स्तर पर एक बेहतर मॉडल विकसित किया है। इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी के विरुद्ध प्रतिक्रिया में सरकार द्वारा की गई पहलों के वांछनीय परिणाम देखने को मिले हैं। इस पुरस्कार के चयन के लिये स्कॉच समूह द्वारा आंध्र प्रदेश की कुल 123 परियोजनाओं और उनके परिणामों का अध्ययन किया गया है। अध्ययन में यह सामने आया है कि राज्य सरकार ने शासन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बीते दो वर्षों में कई क्रांतिकारी और अभिनय उपाय किये हैं।
ननकाना साहिब नरसंहार
हाल ही में ननकाना साहिब नरसंहार अथवा शक ननकाना साहिब की 100वीं शताब्दी पर आयोजित समारोह की शुरुआत हो गई है। वर्ष 1920 में अस्तित्व में आते ही ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (SGPC) ने गुरुद्वारा सुधार आंदोलन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ‘महंतों’ की निजी संपत्ति बन चुके गुरुद्वारों के प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना था। इस आंदोलन से भयभीत ‘महंतों’ द्वारा फरवरी 1921 में लाहौर में ‘सिख सनातन सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। इस आंदोलन की पृष्ठभूमि में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के एक निहत्थे सिख जत्थे ने ननकाना साहिब गुरुद्वारे के अंदर प्रवेश करने और अहिंसक तरीके से गुरुद्वारे पर कब्ज़ा करने की योजना बनाई। वहीं दूसरी ओर गुरुद्वारे के अंदर हथियारों से लैस सशस्त्र सेना के साथ निहत्थे सिख जत्थे का मुकाबला करने के लिये तैयार थे। दोनों के बीच मुठभेड़ में 60 से अधिक सैनिकों की मृत्यु हुई। ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ (SGPC) का आरोप था कि इस नरसंहार में ब्रिटिश प्रशासन भी शामिल था। ननकाना साहिब गुरुद्वारा (जिसे गुरुद्वारा जन्म स्थान भी कहा जाता है) उस जगह पर बनाया गया है जहाँ सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था।