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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 दिसंबर, 2021

  • 18 Dec 2021
  • 5 min read

ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो

हाल ही में भूटान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो’ से सम्मानित करने की घोषणा की है। ‘द ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग’ (ड्रक ग्यालपो) भूटान सरकार का सर्वोच्च सम्मान है, जिसके माध्यम से भूटान द्वारा साम्राज्य और आम लोगों की सेवा करने हेतु किये गए कार्यों को रेखांकित किया जाता है। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व भी प्रधानमंत्री को कई देशों द्वारा अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। प्रधानमंत्री को ‘ऑर्डर ऑफ अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद’ (2016- सऊदी अरब का सर्वोच्च सम्मान), ‘स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्लाह खान’ (2016- अफगानिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान), ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू अवार्ड (2019- रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान) और अमेरिकी सरकार द्वारा ‘लीज़न ऑफ मेरिट’ (2020) आदि शामिल हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री को सियोल शांति पुरस्कार (2018), चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड (2018), ‘फर्स्ट फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशीयल अवार्ड’ (2019), ‘ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट लीडरशीप अवार्ड’ (2021) से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

‘लुईस हैमिल्टन’ को ‘नाइटहुड’ की उपाधि

हाल ही में सात बार फॉर्मूला वन चैंपियन रहे चुके ‘लुईस हैमिल्टन’ को खेल के प्रति उनकी सेवाओं के चलते ‘नाइटहुड’ की उपाधि प्रदान की गई है। गौरतलब है कि लुईस हैमिल्टन के पास सबसे अधिक रेस जीतने (103) का रिकॉर्ड है, जबकि उन्होंने कुल सात बार चैंपियनशिप जीत कर विश्व प्रसिद्ध जर्मन रेसर ‘माइकल शूमाकर’ की भी बराबरी कर ली है। हैमिल्टन चौथे फॉर्मूला वन ड्राइवर हैं जिन्हें ‘नाइट’ की उपाधि प्रदान की गई है, उनके अलावा दिवंगत ऑस्ट्रेलियाई जैक ब्रभम, स्टर्लिंग मॉस और ट्रिपल चैंपियन ‘जैकी स्टीवर्ट’ को भी यह उपाधि प्रदान की जा चुकी है। नाइटहुड एक ब्रिटिश राजा या रानी द्वारा किसी क्षेत्र विशिष्ट के भीतर किसी व्यक्ति द्वारा प्राप्त उच्च उपलब्धियों और सेवाओं हेतु दिया जाने वाला एक पुरस्कार और उपाधि है। 

विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस

भारत समेत पूरे विश्व में जातीय अल्पसंख्यकों के लिये स्वतंत्रता और समानता के अधिकार को बनाए रखने तथा अल्पसंख्यकों के सम्मान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये प्रतिवर्ष 18 दिसंबर को ‘विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस विभिन्न जातीय मूल के अल्पसंख्यक समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। वर्ष 1992 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 18 दिसंबर को ‘विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र ने 18 दिसंबर, 1992 को धार्मिक या भाषायी राष्ट्रीय अथवा जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्ति के अधिकारों पर वक्तव्य (Statement) को अपनाया था। भारत में इस दिवस का आयोजन ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग’ (NCM) द्वारा किया जाता है। ‘राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग’ की स्थापना वर्ष 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। भारतीय संविधान में "अल्पसंख्यक" शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। हालाँँकि संविधान धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को मान्यता देता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29, 30, 350A तथा 350B में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन इसकी परिभाषा कहीं नहीं दी गई है।

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