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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 मई, 2022

  • 16 May 2022
  • 8 min read

थॉमस कप 

भारत ने पहली बार थॉमस कप बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। भारत ने 14 बार यह टूर्नामेंट जीतने वाली टीम इंडोनेशिया को 3-0 से पराजित किया है, लक्ष्य सेन ने पहले मैच में और सात्विक चिराग की जोड़ी ने दूसरे मैच में भारत को जीत दिलाई। इसके बाद किदांबी श्रीकांत ने तीसरा मैच जीतकर भारतीय टीम को पहली बार थॉमस कप का चैंपियन बनाया। थॉमस कप के 73 साल के इतिहास में भारतीय टीम पहली बार चैंपियन बनी है। यह टूर्नामेंट वर्ष 1949 से खेला जा रहा था, लेकिन अब तक इंडोनेशिया, चीन, डेनमार्क और मलेशिया जैसी टीमों का इस टूर्नामेंट में दबदबा रहा था, जिसे भारत ने खत्म किया है। भारत छठी टीम है, जिसने यह टूर्नामेंट जीता है। थॉमस कप (Thomas Cup) एक बैडमिंटन टूर्नामेंट है, जिसमें फिलहाल 16 टीमें भाग लेती हैं। बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिये थॉमस कप टूर्नामेंट आयोजित करने का आइडिया सबसे पहले इंग्लिश बैडमिंटन प्लेयर सर जॉर्ज एलन थॉमस (Sir George Alan Thomas) के दिमाग में आया था। वे खुद भी एक बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी थे। पहली बार वर्ष 1948-49 में थॉमस कप आयोजित किया गया। पहले यह टूर्नामेंट 3 साल में आयोजित होता था, लेकिन वर्ष 1982 के बाद से इसे 2 साल में आयोजित किया जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 15 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ (IDF) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच पारिवारिक संबंधों के महत्त्व को उजागर करना है। ज्ञात हो कि परिवार समाज के निर्माण की मूलभूत इकाई है और यह एक व्यक्ति के जीवन में सर्वाधिक महत्त्व रखता है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस आम जनमानस के बीच परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और संबंधों को प्रभावित करने वाले सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय कारकों के बारे में समझ विकसित करने का अवसर प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस, 2022 की थीम "परिवार और शहरीकरण" है, जिसका उद्देश्य हमारे परिवारों पर शहरीकरण के प्रभाव की चर्चा करना है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बुनियादी परिवार प्रणाली के महत्त्व को महसूस करते हुए वर्ष 1993 में 15 मई को ‘अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस’ के रूप में घोषित किया और सबसे पहले इसे 15 मई, 1994 को मनाया गया था।

विश्व कृषि-पर्यटन दिवस

प्रत्येक वर्ष 16 मई को विश्व कृषि-पर्यटन दिवस (World Agri-Tourism Day) मनाया जाता है। विश्व कृषि-पर्यटन दिवस का लक्ष्य कृषि और पर्यटन क्षेत्र को एकीकृत कर किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है। कृषि पर्यटन का आशय पर्यटन के उस रूप से है, जिसमें ग्रामीण संस्कृति को पर्यटक आकर्षण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह पारिस्थितिकी पर्यटन के समान ही है, यद्यपि इसमें प्राकृतिक परिदृश्य के बजाय सांस्कृतिक परिदृश्य को शामिल किया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो कृषि पर्यटन में कृषि आय बढ़ाने और एक गतिशील, विविध ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित करने की महत्त्वपूर्ण क्षमता है। कई विकसित देशों में कृषि पर्यटन, पर्यटन उद्योग का एक अभिन्न अंग बन गया है। इसे कृषि तथा संबद्ध व्यवसाय के मूल्यवर्द्धन के रूप में देखा जा सकता है, जो किसानों और ग्रामीण समुदायों को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं प्राकृतिक संसाधनों की बहु-क्रियाशील प्रकृति के इष्टतम लाभों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। महाराष्ट्र, देश में कृषि पर्यटन को विकसित करने और बढ़ावा देने वाला अग्रणी राज्य है। महाराष्ट्र में वर्ष 2005 में कृषि-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कृषि पर्यटन विकास निगम (ATDC) का गठन किया गया था। 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस

प्रत्येक वर्ष 16 मई को यूनेस्को (UNESCO) और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस (International Day of Light) मनाया जाता है। प्रकाश हमारे जीवन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। सबसे बुनियादी स्तर पर प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से प्रकाश ही जीवन के मूल में है। प्रकाश के अध्ययन ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों, नैदानिक ​​प्रौद्योगिकी और उपचार में जीवन रक्षक चिकित्सा पद्धति एवं लाइट-स्पीड इंटरनेट और इसी प्रकार की अन्य खोजों से समाज में क्रांति ला दी है तथा ब्रह्मांड के प्रति हमारी समझ को महत्त्वपूर्ण आकार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस एक वार्षिक पहल है, जिसका उद्देश्य आम जनमानस के दैनिक जीवन में प्रकाश-आधारित प्रौद्योगिकियों द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन वर्ष 1960 में लेज़र के पहले सफल संचालन को चिह्नित करने के लिये मनाया जाता है। पहला सफल लेज़र संचालन, ‘थियोडोर मैमन’ नामक एक अमेरिकी इंजीनियर एवं भौतिक विज्ञानी द्वारा किया गया था। यह दिवस वैज्ञानिक सहयोग को मज़बूत करने और शांति व सतत् विकास को बढ़ावा देने हेतु ‘प्रकाश’ की क्षमता के दोहन का आह्वान करता है। इस दिवस को यूनेस्को के ‘इंटरनेशनल बेसिक साइंस प्रोग्राम’ (IBSP) से प्रशासित किया जाता है। प्रकाश विज्ञान और उसके अनुप्रयोगों की उपलब्धियों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने सर्वप्रथम वर्ष 2015 में ‘प्रकाश और प्रकाश आधारित प्रौद्योगिकियों का अंतर्राष्ट्रीय’ वर्ष मनाया था, इसके पश्चात् वर्ष 2018 में पहला अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस आयोजित किया गया।

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